एक्सप्लोरर

'मोहम्मद साहब के आखिरी पैगंबर की अवधारणा को चुनौती' देने वाले कादियानी मुसलमानों पर विवाद क्या है, स्मृति ईरानी ने क्यों लिखी चिट्ठी?

अहमदिया संप्रदाय के कादियानियों को गैर-मुस्लिम मानने के फैसले पर विवाद खड़ा हो गया है. लेकिन इसकी वजह क्या है, आखिर क्यों मुसलमान कादियानियों को मुसलमान का दर्जा नहीं देता.

आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड के जरिए कादियानियों (अहमदिया संप्रदाय) को गैर-मुस्लिम करार देने के फैसले पर विवाद हो गया है. इस संबंध में फरवरी में एक प्रस्ताव पारित किया गया था और वक्फ बोर्ड ने हाल ही में इस मुद्दे पर अपना रुख दोहराते हुए कादियानियों को गैर मुस्लिम करार दे दिया. अब इस पूर मामले में मोदी सरकार की एंट्री हो गई है. केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री स्मृति ईरानी ने पत्र लिखकर जमकर फटकार लगाई है और इस प्रस्ताव को नफरत भरा करार दिया. स्मृति ईरानी के पत्र के बाद 24 जुलाई को जमीयत उलेमा-ए-हिंद  ने आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड के रुख का समर्थन किया. 

स्मृति ईरानी  के पत्र में क्या लिखा था

स्मृति ईरानी ने अपने पत्र में जोर देकर कहा कि कादियानी वही हैं जो होने का वो दावा करते हैं. उन्होंने आगे कहा कि देश में कोई भी कानून वक्फ बोर्ड को किसी को भी उसके ईमान (विश्वास प्रणाली) से निष्कासित करने का अधिकार नहीं देता है. उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी राज्य स्तर पर होते हुए सरकारी प्रणाली में हस्तक्षेप नहीं कर सकता. 'मैंने संबंधित सरकार से वक्फ बोर्ड के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया है'.

केंद्रीय मंत्री की टिप्पणी पर जमीयत उलेमा ने आपत्ति जताई और कहा कि स्मृति ईरानी का अलग दृष्टिकोण पर जोर देना 'अनुचित और अतार्किक' है. जमीयत ने 25 जुलाई को जारी एक बयान में कहा कि इस्लामी मान्यताओं के खिलाफ मिर्जा गुलाम अहमद कादियानी (कादियानी समूह के संस्थापक) ने एक ऐसा रुख अपनाया जो पैगंबर की अवधारणा को चुनौती देता है.

जमीयत का कहना है कि इस तथ्य के बाद कादियानी खुद को एक इस्लामी संप्रदाय नहीं मान सकता. सभी इस्लामी विचारधाराएं सहमत हैं कि यह समूह गैर-मुस्लिम है. ये दावा है कि वर्ल्ड मुस्लिम लीग ने साल 1974 में 6 से 10 अप्रैल तक बैठक की थी. इस बैठक में एक सौ दस देशों के प्रतिनिधियों ने साथ में ये आम सहमति बनाई थी, और ये घोषणा की थी कि यह समूह इस्लाम के दायरे से बाहर है और मुसलमानों के प्रति शत्रुता रखता है.

इसके अलावा विभिन्न अदालतों ने अतीत में कादियानियों के बारे में फैसले जारी किए हैं. 1935 में बहावलपुर और 1912 में मुंगेर के सब-जज ने उन्हें मस्जिदों में प्रवेश करने से रोक लगा दिया. इसके अलावा 1974 में संयुक्त अरब अमीरात के सर्वोच्च न्यायालय ने कादियानियों के निर्वासन का आदेश दिया. 1937 में मॉरीशस के मुख्य न्यायाधीश ने घोषणा कि कादियानी गैर-मुस्लिम हैं. 

हजरत मुहम्मद को अंतिम पैगंबर नहीं मानते कादियानी

इस्लाम धर्म में हजरत मोहम्मद (सल्ल.) को आखिरी पैगंबर के तौर पर माना गया है यानि कि उनके बाद अब इस दुनिया में कोई पैगंबर नहीं आएगा. उनका बनाया कानून ही अंतिम कानून होगा और पवित्र कुरान ही अंतिम अल्लाह की किताब है. कोई नबी नहीं हो सकता है जो एक नया शरिया (जिंदगी जीने का कानून) ला सके. कादियानी फिरके में मिर्ज़ा गुलाम अहमद कादियानी को पैगंबर माना जाता है. ऐसे फिरकों को इस्लाम से खारिज किया गया है. 

जामिया मिल्लिया इस्लामिया के इस्लामी अध्ययन के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर अख्तरुल वासे ने एबीपी न्यूज को बताया, 'मुसलमान होने के लिए पहली और अंतिम शर्त ये है कि अल्लाह के एक होने पर यकीन रखा जाए.  हजरत मुहम्मद (सल्ल.) के अंतिम पैगंबर होने पर यकीन रखा जाए. अहमदिया मुसलमान बुनियादी तौर पर मिर्ज़ा गुलाम अहमद कादियानी को आखिरी नबी के रूप में मानते हैं. यही वजह है कि आम मुसलमान कादियानी मुसलमानों को मुस्लिम होने के दर्जा नहीं देता है.' 

प्रोफेसर वासे ने आगे कहा कि 21 वीं सदी के बीच में मिर्ज़ा गुलाम अहमद कादियानी, डेविड कोरेश, जिम जोन्स और चार्ल्स मेसन जैसे एक कुख्यात पंथ नेता थे. ये वो लोग थे जिन्होंने एक नया धर्म शुरू करने का दावा किया. उन्होंने खुद भगवान होने का दावा किया. जैसे कादियानी का ये दावा था कि वो खुद पैगंबर हैं. इसी बात को लेकर झगड़ा शुरू हुआ. कादियानों में आगे चल कर दो गुट हो गए. पहला कादियानी कहलाया और दूसरा लाहौर वाला जो अहमदिया कहलाता है. 

वासे ने बताया 'अहमदिया नबी को नहीं मानते. जो इंसान खुद को मुसलमान कहता है और ये भी कहता है कि हम नबी को नहीं मानते, वो कैसे मुसलमान हो सकता है. क्या वो खुद को पैगंबर मानता है?  कादियानी मिर्ज़ा गुलाम अहमद कादियानी को अंतिम सुधारक मानते हैं. इनके विचारों के अनुसार पैगंबर और कुरान उनके लिए भी अंतिम हैं. लेकिन उनका मानना है कि मिर्जा गुलाम अहमद कादियानी अंतिम सुधारक है, जिसका जिक्र पैगंबर ने भी किया था. 

मिर्ज़ा गुलाम अहमद कौन हैं? 

मिर्ज़ा गुलाम अहमद कादियानी का जन्म 1839 ईस्वी में भारत में पंजाब के कादियान गांव में हुआ था.  प्रोफेसर वासे ने कहा कि कादियान में मिर्ज़ा गुलाम अहमद एक ऐसे व्यक्ति माने जाते थे जो हर मायने में उपनिवेशवादियों के प्रति वफादार और आज्ञाकारी थे. एक गांव के कुछ लोगों ने उन्हें तथाकथित नबी की भूमिका के लिए चुना. वो मुसलमानों को अंग्रेजी उपनिवेशवादियों के खिलाफ जिहाद छेड़ने पर रोकने का काम करते थे. ब्रिटिश सरकार ने मिर्ज़ा गुलाम पर बहुत एहसान किए थे. इसलिए वे अंग्रेजों के प्रति वफादार थे. गुलाम अहमद खुद को एक 'अनुयायी पैगंबर' (जिल्ली नबी) और अल्लाह द्वारा चुना गया मसीहा मानते थे. 

वासे ने कहा कि कोई भी इस्लाम का मानने वाला खत्म-ए-नबूअत को मानता है यानी पैंगबर मोहम्मद के बाद कोई पैगंबर नहीं होगा. लेकिन कादियानी समुदाय ये दावा करता है कि पैगंबर मोहम्मद के बाद मिर्ज़ा गुलाम अहमद अंतिम सुधारक थे. इसलिए ये बात इस्लाम की बुनियाद के खिलाफ मानी जाती रही है इसी को लेकर विवाद है. 

अहमदिया मुस्लिम समुदाय की एक वेबसाइट का कहना है कि धार्मिक संप्रदाय के अनुयायियों का मानना है कि उनके संस्थापक को खुदा ने 'धार्मिक युद्धों को खत्म करने, रक्तपात की निंदा करने और नैतिकता, न्याय और शांति बहाल करने' के लिए भेजा था. अहमदिया समुदाय के कादियानी लोगों का मानना है कि गुलाम अहमद को पैगंबर मोहम्मद द्वारा निर्धारित कानूनों का प्रसार करने के लिए भेजा गया था. 

बता दें कि भारत में अहमदिया समाज के लगभग  10 लाख से ज्यादा लोग हैं. 2016 तक  समुदाय दुनिया के 209 देशों में पाए गए हैं. ये समुदाय दुनिया के लगभग हर देश में एक अल्पसंख्यक मुस्लिम समूह है. कुछ देशों में एक अहमदी मुस्लिम होना व्यावहारिक रूप से गैर कानूनी है. 

पाकिस्तान में एक अध्यादेश के बाद अहमदिया खुद को मुसलमान नहीं कह सकते हैं. पाकिस्तान में ये समुदाय सार्वजनिक रूप से इस्लामी पंथ में शामिल नहीं हो सकते हैं.  पाकिस्तान में ये मुसलमान अपने पूजा स्थलों को मस्जिद नहीं कह सकते हैं.  

वर्ल्ड क्रिश्चियन इनसाइक्लोपीडिया के अनुसार, अहमदिया आंदोलन 21 वीं सदी की शुरुआत में सबसे तेजी से बढ़ता इस्लामी समूह है. सबसे बड़ी अहमदिया आबादी वाला देश पाकिस्तान है, जिसमें अनुमानित 4 मिलियन अहमदी मुसलमान हैं.  छोटे देशों को छोड़कर व्यापक मुस्लिम आबादी में अहमदी मुसलमानों के सबसे बड़े अनुपात वाला देश घाना है.  यहां पर 16% अहमदिया मुसलमान हैं. कुल जनसंख्या का सबसे ज्यादा प्रतिशत वाला देश सिएरा लियोन है. यहां पर 8 प्रतिशत अहमदिया मुसलमान हैं.

पाकिस्तान में दशकों से अहमदिया समुदाय का बड़े पैमाने पर उत्पीड़न होता रहा है. समुदाय के सदस्यों, पूजा स्थलों पर हमले होते रहे हैं और उनकी कब्रों को तोड़-फोड़ की जाती रही है. मई 1974 में जमात-ए-इस्लामी के छात्रों के एक समूह द्वारा किए गए दंगों में कम से कम 27 अहमदिया मारे गए थे. समुदाय की मस्जिदों, घरों और दुकानों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था. 

हिंसा के बाद पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने अहमदियों को 'गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक' घोषित कर दिया. इससे समुदाय के सदस्यों के मस्जिदों में जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया. 

सैन्य तानाशाह जिया-उल-हक ने पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय को और अलग कर दिया. उन्होंने एक अध्यादेश पेश किया जिसने अल्पसंख्यक समुदाय को खुद को मुसलमान कहने से रोक दिया और उन्हें अपने धर्म को इस्लाम कहने पर सजा का प्रावधान कर दिया गया.  

अहमदिया समुदाय पर हाल ही में हुए हमले

इस साल जनवरी की शुरुआत में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के वजीराबाद में अहमदी समुदाय की एक ऐतिहासिक मस्जिद को कथित तौर पर जिला प्रशासन ने अपवित्र कर दिया था. हमले की निंदा करते हुए पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) ने देश के अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों की सुरक्षा का आह्वान किया था. एएनआई के मुताबिक एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 से कम से कम 13 अहमदिया मारे गए हैं और 40 घायल हुए हैं.

पिछले साल नवंबर में पंजाब प्रांत के एक अहमदी कब्रिस्तान में चार मकबरे को तोड़ दिया गया था और उन पर अहमदी विरोधी विशेषण लिखे गए थे. हिंसक हमलों के अलावा पाकिस्तान के 5,00,000 अहमदिया समुदाय को भी देश के सख्त ईशनिंदा कानूनों के तहत निशाना बनाया जा रहा है.

2021 में अल जज़ीरा की एक रिपोर्ट के अनुसार 2020 में अहमदी समुदाय के सदस्यों के खिलाफ कम से कम 30 ईशनिंदा के मामले और धर्म से संबंधित 71 अन्य कानूनी मामले दर्ज किए गए थे. 

और पढ़ें
Sponsored Links by Taboola
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

जैसे ही दागी, वैसे ही हो गई ढेर... पाकिस्तान की शाहीन मिसाइल निकली फिसड्डी; आसिम मुनीर के अरमानों पर फिर गया पानी
जैसे ही दागी, वैसे ही हो गई ढेर... पाकिस्तान की शाहीन मिसाइल निकली फिसड्डी; आसिम मुनीर के अरमानों पर फिर गया पानी
जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य के दर्ज पर फारूक अब्दुल्ला का बड़ा बयान, 'कांग्रेस ने हमेशा हमारा...'
जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य के दर्ज पर फारूक अब्दुल्ला बोले, 'कांग्रेस ने हमेशा हमारा साथ दिया'
खूबसूरती में बबीता जी को भी फेल करती है जेठालाल के 'बापूजी' की पत्नी, मिलिए चंपक चाचा की रियल लाइफ पार्टनर से
खूबसूरती में बबीता जी को भी फेल करती है जेठालाल के 'बापूजी' की पत्नी, मिलिए चंपक चाचा की रियल लाइफ पार्टनर से
युवराज सिंह या शाहिद अफरीदी, किसकी वाइफ हैं ज्यादा पढ़ी-लिखी? यहां जानें
युवराज सिंह या शाहिद अफरीदी, किसकी वाइफ हैं ज्यादा पढ़ी-लिखी? यहां जानें
Advertisement

वीडियोज

Flood News: बाढ़-बारिश का टॉर्चर जारी, सेना बनी देवदूत ! Indian Army | Jammu & Kashmir | Weather
Flood News: कुदरत का प्रहार, बारिश से 'हाहाकार' | Indian Army | Jammu & Kashmir | Monsoon
Indiqube Spaces IPO में Invest करने से पहले जानें GMP, Allotment, Review, Buy?| Paisa Live
GNG Electronics IPO में Invest करने से पहले जानें GMP, Allotment, Review, Buy?| Paisa Live
'Jagdeep Dhankhar ने अचानक क्यों दिया इस्तीफा, जवाब दें'! पप्पू यादव से लेकर इन नेताओं को आया गुस्सा
Advertisement
corona
corona in india
470
Active
29033
Recovered
165
Deaths
Last Updated: Sat 19 July, 2025 at 10:52 am | Data Source: MoHFW/ABP Live Desk
Advertisement

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
जैसे ही दागी, वैसे ही हो गई ढेर... पाकिस्तान की शाहीन मिसाइल निकली फिसड्डी; आसिम मुनीर के अरमानों पर फिर गया पानी
जैसे ही दागी, वैसे ही हो गई ढेर... पाकिस्तान की शाहीन मिसाइल निकली फिसड्डी; आसिम मुनीर के अरमानों पर फिर गया पानी
जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य के दर्ज पर फारूक अब्दुल्ला का बड़ा बयान, 'कांग्रेस ने हमेशा हमारा...'
जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य के दर्ज पर फारूक अब्दुल्ला बोले, 'कांग्रेस ने हमेशा हमारा साथ दिया'
खूबसूरती में बबीता जी को भी फेल करती है जेठालाल के 'बापूजी' की पत्नी, मिलिए चंपक चाचा की रियल लाइफ पार्टनर से
खूबसूरती में बबीता जी को भी फेल करती है जेठालाल के 'बापूजी' की पत्नी, मिलिए चंपक चाचा की रियल लाइफ पार्टनर से
युवराज सिंह या शाहिद अफरीदी, किसकी वाइफ हैं ज्यादा पढ़ी-लिखी? यहां जानें
युवराज सिंह या शाहिद अफरीदी, किसकी वाइफ हैं ज्यादा पढ़ी-लिखी? यहां जानें
10 अनहेल्दी फास्ट फूड, आपका फेवरेट बर्गर या पिज्जा बना सकता है बीमार...रिपोर्ट में हुआ खुलसा
10 अनहेल्दी फास्ट फूड, आपका फेवरेट बर्गर या पिज्जा बना सकता है बीमार...रिपोर्ट में हुआ खुलसा
'परिवारों को मिले गलत शव', अहमदाबाद प्लेन क्रैश पर यूके के परिजनों का दावा; MEA ने दिया ये जवाब
'परिवारों को मिले गलत शव', अहमदाबाद प्लेन क्रैश पर यूके के परिजनों का दावा; MEA ने दिया ये जवाब
अब कभी खड़ा नहीं होगा...स्टंट करते हुए मुंह के बल गिरा रीलपुत्र- फिर बाइक ने ऐसे तोड़ी कमर- वीडियो वायरल
अब कभी खड़ा नहीं होगा...स्टंट करते हुए मुंह के बल गिरा रीलपुत्र- फिर बाइक ने ऐसे तोड़ी कमर- वीडियो वायरल
बरसात के मौसम में किस टेंपरेचर पर चलाना चाहिए एसी? नहीं जानते होंगे आप
बरसात के मौसम में किस टेंपरेचर पर चलाना चाहिए एसी? नहीं जानते होंगे आप
Embed widget