खुजाने पर मजा आता है और मिट जाती है खुजली, जानें क्यों होता है ऐसा?
Why Itching Happens: खुजली एक सामान्य समस्या है, जो कि विभिन्न कारणों से हो सकती है. लेकिन खुजली होने पर खुजाने में मजा क्यों आता है और खुजाने से खुजली शांत क्यों हो जाती है. चलिए जानें.

कहा जाता है कि खुजली एक राज रोग है. ये बड़े-बड़े राजा महराजाओं को ज्यादा हुआ करती थी. जब कभी खुजली हो तो खुजाने का का मजा ही अलग होता है. ये कभी भी कहीं भी हो सकती है. शरीर के किसी भी हिस्से में किसी भी वक्त चाहे आप घर, ऑफिस, ट्रेन, बस, फ्लाइट कहीं पर भी हो ये होने लगती है. ये तब तक आपका पीछा नहीं छोड़ती है जब तक आप खुजली नहीं कर लेते हैं. खुजली मानव सभ्यता के इतिहास जितनी पुरानी है. बाजारों में खुजली को दूर करने के लिए तरह तरह के प्रोडक्ट्स हैं. टीवी और सोशल मीडिया पर भी इसके विज्ञापनों की बहार है. चलिए जानें कि खुजाने पर मजा क्यों आता है और कैसे मिट जाती है खुजली.
खुजाने पर मजा क्यों आता है?
खुजाने पर मजा आना और खुजली का कम होना दोनों ही एक जटिल तंत्रिका प्रतिक्रिया का परिणाम है. जब भी हम खुजाते हैं तो दर्द और खुजली की संवेदनाएं एक साथ मस्तिष्क में जाती हैं. खुजली की तुलना में दर्द की संवेदना को मस्तिष्क द्वारा ज्यादा शक्तिशाली माना जाता है, इसलिए यह खुजली की संवेदना को दबा देता है, जिससे अस्थाई तौर पर राहत मिलती है. खुजली होने पर तंत्रिका कोशिकाएं मस्तिष्क को एक संकेत भेजती हैं कि स्किन को कुछ परेशान कर रहा है. खुजलाने से हम इन तंत्रिका कोशिकाओं को उत्तेजित करते हैं.
जानें क्यों मिट जाती है खुजली
हालांकि इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि खुजलाने से हमेशा के लिए खुजली दूर नहीं होती है. असल में खुजली करने से स्किन में जलन हो सकती है और खुजली की स्थिति और बदतर हो सकती है. इसलिए खुजली से राहत पाने के लिए डॉक्टर को दिखाना, ठंडे पानी से नहाना और मॉइस्चराइजर लगाना बेहतर होता है. खुजलाने पर मजा आना और खुजली का कम होना तंत्रिका की प्रतिक्रिया है जो कि संवेदना का कारण होता है. इससे अस्थाई तौर पर राहत मिलती है, लेकिन खुजाने में मजा आता है.
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