वोटर लिस्ट रिवीजन में क्या-क्या देखता है चुनाव आयोग? जानें कैसे काटे जाते हैं लोगों के नाम
Bihar Voter List Intensive Revision: बिहार में वोटिंग लिस्ट रिवीजन को लेकर माहौल गरमाया है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का भी फैसला आ गया है. चलिए जानें कि वोटर लिस्ट रिवीजन में क्या जांचा जाता है.

बिहार में मतदाता लिस्ट की स्क्रीनिंग पर जमकर बवाल चल रहा है. आज इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी. जिसमें सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि उसे चुनाव आयोग के किसी ऐसे कदम से समस्या नहीं है, लेकिन समस्या इसकी टाइमिंग को लेकर है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण कराने के चुनाव आयोग के कदम में तर्क तो है, लेकिन विधानसभा चुनाव से कुछ वक्त पहले ही होने वाली इस कवायद को लेकर समय पर सवाल उठा है. इस दौरान जस्टिस सुधांशु धूलिया ने कहा है कि आपकी प्रक्रिया में समस्या नहीं है, लेकिन समस्या समय की है. क्योंकि जिन लोगों को लिस्ट से हटाया जा सकता है, उनके पास अपील के लिए वक्त नहीं रहेगा. अब यह भी जान लेते हैं कि वोटर लिस्ट रिवीजन में चुनाव आयोग क्या क्या देखता है और लोगों के नाम किस तरीके से काटे जाते हैं.
वोटर लिस्ट रिवीजन में क्या देखता है चुनाव आयोग
चुनाव आयोग का काम वोटिंग कराने के साथ-साथ मतदाता लिस्ट को अपटेड करना भी है. अगर कोई मर गया है या फिर किसी ने क्षेत्र बदल दिया है, तो लिस्ट से उसका नाम हटा दिया जाता है. अगर कोई 18 साल का हो गया है तो उसका नाम वोटिंग लिस्ट में जोड़ दिया जाता है. चुनाव आयोग हर चुनाव से पहले साला विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण करता है. हालांकि इस दौरान जिन लोगों का नाम पहले से वोटर लिस्ट में होता है, उनको कोई कागज नहीं दिखाना होता है. लेकिन इस बार बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण का फैसला किया गया था, जो कि आज से 22 साल पहले 2003 में हुआ था.
रिवीजन में किसे नहीं दिखाने होंगे दस्तावेज
संविधान का अनुच्छेद 326 वोटर की पात्रता बताता है. इस पुनरीक्षण में सभी पात्र लोग शामिल होंगे. आयोग साल 2003 की मतदाता लिस्ट वेबसाइट पर अपलोग करेगा. जो भी शख्स 1 जनवरी 2003 की मतदाता लिस्ट में शामिल है, उसे संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत प्राथमिक दृष्टिकोंण से तो मान्य माना जाएगा. इन लोगों को कागज जमा करने या फिर दिखाने की जरूरत नहीं है. इस लिस्ट में शामिल करीब 4.96 करोड़ मतदाताओं को मतदाता लिस्ट के गहन पुनरीक्षण के लिए गणना प्रपत्र के साथ अटैच किए जाने वाले संबंधित हिस्से को निकालने में सुविधा होगी.
क्यों कटेंगे वोटर लिस्ट से नाम
जब वोटिंग लिस्ट में रिवीजन होगा तो जो फर्जी वोटर्स हैं, जाहिर सी बात है कि उनका लिस्ट में से नाम काट दिया जाएगा. इस लिस्ट में गलत तरीके से नाम जोड़ने वालों की पहचान होगी और जितने भी फर्जी के वोटर्स होंगे उनके नाम हटा दिए जाएंगे. ये संख्या हजारों में हो सकती है. यहां देखने वाली बात यह है कि 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला दिया था, जिसमें कहा गया था कि जिसका नाम वोटर लिस्ट में शामिल है, उसे नहीं हटाया जा सकता है. ऐसे में लोगों का कहना है कि यह तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन हो रहा है.
कैसे कटते हैं वोटर लिस्ट से नाम
वोटिंग लिस्ट से मतदाताओं के नाम हटाए जाने संभव है. लेकिन इसके लिए प्रक्रिया का पालन करना होता है. इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर की ओर से मतदाताओं के नाम का ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया जाता है. ड्राफ्ट जारी होने के बाद संबंधित एरिया का वोटर किसी भी नाम पर आपत्ति जताते हुए उसे वोटिंग लिस्ट से हटाने के लिए आवेदन कर सकता है. यह लिस्ट सभी राजनीतिक दलों को भेजी जाती है. इसमें फॉर्म-7 की अहम भूमिका होती है. अगर कोई इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर यह बताना चाहता है कि किसी वोटर का नाम किसी भी कारण से उस क्षेत्र की चुनावी लिस्ट में शामिल नहीं होना चाहिए, उसके लिए उसे पहले फॉर्म-7 के जरिए आपत्ति दर्ज करानी होती है. जिसका नाम काटा जा रहा है, उसके नाम पर पहले नोटिस भेजा जाता है. जब नोटिस का जवाब नहीं मिलता है तो लिस्ट से नाम काट दिया जाता है.
बिहार में वोटिंग लिस्ट से फर्जी वोटर्स हटाने के लिए क्या है लूपहोल?
बिहार में होने जा रहे वोटिंग लिस्ट रिवीजन में जितने भी फर्जी मतदाता होंगे, जो भी दस्तावेज दिखाकर अपनी भारतीय नागरिकता साबित नहीं कर पाएंगे, उन सभी के नाम काट दिए जाएंगे और ये मान लिया जाएगा कि वे फर्जी मतदाता थे. ये संख्या हजारों में हो सकती है. ऐसे में लूपहोल यह है कि कई असली वोटर्स के नाम भी काटे जाने का डर है.
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