एक्सप्लोरर

कौन होगा कर्नाटक का सीएम, कांग्रेस के पास हैं फैसला लेने के लिए तीन रास्ते?

बेंगलुरु में विधायकों ने एक स्वर से मुख्यमंत्री चुनने का अधिकार कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को दिया है, जिसके बाद कांग्रेस के भीतर 3 फॉर्मूले की चर्चा तेज हो गई है.

कर्नाटक में कांग्रेस के दो बड़े नेता पूर्व सीएम सिद्धारमैया और प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार दिल्ली आ चुके हैं. कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बाद एक ही सवाल बना हुआ है, अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? कर्नाटक कांग्रेस में मुख्यमंत्री की रेस में चार दावेदार हैं, लेकिन डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया का पक्ष सबसे मजबूत माना जा रहा है. 

कांग्रेस हाईकमान मुख्यमंत्री का मसला आसानी से सुलझा लेने का दावा कर रहा है. बेंगलुरु में विधायकों ने एक स्वर से मुख्यमंत्री चुनने का अधिकार कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को दिया है, जिसके बाद कांग्रेस के भीतर 3 फॉर्मूले की चर्चा तेज हो गई है.

तीन में से दो फॉर्मूला डीके शिवकुमार के पक्ष में बताया जा रहा है, तो एक फॉर्मूला सिद्धारमैया के पक्ष में. दिल्ली में खरगे से चर्चा के बाद ऑब्जर्वर फिर से बेंगलुरु जाएंगे.

कांग्रेस के भीतर किस 3 फॉर्मूले की चर्चा है?
1. प्रदेश अध्यक्ष को विधायक दल का नेता चुनना- कांग्रेस के भीतर सबसे ज्यादा चर्चा इसी फॉर्मूले की हो रही है. 2015 के बाद कांग्रेस 5 राज्यों में अपने बूते सरकार बनाने में कामयाब रही है. इनमें पंजाब (2017), मध्य प्रदेश (2018), छत्तीसगढ़ (2018), राजस्थान (2018) और हिमाचल(2022) है.

5 में से 3 राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष को ही विधायक दल का नेता यानी की मुख्यमंत्री चुना गया. महाराष्ट्र में भी महाविकास अघाड़ी की सरकार बनी तो कांग्रेस की ओर से तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष बाला साहेब थोराट ही विधायक दल के नेता बनाए गए. थोराट उद्धव कैबिनेट में भी शामिल हुए. 

कांग्रेस में 2014 से पहले भी अमूमन प्रदेश अध्यक्ष को विधायक दल का नेता चुनने की परंपरा रही है. 2013 में जीतने के बाद कर्नाटक में तत्कालीन अध्यक्ष सिद्धारमैया को सीएम बनाया गया था. 2012 में हिमाचल में सरकार बनी थी तो उस वक्त भी अध्यक्ष रहे वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री बने थे.

कांग्रेस में इस फॉर्मूला के लागू होने की चर्चा सबसे अधिक है. अगर ऐसा होता है, तो डीके शिवकुमार का पलड़ा भारी हो जाएगा और वे मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच सकते हैं. इस फॉर्मूले के लागू होने से सिद्धारमैया को बड़ा झटका लग सकता है. 

2. हिमाचल में सुक्खू और पंजाब में चन्नी वाला फॉर्मूला- साल 2021 में हाईकमान से नाराज होकर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जब मुख्यमंत्री का पद छोड़ा, तो उसके बाद कई नामों की चर्चा तेज हो गई. इनमें सिद्धू और सुनील जाखड़ के नाम प्रमुख था, लेकिन आखिर में चरणजीत सिंह चन्नी के नाम पर मुहर लगी.

हिमाचल में भी 2022 में जीत के बाद प्रतिभा सिंह, मुकेश अग्निहोत्री और सुखविंदर सिंह सुक्खू के नाम की चर्चा थी, लेकिन आखिर में सुक्खू के नाम पर हाईकमान ने मुहर लगाई. 

कांग्रेस के सियासी गलियारों में इन दोनों चयन के पीछे राहुल गांधी की पसंद को माना गया. यानी कांग्रेस में मुख्यमंत्री बनने का एक फॉर्मूला राहुल की पसंद भी है. कर्नाटक में भी मुख्यमंत्री चयन में राहुल की पसंद को तरजीह दी जा सकती है. 

हालांकि, गांधी परिवार की ओर से अब तक खुलकर किसी के समर्थन में बैटिंग करने की बात नहीं आई है, लेकिन माना जा रहा है कि यहां भी डीके शिवकुमार का पलड़ा भारी है. मल्लिकार्जुन खरगे ऑब्जर्वर से रिपोर्ट मिलने के बाद गांधी परिवार से नाम को लेकर सलाह मशविरा कर सकते हैं. 

3. सत्ता भागीदारी का एडजेस्टमेंट फॉर्मूला- राजस्थान की तरह कर्नाटक में भी सत्ता भागीदारी का एडजेस्टमेंट फॉर्मूला लागू होने की चर्चा है. चूंकि सिद्धारमैया और शिवकुमार दोनों के समर्थन में अधिकांश विधायक हैं, इसलिए पार्टी कर्नाटक में रिस्क नहीं लेना चाहती है. 

सिद्धारमैया और शिवकुमार दोनों अपने पक्ष में 65 से अधिक विधायकों के होने का दावा कर रहा है. सिद्धारमैया मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. ऐसे में उन्हें हाईकमान इग्नोर भी नहीं कर सकती है. इस सूरत में एडजेस्टमेंट फॉर्मूला लागू किया जा सकता है.

राजस्थान की तरह यहां भी एक को मुख्यमंत्री और एक को उपमुख्यमंत्री की कमान मिल सकती है. यह फॉर्मूला अगर लागू हुआ तो सिद्धारमैया को सीएम की कुर्सी मिल सकती है.

हालांकि, मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सिद्धारमैया 2 साल के लिए ही मुख्यमंत्री रहना चाहते हैं.

ऑब्जर्वर ने ली विधायकों की राय, खरगे के सामने खुलेगा पर्ची
कांग्रेस ने विधायकों की राय लेने के लिए सुशील कुमार शिंदे, जितेंद्र सिंह और दीपक बावरिया को बेंगलुरु भेजा था. तीनों नेताओं ने संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और प्रभारी रणदीप सुरजेवाला के साथ मिलकर एक-एक विधायकों की राय ले ली है. 

बैलेट पेपर से विधायकों की राय लिए जाने की बात कही जा रही है. कांग्रेस हाईकमान इसी को आधार बनाते हुए आगे का फैसला करेगी. 

जितेंद्र सिंह ने पत्रकारों से कहा कि बेंगलुरु से दिल्ली जाएंगे और खरगे जी को पूरी रिपोर्ट सौपेंगे. इसके बाद ही मुख्यमंत्री का नाम फाइनल होगा. खरगे के सामने विधायकों की राय वाली पर्ची खोली जाएगी. 

ऑब्जर्वर की रिपोर्ट लेने के बाद खरगे सुरजेवाला और वेणुगोपाल से मशवरा करेंगे. खरगे सिद्धारमैया और शिवकुमार से भी चर्चा करेंगे. दोनों नेताओं को दिल्ली भी बुलाया जा सकता है.

सीएम के लिए सिद्धारमैया और शिवकुमार खेमे की दलील क्या है?

सिद्धारमैया के पक्ष में दलील- हैदराबाद-कर्नाटक और कल्याण कर्नाटक के अधिकांश विधायक सिद्धारमैया के समर्थन में हैं. सिद्धारमैया 2013 से 2018 तक सरकार चला चुके हैं और उनकी योजनाओं को खूब लोकप्रियता मिली थी.

सिद्धारमैया के समर्थक उनके उम्र का हवाला देते हुए कम से कम 2 साल के लिए मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहे हैं. सिद्धारमैया ऐलान भी कर चुके हैं कि इसके बाद अब वे चुनाव नहीं लड़ेंगे. सिद्धारमैया सीएम रह चुके हैं. ऐसे में कांग्रेस के पास उनको मुख्यमंत्री की कुर्सी देने के अलावा और कोई पद भी नहीं है.

सिद्धारमैया के समर्थन में लिंगायत, मुस्लिम और ओबीसी विधायकों के भी होने की बात कही जा रही है. सिद्धारमैया एक बार जेडीएस छोड़ चुके हैं, इसलिए हाईकमान को कांग्रेस से पलटी मारने का भी डर है.

शिवकुमार के पक्ष में दलील- रिजल्ट के बाद पत्रकारों से बात करते हुए शिवकुमार ने पार्टी को कुर्बानी की याद दिलाई. शिवकुमार समर्थकों का कहना है कि 2013 में उन्होंने हाईकमान के कहने पर सिद्धारमैया का विरोध नहीं किया और उनकी कैबिनेट में शामिल हुए.

शिवकुमार समर्थकों का कहना है कि 2017 में अहमद पटेल की सांसदी बचाने की वजह से वे सेंट्रल एजेंसी की रडार पर आए. 2019 में उन्हें सेंट्रल एजेंसी की कार्रवाई की वजह से जेल में भी रहना पड़ा.

शिवकुमार के समर्थक सिद्धारमैया के चुनावी परफॉर्मेंस का भी हवाला दे रहे हैं. 2014, 2018 और 2019 में सिद्धारमैया के रहते हुए कांग्रेस की करारी हार हुई थी. 

और देखें
Sponsored Links by Taboola
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

'हिंदुओं में दान, ईसाइयों में चैरिटी, ऐसे ही वक्फ, इस्लाम में ये जरूरी नहीं...', CJI गवई के सामने तुषार मेहता ने दी तगड़ी दलील
'हिंदुओं में दान, ईसाइयों में चैरिटी, ऐसे ही वक्फ, इस्लाम में ये जरूरी नहीं...', CJI गवई के सामने तुषार मेहता ने दी तगड़ी दलील
आसिम मुनीर के प्रमोशन से पाकिस्तान में होगा तख्तापलट? एक संकेत हुआ स्पष्ट, दूसरा हुआ तो...
आसिम मुनीर के प्रमोशन से पाकिस्तान में होगा तख्तापलट? एक संकेत हुआ स्पष्ट, दूसरा हुआ तो...
'ऑपरेशन सिंदूर तो झांकी है, हल्दी-मेहंदी अभी बाकी है', धीरेंद्र शास्त्री ने पाकिस्तान को दी चेतावनी
'ऑपरेशन सिंदूर तो झांकी है, हल्दी-मेहंदी अभी बाकी है', धीरेंद्र शास्त्री ने पाकिस्तान को दी चेतावनी
एमपी के इन 5 शहरों की कायापलट, कैबिनेट ने लिया बड़ा फैसला, क्या है सीएम मोहन यादव का प्लान?
एमपी के इन 5 शहरों की कायापलट, कैबिनेट ने लिया बड़ा फैसला, क्या है सीएम मोहन यादव का प्लान?
Advertisement

वीडियोज

Fadnavis Cabinet Expansion: फडणवीस कैबिनेट में छगन भुजबल के शामिल होने पर क्या बोले संजय राऊत?Murshidabad Violence: SIT रिपोर्ट आने के बाद BJP ने Mamata Banerjee की TMC पर लगाए संगीन आरोपActor Suresh Oberoi ने बताया Operation Sindoor से देश को कितना फायदा हुआ, Pak को खूब सुनायाUP में Yogi सरकार बदल रही है मदरसों का सिलेबस, पढ़ाई जाएंगी NCERT की किताबें, फ्री मिलेंगी किताबें
Advertisement
Advertisement

फोटो गैलरी

Thu May 22, 2:33 am
नई दिल्ली
28.9°
बारिश: 0 mm    ह्यूमिडिटी: 57%   हवा: ESE 15.4 km/h

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
'हिंदुओं में दान, ईसाइयों में चैरिटी, ऐसे ही वक्फ, इस्लाम में ये जरूरी नहीं...', CJI गवई के सामने तुषार मेहता ने दी तगड़ी दलील
'हिंदुओं में दान, ईसाइयों में चैरिटी, ऐसे ही वक्फ, इस्लाम में ये जरूरी नहीं...', CJI गवई के सामने तुषार मेहता ने दी तगड़ी दलील
आसिम मुनीर के प्रमोशन से पाकिस्तान में होगा तख्तापलट? एक संकेत हुआ स्पष्ट, दूसरा हुआ तो...
आसिम मुनीर के प्रमोशन से पाकिस्तान में होगा तख्तापलट? एक संकेत हुआ स्पष्ट, दूसरा हुआ तो...
'ऑपरेशन सिंदूर तो झांकी है, हल्दी-मेहंदी अभी बाकी है', धीरेंद्र शास्त्री ने पाकिस्तान को दी चेतावनी
'ऑपरेशन सिंदूर तो झांकी है, हल्दी-मेहंदी अभी बाकी है', धीरेंद्र शास्त्री ने पाकिस्तान को दी चेतावनी
एमपी के इन 5 शहरों की कायापलट, कैबिनेट ने लिया बड़ा फैसला, क्या है सीएम मोहन यादव का प्लान?
एमपी के इन 5 शहरों की कायापलट, कैबिनेट ने लिया बड़ा फैसला, क्या है सीएम मोहन यादव का प्लान?
Mukesh Khanna Shaktimaan: दोस्त से उधार लिए पैसे, स्टाफ तक ने की मदद, ऐसे पाई-पाई जोड़कर मुकेश खन्ना ने शूट किया था शक्तिमान
दोस्त से उधार लिए पैसे, स्टाफ तक ने की मदद, ऐसे पाई-पाई जोड़कर मुकेश खन्ना ने शूट किया था शक्तिमान
IPL 2025: वैभव सूर्यवंशी को 1 रन बनाने के मिले 43,650 रुपये, IPL 2025 से हुई इतने करोड़ की कमाई
वैभव सूर्यवंशी को 1 रन बनाने के मिले 43,650 रुपये, IPL 2025 से हुई इतने करोड़ की कमाई
टीजर के तुरंत बाद होंडा की नई एडवेंचर स्कूटर भारत में लॉन्च, जानें कीमत और फीचर्स
टीजर के तुरंत बाद होंडा की नई एडवेंचर स्कूटर भारत में लॉन्च, जानें कीमत और फीचर्स
प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद पर भड़के SC के जस्टिस सूर्यकांत, बोले- इसे Dog Whistling कहते हैं, जो आपने चीप पब्लिसिटी के लिए....
इसे Dog Whistling कहते हैं, चीप पब्लिसिटी.... प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद पर भड़के SC के जस्टिस सूर्यकांत
Embed widget