Jayant Singh: जयंत सिंह के मास्टरस्ट्रोक से मिलेगी अखिलेश को मात! सपा प्रमुख से पिता के 35 साल पुराने अपमान का बदला लेने की तैयारी
RLD Alliance with BJP: पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने की घोषणा होते ही इंडिया गठबंधन को एक और झटका लगा है. आरएलडी प्रमुख जयंत सिंह BJP के अगुवाई वाली NDA में जा सकते हैं.

Jayant Singh with BJP and NDA: केंद्र की मोदी सरकार ने शुक्रवार (9 फरवरी) को जैसे ही चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने की घोषणा की, वैसे ही इंडिया ब्लॉक में शामिल राष्ट्रीय लोकदल के बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए में जाने की चर्चा शुरू हो गई. आरएलडी यानी जयंत सिंह का इंडिया गठबंधन छोड़कर एनडीए में जाना कांग्रेस से ज्यादा सपा के लिए चौंकाने वाला रहने वाला है. अखिलेश यादव शुक्रवार सुबह यानी अवॉर्ड की घोषणा के बाद तक भी ऐसे खबरों से इंकार करते रहे कि जयंत सिंह बीजेपी के साथ जा रहे हैं. हालांकि दोपहर होते-होते जयंत के एक बयान ने सारी तस्वीर साफ कर दी और यह स्पष्ट हो गया कि अब वह बीजेपी के साथ हैं.
लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले जयंत सिंह के इस यू-टर्न ने कहीं न कहीं उस पल की याद दिला दी, जब जयंत सिंह के पिता अजीत सिंह मुलायम सिंह यादव की वजह से यूपी के सीएम बनते बनते रह गए थे. कई राजनीतिक एक्सपर्ट कह रहे हैं कि जयंत ने इस तरह अखिलेश से अपने पिता का बदला ले लिया है. चलिए आपको विस्तार से बताते हैं पूरा मामला.
जब मुलायम ने तोड़ा था अजीत सिंह का सपना
साल 1989 के चुनाव में जनता दल ने जीत दर्ज की थी. अजीत सिंह का नाम यूपी के सीएम के लिए तय हुआ था, जबकि मुलायम सिंह का नाम डिप्टी सीएम के लिए फाइनल हुआ था. चौधरी अजीत सिंह शपथ लेने की तैयारियां कर रहे थे, लेकिन अचानक मुलायम सिंह यादव ने मोर्चा खोल दिया. मुलायम की चाल की वजह से जनमोर्चा के कुछ विधायक अजीत सिंह के खिलाफ हो गए और मुलायम को सीएम बनाने की मांग करने लगे. जिस वक्त ये सब हुआ, तब केंद्र में जनता दल की सरकार थी और विश्वनाथ प्रताप सिंह देश के प्रधानमंत्री थे.
यूपी में जब पार्टी की जीत हुई तो उन्होंने ही सीएम के लिए अजीत सिंह और डिप्टी सीएम के लिए मुलायम सिंह यादव के नाम का ऐलान किया, लेकिन मुलायम ने सीएम पद की मांग कर दी. इसके बाद वीपी सिंह ने सीएम पद के उम्मीदवार के चयन के लिए विधायक दल की बैठक में गुप्त मतदान का रास्ता सुझाया. वीपी सिंह के आदेश पर मधु दंडवते, मुफ्ती मोहम्मद सईद और चिमन भाई पटेल बतौर पर्यवेक्षक यूपी पहुंचे. इस बीच मुलायम सिंह ने बाहुबली डीपी यादव की मदद से अजीत सिंह के खेमे के 11 विधायकों को अपने पक्ष में कर लिया. जब विधायक दल की बैठक में मतदान हुआ तो अजीत सिंह महज पांच वोट से हार गए और मुलायम सिंह अचानक मुख्यमंत्री बन गए.
पिछले चुनाव में साथ आई थी सपा-आरएलडी
बता दें कि आरएलडी ने 2019 में सपा के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन उसके एक भी प्रत्याशी नहीं जीते. खुद जयंत सिंह और अजीत सिंह भी चुनाव हार गए थे, लेकिन अखिलेश यादव ने जयंत सिंह को राज्यसभा भेजा. दोनों के बीच इस बार भी लोकसभा चुनाव के लिए सीट शेयरिंग का फॉर्मूला बन गया था. दोनों दल साथ मिलकर चुनाव लड़ने की तैयारी में थे, लेकिन अचानक जयंत सिंह ने पाला बदलकर अखिलेश यादव को सबसे बड़ा झटका दिया है.
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