Malegaon blast Case: 17 साल बाद भी नहीं मिले आरोपी, NIA की नाकामी या कुछ और..? | Sandeep Chaudhary
देश में अब हर मुद्दे को हिंदू-मुस्लिम के चश्मे से देखा जा रहा है। हाल ही में मालेगांव धमाके के 17 साल बाद NIA अदालत ने सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया। इन आरोपियों में Sadhvi Pragya और Lt Col Purohit शामिल थे। इस फैसले के बाद राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए। वहीं, 19 साल पहले हुए मुंबई सीरियल धमाकों के 12 मुस्लिम आरोपियों को बॉम्बे हाईकोर्ट ने बरी किया था, जिसके दो दिन बाद ही महाराष्ट्र सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई और सुप्रीम कोर्ट ने फैसले पर रोक लगा दी। इस पर सवाल उठ रहे हैं कि क्या न्याय के तराजू में अलग-अलग मापदंड अपनाए जा रहे हैं। देश के गृह मंत्री ने राज्यसभा में कहा था कि "कोई भी हिंदू आतंकवादी हो ही नहीं सकता।" इसके विपरीत, पुणे में एक Kargil योद्धा Hakeemuddin Sheikh को कुछ गुंडों ने, जो खुद को Bajrang Dal और पुलिस का बता रहे थे, बांग्लादेशी कहकर अपमानित किया। FIR दर्ज होने के बावजूद पांच दिन बाद भी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। यह घटना देश में बढ़ती सांप्रदायिकता और न्याय प्रणाली पर उठते सवालों को दर्शाती है।
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