UP Politics: यूपी में बीजेपी का महाजनसंपर्क अभियान चलाएंगी 'टीम 21', दो पूर्व मुख्यमंत्रियों को मिली इन क्षेत्रों की जिम्मेदारी
UP News: बीजेपी ने महासंपर्क अभियान के लिए उत्तर प्रदेश में सात केंद्रीय मंत्रियों को लगाया गया है.इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व रघुवर दास को भी 1-1 क्लस्टर की जिम्मेदारी दी है.

BJP Mission 2024: अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने उत्तर प्रदेश में सभी 80 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. अब बीजेपी ने इस मिशन 24 को आसान बनाने के लिए 'टीम 21' तैयार की है. असल में बीजेपी ने यूपी की 80 लोकसभा सीटों को 21 क्लस्टर में बांटा है. इन क्लस्टर की जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्रियों से लेकर, पूर्व मुख्यमंत्री, अन्य प्रदेशों के मंत्री, राष्ट्रीय पदाधिकारियों की टीम को दी गई है.
बीजेपी ने हर लोकसभा क्लस्टर में तीन सदस्यों की टीम बनाई है. इनमें पहला सदस्य केंद्रीय मंत्री, दूसरे राज्यों की सरकार में मंत्री, पूर्व सीएम या पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जैसे कद का नेता हैं. इसके बाद दूसरे सदस्य के रूप में राष्ट्रीय संगठन या मोर्चे के मौजूदा या पूर्व पदाधिकारी, दूसरे प्रदेशों में अहम पद पर बैठे नेता या सांसद, विधायक को शामिल किया गया है. तीसरे सदस्य के तौर पर पूर्व जिलाध्यक्ष, स्थानीय क्षेत्रीय स्तर पर संगठन के पदाधिकारी को जगह दी गई है. उत्तर प्रदेश में सात केंद्रीय मंत्रियों को लगाया गया है.इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व रघुवर दास को भी 1-1 क्लस्टर की जिम्मेदारी दी गई है.
किसे कहां दी गई है जिम्मेदारी
- केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह को जालौन, झांसी, अकबरपुर और कानपुर की जिम्मेदारी
- केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी को फिरोजाबाद, आगरा, फतेहपुर, एटा की कमान
- एमपी सरकार में मंत्री मोहन यादव को गोंडा, कैसरगंज, सीतापुर, बहराइच की जिम्मेदारी
- सांसद मनोज तिवारी को लखनऊ, बाराबंकी, मोहनलालगंज, उन्नाव की जिम्मेदारी
- राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह को मथुरा, अलीगढ़, हाथरस की जिम्मेदारी
- झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को डुमरियागंज, गोरखपुर, कुशीनगर, महाराजगंज की कमान
- पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल को फतेहपुर, कौशांबी, बांदा, हमीरपुर की जिम्मेदारी
- एमपी सरकार में मंत्री विश्वास नारंग को खीरी, मिश्रिख, धौराहरा और हरदोई की कमान
- राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन को अमेठी, प्रतापगढ़, फूलपुर, इलाहाबाद की जिम्मेदारी
- अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा को आंवला, बदायूं, बरेली, शाहजहांपुर की जिम्मेदारी
- तेजस्वी सूर्या को बागपत, बुलंदशहर, मेरठ की कमान सौंपी गई
- हिमाचल प्रदेश के पूर्व अध्यक्ष सुरेश कश्यप को फर्रुखाबाद, कन्नौज, इटावा की जिम्मेदारी
- एसपी सिंह बघेल को भदोही, मछली शहर, वाराणसी, चंदौली की कमान सौंपी गई
- धन सिंह रावत को संत कबीर नगर, बस्ती, सुल्तानपुर, फैजाबाद की जिम्मेदारी
- रेखा वर्मा को रामपुर और पीलीभीत की जिम्मेदारी
- गुजरात के पूर्व उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल को कैराना, मुजफ्फरनगर की जिम्मेदारी
- उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को बांसगांव, देवरिया, बलिया, आजमगढ़, सलेमपुर की कमान सौंपी गई
- केंद्रीय संचार रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव को सहारनपुर, नगीना, बिजनौर की जिम्मेदारी
- प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह को संभल, मुरादाबाद, मैनपुरी और अमरोहा की कमान
- केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को रायबरेली, अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, लालगंज की जिम्मेदारी
- केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी को जौनपुर, गाजीपुर और घोसी की कमान सौंपी गई
30 मई से 30 जून तक चलेगा बीजेपी का महा जनसंपर्क अभियान
पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के नौ साल पूरे होने के अवसर पर 30 मई से 30 जून तक पार्टी का महा जनसंपर्क अभियान चलेगा. पहले चरण में क्लस्टर के सदस्य इस अभियान को बेहतर बनाने मैदान में उतरेंगे. इसके साथ ही लोकसभा चुनाव के लिए जमीन तैयार करेंगे. इनका खास फोकस उन बूथ पर होगा, जहां पिछली बार बीजेपी के पक्ष में कम वोट पड़े. जहां मतदाताओं में स्थानीय मुद्दों या किसी अन्य बात की नाराजगी का खतरा है, उन बूथ को भी चिन्हित किया जाएगा.
कैसे चलेगा बीजेपी का महाजनसंपर्क अभियान
बीजेपी की इस तैयारी पर कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर ने कहा कि कामों का विभाजन करना और कैसे जो अभियान है वह धरातल पर उतरे और प्रभावी हो सके इसके लिए संगठन अपने तरीके से काम करता है. अभी जो क्लस्टर बनाने की बात है उसमें चार-पांच लोकसभाओं को मिलाकर एक क्लस्टर बना है.हर क्लस्टर में इस पूरे अभियान को हमारे कोई ना कोई राष्ट्रीय पदाधिकारी या केंद्रीय मंत्री लीड करेंगे.हर लोकसभा स्तर पर छह कार्यक्रम होने हैं. विधानसभा स्तर पर चार-चार कार्यक्रम होने हैं. 30 मई से 20 जून तक ये कार्यक्रम चलेगा. फिर 20 जून से 30 जून तक हम डोर टू डोर जाएंगे, हमारा एक-एक कार्यकर्ता जाएगा, सभी जनप्रतिनिधि जाएंगे और 1-1 मतदाताओं से मुलाकात कर, संवाद कर इस कार्यक्रम को धरातल पर उतारने का काम करेंगे.
विपक्ष ने साधा बीजेपी पर निशाना
वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बीजेपी की इस बड़ी तैयारी पर निशाना साधा है. अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, "उप्र में बीजेपी के सांसदों और विधायकों ने काम किया होता तो बीजेपी को अपने महा जनसम्पर्क अभियान के लिए बाहर से मंत्रियों को न बुलाना पड़ता. बीजेपी के स्थानीय कार्यकर्ता भी इसीलिए निराश व निष्क्रिय हैं. ये महा जनसम्पर्क अभियान बता रहा है कि बीजेपी का गाँव-गरीब से सम्पर्क टूट चुका है."
अखिलेश यादव के इस ट्वीट पर डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने कहा कि आप जानते हैं कि ये लोग वातानुकूलित कक्षों में बैठ कर बात करते हैं. वहीं पूर्व डिप्टी सीएम डॉ.दिनेश शर्मा ने कहा कि इन लोग को पता नही की बीजेपी काडर बेस पार्टी है.इसकी रीति नीति से ये लोग परिचित नहीं होंगे. क्योंकि दूसरे दलों में तो नेता है कार्यकर्ता है ही नहीं.बीजेपी में सब कार्य करता है और उन सब कार्यकर्ताओं की उपयोगिता है. जबसे जनसंघ की स्थापना हुई तब से यह व्यवस्था है.विपक्ष जो हर चीज में कमी ढूंढता है उसे अपनी कमी ढूंढनी चाहिए कि लगातार कम क्यों हो रहा. उत्तर प्रदेश में स्थानीय निकाय में भी सफाया हो गया. 2019 में लोकसभा में सफाया हो गया था, 2022 में विधानसभा में सफाया हो गया था. हमारी काडर बेस पार्टी है उसके अनुसार काम करते हैं.
बीजेपी ने अखिलेश यादव की दी यह नसीहत
अखिलेश यादव ने एक दूसरे ट्वीट में लिखा, "सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण (एक-हाथ से दूसरे हाथ में जाने) का प्रतीक है… लगता है बीजेपी ने मान लिया है कि अब सत्ता सौंपने का समय आ गया है." उनके इस ट्वीट पर डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि अभी लोगों को ज्ञान ही नहीं है भारत के इतिहास का. जो परंपराएं थीं, वो सनातन से अगर जुड़ी रही तो उसे कांग्रेस सरकार ने कभी पूरा नहीं किया और अब एक मान्यता, जो परंपरा चली आ रही थी, उसका पालन नहीं किया.पीएम मोदी को तो साधुवाद देना चाहिए जो हर परंपरा को निष्पक्ष भाव से लागू कर रहे. हमारे भारत की व्यवस्थाओं का एक अंग था. अब यहां महापौर ने शपथ ली तो एक राजदंड दिया ना.यह बताता है कि राजा ही सबसे बड़ा नहीं है, बल्कि राजा के ऊपर भी एक राज दंड है, यह उसका महत्व है.एक सिंबल जो होता है हस्तांतरण का, वह हमारी परंपराओं का अंग है. मंदिरों और मठों में जो सर्वश्रेष्ठ विद्वान होते थे वह जाकर राजा को सिंबल प्रदान करते थे.अब जमाना बदल चुका है विपक्षियों को अपनी सोच पर पुनर्विचार करना चाहिए.
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Source: IOCL

























