बिहार SIR पर चुनाव आयोग का सुप्रीम कोर्ट में जवाब- 'सिर्फ आधार, राशन कार्ड या मतदाता पहचान पत्र से नहीं मिल सकती वोटर लिस्ट में जगह'
Bihar SIR: चुनाव आयोग ने बिहार SIR को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है, जिसमें आधार कार्ड को लेकर कहा कि यह सिर्फ एक पहचान पत्र है, नागरिकता का प्रमाण नहीं.

चुनाव आयोग ने कहा है कि मतदाता सूची में किसी का नाम शामिल करने के लिए आधार कार्ड, राशन कार्ड या पहले जारी किया गया मतदाता पहचान पत्र पर्याप्त नहीं है. बिहार विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) मामले में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब में आयोग ने ये कहा है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इन तीनों दस्तावेजों को SIR के दौरान मतदाता की पहचान के लिए मान्यता देने का सुझाव दिया था. मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को होनी है.
डिप्टी इलेक्शन कमिश्नर संजय कुमार की तरफ से दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि SIR के ज़रिए मतदाता सूची की समीक्षा और सुधार किया जा रहा है. इस समय लोगों के पास जो मतदाता पहचान पत्र है, वह उसी मतदाता सूची के आधार पर जारी हुआ था जो समीक्षा के दायरे में है. अगर उसे नई लिस्ट बनाते समय मान्यता दी गई, तो पूरी कवायद निरर्थक हो जाएगी.
आधार कार्ड को लेकर हलफनामे में चुनाव आयोग ने क्या कहा?
हलफनामे में आधार कार्ड के बारे में कहा गया है कि वह सिर्फ एक पहचान पत्र है, नागरिकता का प्रमाण नहीं. इसलिए मतदाता सूची में सिर्फ आधार कार्ड के चलते किसी को जगह नहीं दी जा सकती. आयोग ने आधार एक्ट, 2016 की धारा 9 का हवाला दिया है. यह धारा साफ कहती है कि आधार कार्ड किसी को भारत की नागरिकता नहीं देता.
बड़ी संख्या में फर्जी बनते हैं राशन कार्ड: चुनाव आयोग
राशन कार्ड के बारे में चुनाव आयोग ने कहा है कि यह मतदाता सूची में किसी नाम रखने के लिए विश्वसनीय दस्तावेज नहीं है. बड़ी संख्या में फर्जी कार्ड बने हुए हैं. इसी साल मार्च में भारत सरकार ने 5 करोड़ फर्जी राशन कार्ड रद्द करने की बात कही थी.
आयोग ने यह साफ किया है कि मतदाता पुनरीक्षण में इन दस्तावेजों को प्रस्तुत करने पर मनाही नहीं है. अगर इन दस्तावेजों के साथ दूसरे विश्वसनीय दस्तावेज दिए जाते हैं तो इन्हें स्वीकार किया जा सकता है. इन्हें स्वीकार या अस्वीकार करने का निर्णय स्थानीय इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (ERO) या असिस्टेंट इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (AERO) अपनी संतुष्टि के आधार पर ले सकते हैं. इन्हें अभी भी पहचान के एक सबूत के तौर पर देखा जा रहा है.

