India Stands Between China America War: अमेरिका और चीन में युद्ध हुआ तो क्या होगा भारत का रुख? इतिहास के इन पन्नों में छिपा है जवाब
India Stands Between China America War: चीन ने अमेरिका को युद्ध की धमकी दी है. वहीं अमेरिका ने भी इसका करारा जवाब दिया है. अगर दोनों देशों में युद्ध हुआ तो भारत का रुख क्या होगा.

India Stands Between China America War: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जब से नई टैरिफ की नीतियां लागू की हैं, तब से चीन का रुख कुछ सख्त हो गया है. चीन ने अमेरिका को खुली चेतावनी दी है कि अगर अमेरिका व्यापारिक युद्ध छेड़ना चाहता है तो वो भी इस संघर्ष में पूरी तरीके से डटकर मुकाबला करेगा. अमेरिका में चीन के दूतावास ने अपने बयान में दो टूक कहा कि अगर अमेरिका तो युद्ध चाहिए, चाहे वो टैरिफ युद्ध हो, व्यापार युद्ध हो या फिर किसी भी अन्य तरीके का टकराव हो, हम पूरी तरह से इसके लिए तैयार हैं.
इसके जवाब में अमेरिका के रक्षा सचिव पीट हेगसेथ का कहना है कि अमेरिका चीन के साथ टैरिफ की धमकियों और व्यापारिक युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार है. इस बयान से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है. लेकिन अगर सच में चीन और अमेरिका के बीच आज युद्ध हो जाता है तो इसमें भारत का रुख क्या होगा. चलिए इसके लिए आपको इतिहास में लेकर चलते हैं.
भारत और चीन के संबंध
भारत और चीन के संबंध शुरू से ही अच्छे नहीं रहे हैं. दोनों देशों के बीच सबसे बड़ा टकराव 1962 के युद्ध में देखने को मिला था. इस लड़ाई के लिए भारत बिल्कुल तैयार नहीं था, जिसके चलते उसे शिकस्त झेलनी पड़ी थी. लेकिन इसके बाद जब 1967 का युद्ध हुआ उस दौरान भारतीय सेना ने चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया था. इंडियन आर्मी ने न सिर्फ चीन के सैनिकों को मार गिराया था, बल्कि उनके कई बंकर भी तोड़ दिए थे. नाथुला दर्रे की वो घटना चीन के लिए एक सबक थी. इस लड़ाई में भारत के 80 सैनिक शहीद हुए थे, जबकि चीन के करीब 300 से 400 जवान मारे गए थे.
भारत पर चीन के हमले
इसके बाद 1975 में चीन ने अरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला में असम राइफल्स के जवानों की पेट्रोलिंग टीम पर चीन ने हमला कर दिया. इस हमले में हमारे चार जवान शहीद हुए थे. इस घटना को लेकर भारत सरकार ने कहा कि चीन ने LAC पार करके भारत में हमला किया, वहीं चीन ने इसको नकारते हुए जवाबी कार्रवाई करार दिया. 1987 के दौरान भी टकराव देखने को मिला था, लेकिन इस दौरान हिंसा नहीं हुई और बातचीत के जरिए मामला शांत हुआ था. फिर 2020 में चीन को अपने नापाक इरादों में कामयाबी मिली और उसने गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया. तब से भारत और चीन के संबंध सामान्य नहीं हैं. लेकिन अब इस संबंध को समान्य करने पर जोर डाला जा रहा है.
कैसे हैं भारत और अमेरिका के रिश्ते
भारत और अमेरिका की दोस्ती के अतीत में तो कम वाकये मिलते हैं, लेकिन इस वक्त दोनों देशों के मधुर संबंध हैं. 1962 में जब भारत-चीन के बीच युद्ध हुआ था तो तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति कैनेडी को पत्र लिखकर सहयता मांगी थी. तब अमेरिका और ब्रिटेन दोनों ने भारत की सहायता की थी. इस दौरान भारत लड़ाई में अकेला नहीं था, उसके साथ अमेरिकी और ब्रिटिश हथियार भी थे. अमेरिकी मदद की खबर पहुंचते ही चीन के भारत की ओर बढ़ते कदम थम गए थे. अमेरिका ने चीन को संभावित हमले में रोकने के लिए बंगाल की खाड़ी में यूएसएस किटी हॉक एयरक्राफ्ट भेजने की भी प्लानिंग कर ली थी.
मिलकर करें काम
21 नवंबर 1962 को चीन ने एकतरफा सीजफायर करके ऐलान किया कि वो अरुणाचल प्रदेश के कब्जे वाले इलाके से अपनी सेना को पीछे कर रहा है. विश्लेषक मानते हैं कि ऐसा अमेरिका की दखलअंदाजी की वजह से हुआ था. वहीं कुछ वक्त पहले भी अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने अमेरिका और भारत के मजबूत संबंधों की बात कही थी. उनका कहना था कि अमेरिका भारत के साथ अपने भविष्य को देखता है, दोनों देश जब साथ होते हैं, तो वो बेहतर है. उन्होंने ये भी कहा कि हम आलोचलों को गलत साबित करते हैं और विरोध की बजाए मिलकर काम करें और लोगों को साथ लाने की कोशिश करें.
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