क्या आप जानते हैं पोस्टमार्टम सिर्फ दिन में ही क्यों किए जाते हैं... रात में इसलिए नहीं होते!
Postmortem: शवों का पोस्टमॉर्टम करने का समय सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के बीच का होता है. इससे पहले या बाद में पोस्टमार्टम नहीं किया जाता है. आइए इसके पीछे की वजह भी जानते हैं...

Postmortem Fact: आपने पोस्टमार्टम का नाम सुना होगा. सड़क दुर्घटना, आत्महत्या या मर्डर में जब किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो मौत का असली कारण पता करने के लिए डॉक्टर और फॉरेंसिक टीम उस व्यक्ति की बॉडी का पोस्टमार्टम करते हैं. हालांकि, किसी भी मृत व्यक्ति का पोस्टमार्टम करने से पहले उसके परिजनों की अनुमति ली जाती है. वैसे पोस्टमॉर्टम भी एक तरह का ऑपरेशन ही होता है, जिसमें मृत व्यक्ति की बॉडी को एग्जामिन कर मौत के असल कारणों का पता लगाया जाता है. इसमें एक रोचक बात यह है कि पोस्टमार्टम हमेशा दिन में ही किए जाते हैं, रात में नहीं.
अक्सर हमारे दिमाग में कई तरह के सवाल कौंधते रहते हैं, जिनका जवाब हम जानना चाहते हैं. हालांकि, जवाब खोजना थोड़ा मुश्किल होता है, लेकिन नामुमकिन नहीं. कुछ इसी तरह का एक सवाल यह भी है कि आखिर शवों का पोस्टमॉर्टम दिन में ही क्यों किया जाता है, रात में क्यों नहीं? आइए आज इसी सवाल का जवाब जानते हैं...
किसलिए होता है पोस्टमार्टम?
Postmortem एक तरह का ऑपरेशन ही होता है. इसमें शव का परीक्षण किया जाता है. परीक्षण इसलिए किया जाता है, ताकि मौत के सही कारणों को जाना जा सके. गौरतलब है कि पोस्टमॉर्टम के लिए मृतक के सगे-संबंधियों की सहमति अनिवार्य होती है. हालांकि, कुछ मामले ऐसे होते हैं जिनमें पुलिस अधिकारी भी पोस्टमॉर्टम की इजाजत दे देते हैं, जैसे कि हत्या का मामला.
मौत के 10 घंटे के बाद शरीर में होने लगते हैं बदलाव
रिपोर्ट्स की मानें तो व्यक्ति की मौत के बाद छह से 10 घंटे के भीतर ही पोस्टमॉर्टम किया जाता है, क्योंकि इससे अधिक समय होने के बाद शवों में प्राकृतिक परिवर्तन, जैसे कि शरीर और मांसपेशियों में ऐंठन होने लगती है.
रात में क्यों नहीं किया जाता?
शवों का पोस्टमॉर्टम करने का समय सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के बीच का होता है. इससे पहले या बाद में पोस्टमार्टम नहीं किया जाता है. दरअसल, ऐसा करने के पीछे वजह ये है कि रात में ट्यूबलाइट या एलईडी की कृत्रिम रोशनी में चोट का रंग लाल के बजाए बैंगनी दिखाई देता है और फॉरेंसिक साइंस में बैंगनी रंग की चोट का कोई उल्लेख नहीं है. प्राकृतिक और कृत्रिम रोशनी में चोट के रंग अलग-अलग दिखने से पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है. भारत की कोर्ट में मान्य जेसी मोदी (JC Modi) की किताब जुरिस्प्रूडेंस टॉक्सिकोलॉजी में इस बात का उल्लेख भी किया गया है.
एक कारण यह भी
इसके अलावा रात में पोस्टमॉर्टम नहीं कराने के पीछे एक धार्मिक कारण भी बताया जाता है. कई धर्मों के रीति रिवाजों के अनुसार रात को अंतिम संस्कार नहीं किया जाता है. ऐसे में वो लोग अपने मृतक परिजन का पोस्टमॉर्टम रात को नहीं करवाते हैं.
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