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एक और एक ग्यारह होना क्यों कहते हैं, 2 और 2 बाइस होना क्यों नहीं?
एक और एक ग्यारह होना... यह मुहावरा अक्सर शक्ति को प्रदर्शित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. आइए इसके बारे में थोड़ा विस्तार से जानते हैं.

एक और एक ग्यारह होते हैं
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जिस तरह जब हमारे हाथ की पांचों अंगुलियां एक साथ हो जाती है तो वह किसी भी काम को कर सकती है, क्योंकि एक साथ होने के कारण उनकी शक्ति बढ जाती है .
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उसी तरह से अगर कोई दो व्यक्ति भी एक साथ खडे हो जाते है तो उनकी शक्ति बढ जाती है. वो आसानी से किसी से भी लड सकते है.
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'एक और एक ग्यारह होते हैं' मुहावरे का अर्थ होता है कि एकता में शक्ति होती है या मेल में शक्ति होती है अर्थात जब कोई विपत्ति के समय या विकट संकट के समय आपके साथ खड़ा हो या आपके परिवार के लोग आपके साथ खड़े हो तो आप किसी भी विपत्ति का सामना आसानी से कर सकते हैं.
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जब आपके साथ कोई दूसरा होता है आपके साथ एकता की शक्ति होती है और ऐसी परिस्थिति में ही कहा जाता है कि एक और एक ग्यारह होते हैं.
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दो और दो बाईस होना न कहने के पीछे का कोई ठोस कारण तो नहीं मिलता है, चूंकि यह मुहावरा एकता की शक्ति को बताने के लिए इस्तेमाल होता है, इसलिए इसमें एक अकेले व्यक्ति और एक से ज्यादा व्यक्तियों की शक्तियों की तुलना की गई है, इसलिए एक और एक ग्यारह कहा गया है. दो और दो बाईस कहने में प्रतीत हो रहा है कि शक्ति पहले से ही 2 लोगो की है इसलिए यह ज्यादा उचित नहीं लगता है.
Published at : 07 Mar 2023 05:24 PM (IST)
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रुमान हाशमी, वरिष्ठ पत्रकार
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