एक्सप्लोरर

50वें साल में ‘पाकीज़ा’: ज्योतिषी ने कमाल अमरोही से कहा था ‘पाकीज़ा’ मत बनाओ, नहीं तो बहुत कुर्बानी देनी पड़ेंगी

‘पाकीज़ा’ एक ऐसी कालजयी फिल्म है जो अब अपने प्रदर्शन के 50वें वर्ष में प्रवेश कर गयी है. लेकिन कई मुश्किलों और मुसीबतों के बीच 16 साल के लंबे समय में बनी यह फिल्म भारतीय सिनेमा के इतिहास का ऐसा पन्ना है जो स्वर्ण अक्षरों में लिखा है. इसलिए ‘पाकीज़ा’ के स्वर्ण जयंती वर्ष में वरिष्ठ पत्रकार और फिल्म समीक्षक प्रदीप सरदाना अपने ब्लॉग में, ‘पाकीज़ा’ को लेकर बहुत सी ऐसी खास बातें बता रहे हैं, जो दिलों को भीतर से झकझोर देती हैं. आप भी पढ़िये-

"आपके पाँव देखे, बहुत हसीन हैं, इन्हें ज़मीं पर मत उतारिएगा, मैले हो जाएँगे"

फ़िल्मकार कमाल अमरोही ने जब अपनी फिल्म ‘पाकीज़ा’ के लिए यह संवाद लिखा होगा, तब उन्होंने भी शायद यह नहीं सोचा होगा कि उनका यह संवाद, हिन्दी सिनेमा के 50 सर्वाधिक लोकप्रिय संवादों में एक बनकर 50 साल बाद भी ऐसे ही याद रहेगा. फिर यह संवाद ही नहीं उनकी फिल्म ‘पाकीज़ा’ भी भारतीय सिनेमा की एक कालजयी फिल्म बनकर एक नया इतिहास लिख देगी.

‘पाकीज़ा’ का यह उपरोक्त संवाद ही बताता है कि यह फिल्म अन्य फिल्मों से जुदा थी. इससे पहले अधिकांश शायर, कवि, गीतकार, लेखक और फ़िल्मकार किसी महिला की सुंदरता के लिए उसके रूप, उसके चेहरे, उसकी आंखें, उसके होठ, उसकी मुस्कुराहट, उसके गाल, या फिर उसकी जुल्फें या उसके बदन, या चितवन को लेकर बहुत कुछ बयां किया करते थे. लेकिन पहली बार अमरोही ने नायिका के पैरों में अद्धभुत सुंदरता देख, सुंदरता की नयी परिभाषा गढ़ दी थी. विश्व में सर्वाधिक फिल्म बनाने वाले हमारे देश भारत में एक साल में 100 से अधिक हिन्दी फिल्में बनती रही हैं. लेकिन कुछ फिल्में ही ऐसी होती हैं जो बरसों बाद भी भुलाए नहीं भूलतीं. उन्हीं फिल्मों में एक है ‘पाकीज़ा’. जो अब अपने प्रदर्शन के 49 बरस पूरे करके 50वें साल में प्रवेश कर गयी है. लेकिन आज भी इस फिल्म की यादें ताजा हैं. फिल्म के संवाद,गीत-संगीत, कलाकारों का अभिनय उनकी वेशभूषा फिल्म के सेट और निर्माता-निर्देशक कमाल अमरोही का निर्देशन आज भी याद हो आता है. ‘पाकीज़ा’ एक ऐसी फिल्म है जो और भी कई मायनों में याद की जाती है. एक तो यह कि ‘पाकीज़ा को बनने में 16 साल लग गए थे. कमाल अमरोही ने 16 जुलाई 1956 को इस फिल्म के गीतों की रिकॉर्डिंग के साथ इस फिल्म की शुरुआत की थी जबकि यह फिल्म बनकर 4 फरवरी 1972 को प्रदर्शित हो पायी.

इतने बरसों में यह फिल्म कितनी ही मुश्किलों में फंसती रही. फिर समय के साथ फिल्म तकनीक और दर्शकों की पसंद नापसंद में भी बहुत बदलाव आते रहे. उधर इस फिल्म के दौरान एक के बाद एक करके इतनी मुसीबतें कमाल अमरोही को घेरती रहीं कि कई बार लगा कि यह फिल्म अब कभी नहीं बन सकेगी. लेकिन अमरोही ने हिम्मत न हारकर, सभी तूफानों का डटकर सामना किया और एक दिन फिल्म को पूरा करके रिलीज कर ही दिया.

इतने लंबे समय से बन रही ‘पाकीजा’ दर्शकों ही नहीं पूरी फिल्म इंडस्ट्री का एक बड़ा आकर्षण बन चुकी थी. हालांकि फिल्म तो जैसे तैसे बन गयी. लेकिन फिल्म के लंबे समय से रुक रुक कर बनने के कारण, ‘पाकीजा’ के प्रति अधिकतर लोग यही सोचते थे कि यह फिल्म चलेगी नहीं. लेकिन कमाल अमरोही ने किसी भी ऐसी नकारात्मक प्रतिक्रियाओं की ओर ध्यान न देकर, 3 फरवरी 1972 को मुंबई के सुप्रसिद्द सिनेमा मराठा मंदिर में इसका ऐसा भव्य प्रीमियर किया कि सभी देखते रह गए. उस प्रीमियर में फिल्म के सितारे मीना कुमारी, राज कुमार और अशोक कुमार सहित खुद कमाल अमरोही तो मौजूद थे ही. साथ ही इस फिल्म का बैकग्राउंड संगीत देने वाले उस दौर के बड़े संगीतकार नौशाद साहब भी मौजूद थे और भी कई खास लोग जिनमें संगीतकार खय्याम भी थे.

‘पाकीजा’ फिल्म का प्रिंट जब एक भव्य पालकी में रखकर मराठा मंदिर लाया गया तो अमरोही का यह अंदाज़ सभी को बहुत पसंद आया. इधर कुछ लोगों को तो यह फिल्म पहली नज़र में ही बहुत पसंद आई. मीना कुमारी और कमाल अमरोही की बहुत से मेहमानों ने इस शानदार फिल्म के लिए जमकर तारीफ की, उन्हें मुबारकबाद भी दीं. लेकिन अगले दिन जब इसका देश भर में सार्वजनिक प्रदर्शन हुआ तो यह फिल्म काफी लोगों को पसंद नहीं आई. इससे दो तीन हफ्ते बाद ‘पाकीज़ा’ को कुछ सिनेमाघरों से उतार भी लिया गया जबकि कुछ थिएटर्स पर जैसे तैसे यह चलती भी रही.

मुझे वे दिन अच्छे से याद हैं जब इस फिल्म को शुरू में बहुत से दर्शक पसंद नहीं कर रहे थे. उधर मीना कुमारी की तबीयत खराब चल रही थी. उसके बावजूद मीना कुमारी ने अपने कार्टर रोड स्थित घर ‘लैंडमार्क’ से फिल्म के प्रमोशन के लिए बिनाका गीतमाला के लिए अमीन सयानी को अपना खास इंटरव्यू दिया था. जिसमें मीना कुमारी ने कहा था-‘’ फिल्म की शूटिंग के दौरान आंखों में लेंस लगाए रखने से उनकी आंखों पर खराब असर पड़ा है. इस इंटरव्यू को अभी कुछ ही दिन हुए थे कि 31 मार्च 1972 को जब मैं रात 9 बजे के रेडियो समाचार सुन रहा था तो तभी यह खबर सुनकर दंग रह गया कि मीना कुमारी का आज इंतकाल हो गया.

""

मीना कुमारी के बाद ही सुपर हिट हुई ‘पाकीज़ा’ मीना कुमारी के निधन के समाचार से देश भर में दुख की लहर दौड़ गयी. उस समय मीना कुमारी की उम्र सिर्फ 39 बरस थी और वह देश की सबसे बेहतरीन और लोकप्रिय अभिनेत्री मानी जाती थीं. इससे उनके तमाम प्रशंसक उनकी अंतिम फिल्म ‘पाकीज़ा’ देखने के लिए उमड़ पड़े. देखते देखते सूने सिनेमाघर गुलज़ार हो गए, जिन सिनेमाघर से फिल्म उतर चुकी थी वहां तो ‘पाकीज़ा’ फिर से आ ही गयी. साथ ही ‘पाकीज़ा’ देखने के लिए दर्शकों का जबर्दस्त उत्साह देखते हुए और भी कई थिएटर्स पर ‘पाकीज़ा’ लग गयी.

इसके बाद तो ‘पाकीज़ा’ ने दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, आगरा, कानपुर, अलीगढ़, मेरठ, वाराणसी और हैदराबाद सहित कई शहरों के सिनेमाघरों में लगातार हाउसफुल रहते हुए सिल्वर जुबली मनाई. कहा जाता है कि ‘पाकीज़ा’ उस समय लगभग एक करोड़ रुपए के बजट में बनी थी लेकिन फिल्म ने करीब 6 करोड़ का बिजनेस किया था. हालांकि मीना कुमारी इस सफलता को देखने के लिए दुनिया में मौजूद नहीं थीं.

ज्योतिषी ने कहा था मत बनाओ यह फिल्म

असल में मीना कुमारी 14 फरवरी 1952 को कमाल अमरोही से निकाह करके उनकी तीसरी बेगम बन गयी थीं. अपने इस निकाह से पहले अमरोही साहब 1949 में अशोक कुमार और मीना कुमारी को लेकर ‘महल’ फिल्म का निर्देशन कर चुके थे. निर्माता बॉम्बे टाकीज़ की यह यादगार फिल्म तब सुपर हिट हुई थी. इसलिए उन्होंने अब अपनी पत्नी मीना कुमारी को लेकर ही अपने निर्माण, निर्देशन में फिल्म बनाने की योजना बनाई, जिसमें सबसे पहले 1953 में उन्होंने एक फिल्म ‘दायरा’ बनाई. जिसकी कहानी कुछ हद तक उनकी अपनी ही प्रेम कहानी से प्रेरित थी. लेकिन यह फिल्म चली नहीं. तब कमाल अमरोही ने बड़े कैनवास पर एक भव्य फिल्म ‘पाकीज़ा’ की तैयारी शुरू कर दी. कमाल अमरोही के बेटे ताजदार अमरोही बताते हैं- "बाबा ने ‘पाकीज़ा’ शुरू तो कर दी, लेकिन एक ज्योतिषी ने उनसे कहा था कि यह फिल्म मत बनाइये, यह फिल्म पूरी नहीं होगी. आप बर्बाद हो जाएंगे, आपको बहुत कुर्बानियां देनी पड़ेंगी, कई लोग मर जाएंगे. लेकिन बाबा टस से मस नहीं हुए. एक गीत की रिकॉर्डिंग के साथ ‘पाकीजा’ शुरू कर दी. बाबा ने हिम्मत नहीं हारी. हालांकि फिल्म बनाते हुए हज़ार मुश्किलें आयीं. फिल्म के संगीतकार गुलाम मोहम्मद से लेकर फिल्म के लिए जर्मनी से बुलाये गए मशहूर कैमरामैन जोसफ विरसिंग सहित कुछ और लोग भी फिल्म पूरी होने से पहले चल बसे. अशोक कुमार और मीना कुमारी की तबीयत भी शूटिंग के दौर में खराब हो गयी."

यह बात बिलकुल सही है कि ‘पाकीज़ा’ को बनाने को लेकर जो जुनून, जो हिम्मत कमाल अमरोही ने दिखाई वह गजब की थी. उन्होंने ‘पाकीज़ा’ के निर्माण के दौरान अनेक विकट परिस्थियों में भी धैर्य से काम लिया, तभी जाकर फिल्म पूरी हो पायी. असल में विभिन्न समस्याओं के कारण फिल्म की शूटिंग में काफी समय लगते रहने के कारण फिल्म में बार बार तकनीकी बदलाव भी करने पड़े. यहां तक फिल्म की कहानी में भी बदलाव करने पड़े. फिल्म की शूटिंग में देरी का कारण बाद में यह भी हो गया कि कमाल अमरोही और मीना कुमारी की वैवाहिक ज़िंदगी में मन मुटाव और तनाव रहने से सन 1964 में इन दोनों के बीच अलगाव हो गया. उधर मीना कुमारी लीवर के बीमारी से ग्रस्त हो गईं. इससे यह फिल्म कुछ बरसों के लिए लगभग बंद सी हो गयी. लेकिन बाद में सुनील दत्त और नर्गिस ने जब ‘पाकीज़ा’ के रशेज देखे तो उन्होंने मीना कुमारी को कहा यह फिल्म बहुत अच्छी रहेगी. इसे पूरा करो. तब मीना ने 1969 में इसकी शूटिंग फिर से शुरू कर दी.

ताजदार अमरोही इस पर भी बताते हैं- "बाबा ने खुद ही कहानी लिखी थी. इसलिए वह आसानी से कहानी में बदलाव कर लेते थे. पहले अशोक कुमार और मीना कुमारी लीड रोल में थे. लेकिन जब फिल्म में कई साल लग गए तो अशोक कुमार की बढ़ती उम्र को देखते हुए उनका नवाब सलीम अहमद खान का रोल राजकुमार को दे दिया गया जबकि अशोक कुमार को नवाब शाहबुद्दीन का रोल देकर कहानी में कुछ बदलाव कर दिये गए. राजकुमार के व्यक्तित्व को देखते हुए उन्हें नवाब से एक फॉरेस्ट ऑफिसर बना दिया गया, जिसमें राज कुमार काफी फबे. हालांकि राजकुमार से पहले इस रोल के लिए सुनील दत्त सहित हैदराबाद के एक आकर्षक व्यक्तित्व वाले युवा को भी लेने पर विचार हुआ. लेकिन बाद में राजकुमार को ही फ़ाइनल किया गया."

फिल्म की कहानी तवायफ की ज़िंदगी के दुख दर्द के साथ कोठे के माहौल को बहुत ही खूबसूरती से दिखाती है. किस तरह एक तफ़ायफ पाकीज़ा यानि पवित्र, शुद्द होने के बावजूद अपनी ज़िंदगी में प्रेम और अपना घर बसाने के लिए तरसती रहती है. उसे कोई अच्छा हमसफर अपनाने को, उसका दिल जीतने को तैयार भी हो जाये तो समाज उसके लिए तैयार नहीं होता.

तफ़ायफ की इस व्यथा कथा और उसके दिल के गहरे दर्द को लेकर कमाल अमरोही ने बहुत अच्छे संवाद भी दिये थे- "हम तफ़ायफ एक लाश हैं. हमारा यह बाज़ार एक कब्रिस्तान है, ऐसी औरतों का जिनकी रूह मर जाती है और जिस्म ज़िंदा रहते हैं. ये कोठे हमारे मकबरे हैं, जिनमें हम मुर्दा औरतों के ज़िंदा जनाजे सज़ा के रख दिये जाते हैं. हमारी कब्रें पाटी नहीं जातीं, खुली छोड़ दी जाती हैं. मैं ऐसी ही कब्र की बेसब्र लाश हूं."

मीना कुमारी इसमें दोहरी भूमिका में हैं. एक तफ़ायफ नर्गिस की और दूसरी नर्गिस की बेटी तफ़ायफ साहिबजान उर्फ पाकीज़ा की. साथ ही फिल्म में सप्रू, वीना, कमल कपूर, नादिरा और गीता कपूर जैसे कलाकार भी हैं. इसके अलावा जानी माने अभिनेत्री और नृत्यांगना पद्मा खन्ना भी इस फिल्म में हैं, लेकिन दर्शक उन्हें पहचान नहीं सकते. क्योंकि पद्मा खन्ना को मीना कुमारी के डबल का रोल इसलिए करना पड़ा जब मीना कुमारी अपनी गिरती सेहत के कारण दो गीतों ‘चलो दिलदार चलो’ और ‘तीरे नज़र देखेंगे’ को पूरा नहीं कर पायीं तो पद्मा खन्ना ने अपना चेहरा छिपाते हुए इन गीतों को पूरा कराया.

""

फिल्म में कुल 12 गीत थे लेकिन 6 ही रखे गए

‘पाकीज़ा’ का संगीत काफी दिलकश है. फिल्म में गुलाम मोहम्मद के संगीत में कुल 12 गीत रिकॉर्ड किए गए थे, लेकिन फिल्म में सिर्फ 6 गीत ही रखे गए. जिन्हें कैफी आज़मी, मजरूह सुल्तानपुरी, कैफ भोपाली, मीर तकी मीर और कमाल अमरोही ने लिखा था. फिल्म के गीत शास्त्रीय संगीत के रंग में ऐसे रंगे गए कि आज भी ये गीत सुकून देते हैं.

चलते चलते यूं ही कोई मिल गया था, इन्हीं लोगों ने ले लिया दुपट्टा मेरा, तीरे नज़र देखेंगे, मौसम है आशिक़ाना और चलो दिलदार चलो. इन गीतों के लिए कोरियोग्राफी का काम गौरी शंकर ने किया था तो एक गीत ‘ठाढ़े राहियो ओ बांके यार’ को अपने नृत्य निर्देशन से लच्छु महाराज ने संजोया था. जबकि फिल्म का बैकग्राउंड संगीत नौशाद साहब ने दिया था. हालांकि नौशाद साहब उस दौर में ‘बैज़ू बावरा’, मदर इंडिया, मुगल-ए-आजम और गंगा जमुना जैसी कई बेहतरीन फिल्मों के लिए शानदार संगीत दे चुके थे. लेकिन ‘पाकीज़ा’ के लिए वह सिर्फ बैकग्राउंड म्यूजिक देने के लिए तैयार कैसे हो गए? इस बात से पर्दा उठाया नौशाद साहब के बेटे रहमान नौशाद ने.

मेरे पूछने पर रहमान बताते हैं- "असल में ‘पाकीज़ा’ का संगीत देने के लिए अमरोही साहब पहले अब्बा हजूर के पास ही आए थे. लेकिन तब नौशाद साहब बेहद व्यस्त थे. इसलिए उन्होंने खुद ही ‘पाकीज़ा’ का संगीत अपने शागिर्द रहे गुलाम मोहम्म्द साहब से कराने का सुझाव कमाल साहब को दिया. साथ ही कहा यदि कहीं कोई समस्या आएगी तो मैं बैठा हूं. गुलाम साहब ने सभी गीतों के लिए बेहतरीन धुनें बनाई. लेकिन फिल्म पूरी होने से पहले ही उनका इंतकाल हो गया. तब कमाल साहब हमारे घर आए और उन्होंने कहा- गुलाम साहब तो रहे नहीं, लेकिन जिस्म तो सज गया है, अब आप अपने हाथों से उसमें रूह डाल दो." हालांकि नौशाद साहब किसी फिल्म में सिर्फ बैकग्राउंड संगीत नहीं देते थे, लेकिन कमाल साहब की समस्या समझते हुए वह उनकी बात टाल नहीं सके.

जब नौशाद साहब ने कराई ‘पाकीज़ा’ की लंबाई कम

रहमान नौशाद साहब यह भी बताते हैं- "नौशाद साहब ने फिल्म का बैकग्राउंड संगीत देने से पहले ‘पाकीज़ा’ को देखने की इच्छा व्यक्त की. तब कमाल साहब ने अंधेरी के अशोक स्टूडियो में ‘पाकीज़ा’ का प्रिव्यू दिखाया. तब नौशाद साहब ने फिल्म की लंबाई कुछ कम करने की सलाह दी. कमाल साहब इसके लिए जैसे तैसे तैयार हो गए. तब नौशाद साहब ने फिल्म के संपादक पई साहब के साथ बैठकर फिल्म की लंबाई कुछ कम करने के साथ तीन महीने में 8 शिफ्टों में फिल्म का शीर्षक संगीत के साथ बैकग्राउंड का भी पूरा संगीत तैयार कर दिया, जिसे देख अमरोही ने बहुत खुश होकर नौशाद साहब से कहा – लोगों को टीबी, मलेरिया हो जाता है लेकिन ‘पाकीज़ा’ का संगीत देखकर मुझे आज नौशाद साहब हो गया है. फिल्मिस्तान और नटराज में लगे थे भव्य सेट

‘पाकीज़ा’ की शूटिंग के दौरान एक से एक खूबसूरत सेट लगाने के लिए कमाल अमरोही ने पानी की तरह पैसा लगाने में रत्ती भर भी संकोच नहीं किया. मुंबई में ‘पाकीज़ा’ की शूटिंग फिल्मिस्तान और फिल्मालय स्टूडियो के साथ नटराज स्टूडियो में भी हुई. फिल्मिस्तान में गुलाबी महल का सेट तो सुंदरता और भव्यता की अनुपम मिसाल था. जहां पानी में गुलाब जल मिलाकर खुशबू वाले फव्वारे चलाये जाते थे. कमाल अमरोही ने यूं ‘पाकीज़ा’ के बाद हेमा मालिनी, धर्मेन्द्र को लेकर 1983 में ‘रज़िया सुल्तान’ भी बनाई. लेकिन बतौर निर्देशक ‘महल’ और ‘पाकीज़ा’ ही उनके करियर में मील का पत्थर हैं. हालांकि इतनी बढ़िया फिल्म बनाने के लिए न तो कमाल अमरोही को कोई पुरस्कार मिला. न ही मीना कुमारी को. इस बात का मलाल ताजदार अमरोही को आज तक है.

ताजदार बताते हैं- ‘पाकीज़ा’ को देश-दुनिया सभी जगह खूब सराहना मिली. मैं अभी 74 बरस का हो गया हूं, लेकिन मेरी दिली इच्छा है कि मैं अपने आंखें बंद होने से पहले यह देख सकूं कि मेरे वालिद को कोई राजकीय या राष्ट्रीय सम्मान मिले. बहुत दुख होता है कि भारत सरकार ने अमरोही साहब को न कोई पदम अवार्ड दिया और न कोई और सम्मान. यहां तक राज्य सरकार ने भी उन्हें नहीं नवाजा.

उधर यह देख भी आश्चर्य होता है कि एक से एक नायाब फिल्म करके अपने अभिनय और रूप सौन्दर्य का जादू बिखेरने वाली मीना कुमारी को भी सरकारों ने कभी पदमश्री या कोई अन्य सम्मान नहीं दिया. मीना कुमारी को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर तो चार बार मिला. लेकिन राष्ट्रीय पुरस्कार उन्हें भी नहीं मिला. ‘पाकीज़ा’ के लिए तो उन्हें फिल्मफेयर भी नहीं मिला जबकि ‘पाकीजा’ के हर दृश्य में मीना कुमारी इतनी कमसिन और सुभान अल्लाह लगती हैं कि उन्हें देख हर कोई उनका दीवाना हो जाये. ऊपर से उनका दिलकश अभिनय भी सभी का दिल जीत लेता है. यह देख मन में एक टीस उठती है कि ‘पाकीज़ा’ की यह साहिबजान इस फिल्म के बाद ही इस दुनिया को अलविदा कह गयी. मानो वह ‘पाकीज़ा’ को पूरा करने के लिए ही जी रही थीं, लेकिन अभी तक न मीना कुमारी को भुलाया जा सका है और न ‘पाकीज़ा’ को.

लेखक से ट्विटर पर जुड़ने के लिए क्लिक करें- https://twitter.com/pradeepsardana

और फेसबुक पर जुड़ने के लिए क्लिक करें- https://www.facebook.com/pradeep.sardana.1

View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h

टॉप हेडलाइंस

पुतिन के भारत दौरे से अमेरिका में खलबली! ट्रंप ने दिल्ली के पक्ष में ले लिया बड़ा फैसला; बताया कैसे देगा साथ
पुतिन के भारत दौरे से US में खलबली! ट्रंप ने दिल्ली के पक्ष में लिया बड़ा फैसला; बताया कैसे देगा साथ
कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा ने लिए सात फेरे, देखें शादी की पहली तस्वीर
कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा ने लिए सात फेरे, देखें शादी की पहली तस्वीर
Indigo Flight Crisis Live Updates LIVE: इंडिगो के हालात कब तक होंगे सामान्य? एयरलाइन के CEO ने दिया जवाब; सरकार ने जांच के लिए बनाई कमेटी
LIVE: इंडिगो के हालात कब तक होंगे सामान्य? एयरलाइन के CEO ने दिया जवाब; सरकार ने जांच के लिए बनाई कमेटी
IND vs SA 3rd ODI: कल तीसरे वनडे में बनेंगे 400 रन! टूट जाएंगे सारे रिकॉर्ड; देखें विशाखापत्तनम में सबसे बड़ा टीम टोटल
कल तीसरे वनडे में बनेंगे 400 रन! टूट जाएंगे सारे रिकॉर्ड; देखें विशाखापत्तनम में सबसे बड़ा टीम टोटल
ABP Premium

वीडियोज

Indigo की फ्लाइट कैंसिल होते ही आसमान छूने लगे हवाई सफर के टिकटों का दाम । Breaking News
वरिष्ठ पत्रकारों ने समझा दिया कि पुतिन के दौरे से भारत को कितना मिलेगा फायदा ? । Putin India
Indigo की अबतक 550 से ज्यादा फ्लाइट हुई कैंसिल, गुस्साए यात्रियों ने एयरपोर्ट पर मचाया हंगामा
पीएम मोदी और पुतिन के बीच चली ढाई घंटे की बात में क्या चर्चा हुई ?। Breaking News
PM Modi और Putin के इस प्लान से भारत बन जाएगा सर्वशक्तिमान । Putin India Visit

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
पुतिन के भारत दौरे से अमेरिका में खलबली! ट्रंप ने दिल्ली के पक्ष में ले लिया बड़ा फैसला; बताया कैसे देगा साथ
पुतिन के भारत दौरे से US में खलबली! ट्रंप ने दिल्ली के पक्ष में लिया बड़ा फैसला; बताया कैसे देगा साथ
कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा ने लिए सात फेरे, देखें शादी की पहली तस्वीर
कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा ने लिए सात फेरे, देखें शादी की पहली तस्वीर
Indigo Flight Crisis Live Updates LIVE: इंडिगो के हालात कब तक होंगे सामान्य? एयरलाइन के CEO ने दिया जवाब; सरकार ने जांच के लिए बनाई कमेटी
LIVE: इंडिगो के हालात कब तक होंगे सामान्य? एयरलाइन के CEO ने दिया जवाब; सरकार ने जांच के लिए बनाई कमेटी
IND vs SA 3rd ODI: कल तीसरे वनडे में बनेंगे 400 रन! टूट जाएंगे सारे रिकॉर्ड; देखें विशाखापत्तनम में सबसे बड़ा टीम टोटल
कल तीसरे वनडे में बनेंगे 400 रन! टूट जाएंगे सारे रिकॉर्ड; देखें विशाखापत्तनम में सबसे बड़ा टीम टोटल
पलाश मुच्छल संग शादी टलने के बाद स्मृति मंधाना का पहला पोस्ट, फैंस बोले- 'रो-रोकर आवाज ही बदल गई...'
पलाश संग शादी टलने के बाद स्मृति का पहला पोस्ट, फैंस बोले- 'रो-रोकर आवाज ही बदल गई'
UP AQI: नोएडा-गाजियाबाद नहीं थम रहा जहरीली हवा का कहर, घुट रहा दम, आज भी हालत 'बेहद खराब'
नोएडा-गाजियाबाद नहीं थम रहा जहरीली हवा का कहर, घुट रहा दम, आज भी हालत 'बेहद खराब'
Snake-Friendly Plants: आपके होम गार्डन में तो नहीं लगा ये वाला पौधा, सांप इसमें चुपचाप बना लेते हैं घर
आपके होम गार्डन में तो नहीं लगा ये वाला पौधा, सांप इसमें चुपचाप बना लेते हैं घर
Bihar Forest Department Recruitment 2025: बिहार वन विभाग में बम्पर पदों पर होगी भर्ती, जानें कैसे कर सकते हैं आवेदन
बिहार वन विभाग में बम्पर पदों पर होगी भर्ती, जानें कैसे कर सकते हैं आवेदन
Embed widget