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महाराष्ट्र: मराठा समुदाय के विरोध में क्यों है ओबीसी नेता?

आज से 15 दिन पहले महाराष्ट्र जालना से शुरू हुआ मराठा आरक्षण अब राज्य के अन्य हिस्सों में भी पहुंच चुका है. इस राज्य में मराठा 80 के दशक से आरक्षण की मांग कर रहे हैं.

महाराष्ट्र में मराठा-ओबीसी आरक्षण का मामला एकनाथ शिंदे सरकार की गले की हड्डी बन चुका है. राज्य में पिछले कई दिनों से मराठा समुदाय आरक्षण को लेकर जगह-जगह प्रदर्शन और आंदोलन कर रहे थे. दरअसल आज से 15 दिन पहले मराठा आंदोलनकारी मनोज जरांगे मराठाओं को कुनबी जाति का प्रमाण पत्र देकर ओबीसी कोटे से आरक्षण देने की मांग को लेकर अनशन पर बैठे थे.

पिछले 15 दिनों से चल रहा ये अनशन अब आंदोलन का रूप ले चुका था और  आरक्षण का ये मांग राज्य के अन्य हिस्सों में भी पहुंच चुकी थी. इस बीच राजनीतिक दबाव बढ़ने के बाद सोमवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई गई, इस बैठक में मराठा समुदाय के आरक्षण को लेकर कानूनी से लेकर हर पहलू पर चर्चा की गई और मराठा समुदाय को आरक्षण देने पर सर्वदलीय सहमति बन गई है.

बैठक में महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि इस आरक्षण को अन्य समाज के आरक्षण में छेड़छाड़ किए बिना  लागू किया जाएगा.

अनशन पर ओबीसी नेता आक्रामक 

एक तरफ जहां पिछले कुछ दिनों में मराठाओं ने आरक्षण की मांग को लेकर जमकर प्रदर्शन किया. वहीं दूसरी तरफ इस समुदाय को ओबीसी से आरक्षण देने की मांग पर ओबीसी के नेता आक्रामक हो गए हैं. उन्होंने मराठा समुदाय को ओबीसी से आरक्षण दिए जाने का कड़ा विरोध किया है. इस विरोध में कांग्रेस और बीजेपी के कुछ नेता भी शामिल हैं.

बीजेपी नेता आशीष देशमुख ने हाल ही में मराठाओं के इस मांग का विरोध करते हुए कहा कि मराठाओं को ओबीसी कोटे से आधा फीसदी भी आरक्षण नहीं मिलना चाहिए क्योंकि ये आर्थिक तौर पर कमजोर नहीं है.

ऐसे में इस खबर में जानते हैं कि आखिर ये मराठा समुदाय के आरक्षण का पूरा मामला क्या है और इसके विरोध में ओबीसी नेता क्यों उतर आए हैं?

क्या है पूरा मामला 

दरअसल महाराष्ट्र में काफी सालों से मराठा आरक्षण को लेकर आंदोलन चल रहा है. लेकिन हाल ही में एक बार फिर यह मुद्दा तब गर्म हो गया जब दो हफ्ते पहले मराठा समुदाय के आरक्षण की मांग को लेकर एक्टिविस्ट मनोज जरांगे भूख हड़ताल पर बैठ गए.

आरक्षण को लेकर मराठा आंदोलन की आग इसी महीने की शुरुआत में जालना जिले के अंतरवली सारथी गांव में भड़की थी. उस वक्त ये प्रदर्शन काफी हिंसक हो गया था और कई पुलिसकर्मी घायल भी हो गए थे. 

वहीं दूसरी तरफ मराठाओं को ओबीसी कोटे से आरक्षण देने की मांग को देखते हुए नागपुर में ओबीसी समुदाय के लोग भी मराठाओं को आरक्षण देने के विरोध में सड़क पर उतर आए है. 

पहले जानते हैं कि कौन हैं मराठा?

मराठा महाराष्ट्र में सबसे प्रभावशाली समुदायों में से आते हैं. राज्य में इस समुदाय का प्रभाव इस से भी समझा जा सकता है कि साल 1960 में महाराष्ट्र के गठन के बाद से अब तक यानी साल 2023 तक 20 में से 12 मुख्यमंत्री मराठा समुदाय से ही रहे हैं. राज्य के वर्तमान मंत्री मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी मराठा ही हैं.

महाराष्ट्र में महाराष्ट्र में मराठाओं की आबादी लगभग 33 प्रतिशत के आसपास है. ज्यादातर मराठा मराठी भाषा बोलते हैं. 

32 सालों से आरक्षण की मांग कर रहे हैं मराठा समुदाय 

महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर ये पहला आंदोलन या प्रदर्शन नहीं है. इस राज्य में लगभग 32 साल पहले मथाडी लेबर यूनियन के नेता अन्नासाहेब पाटिल ने मुंबई में आरक्षण की मांग की थी.

उसके बाद साल 2023 में 1 सितंबर से एक बार फिर यह मुद्दा गर्म हो गया और मराठा समुदाय ओबीसी आरक्षण की मांग करने लगें. 1 सितंब को अपनी मांग को उठाते हुए किए गए प्रदर्शन में मराठाओं पर जालना में पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया था.

जालाना वही जगह है जहां जारांगे-पाटिल भूख हड़ताल पर बैठे थे. राज्य में ये मांग दशकों पुरानी है लेकिन अबतक इस मसले पर कोई स्थायी समाधान नहीं निकल सका है. हालांकि साल 2014 में सीएम पृथ्वीराज चव्हाण की सरकार ने नारायण राणे आयोग की सिफारिशों पर मराठों को 16 प्रतिशथ आरक्षण देने के लिए एक अध्यादेश पेश किया था.

मराठा आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट से झटका

साल 2018 में व्यापक विरोध के बाद भी राज्य सरकार ने मराठा समुदाय को 16 प्रतिशत रिजर्वेशन आरक्षण देने का निर्णय लिया. जिसके बाद बंबई हाईकोर्ट ने 16 प्रतिशत को घटाकर नौकरियों में 13 प्रतिशत और शैक्षणिक संस्थानों में 12 फीसदी कर दिया.

साल 2021 में सर्वोच्च न्यायलय ने राज्य सरकार के इस कदम को रद्द कर दिया. अब एक बार फिर माराठाओं का विरोध देखते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने घोषणा की थी कि मध्य महाराष्ट्र क्षेत्र के मराठा अगर निजाम युग से कुनबी के रूप में रजिसटर्ड प्रमाण पत्र पेश कर दें तो वे ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण का लाभ उठा सकते हैं.

अब क्या मांग रहे हैं मराठा?

1 सितंबर से चल रहे आंदोलन में मराठा समुदाय ओबीसी का दर्जा मांग रहे हैं. उनका कहना है कि सितंबर 1948 तक निजाम का शासन खत्म होने तक मराठा समुदाय के लोगों को कुनबी माना जाता था और वो ओबीसी में आते थे. इसलिए एक बार फिर अब इन्हें कुनबी जाति का दर्जा दिया जाए और ओबीसी में शामिल किया जाए.

क्या है कुनबी 

महाराष्ट्र में कुनबी खेती-बाड़ी से जुड़ा समुदाय है जिसे ओबीसी में शामिल किया गया है. इन लोगों को सरकारी नौकरियों से लेकर शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण मिलता है. मराठवाड़ा क्षेत्र महाराष्ट्र का हिस्सा बनने से पहले तत्कालीन हैदराबाद रियासत में शामिल था.

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