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मिर्गी से डरने की नहीं जागरूक होने की जरूरत, इस बीमारी को कर सकते हैं नियंत्रित

मिर्गी (Epilepsy) एक प्रकार का तंत्रिका तंत्र विकार है, जो मस्तिष्क में अचानक होने वाले असामान्य तीव्र तंत्रिका गतिविधियों के कारण होता है. इसका परिणाम शरीर में अनियंत्रित दौरे (seizures) के रूप में सामने आता है. मिर्गी का प्रभाव व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्थिति, सामाजिक जीवन और कार्यक्षमता पर पड़ सकता है. मिर्गी एक ऐसी बीमारी है, जो बच्चों से लेकर वयस्कों तक किसी भी उम्र में हो सकती है. क्या होते हैं मिर्गी के कारण, लक्षण, उपचार और इसके बारे में विस्तृत जानकारी दे रहे हैं कोकिलाबेन धीरुभाई अंबानी अस्पताल के डॉ. दिनेश चौकसे, सीनियर कन्सल्टेन्ट ऑफ न्यूरोलॉजी, आइए जानते हैं-

जानें मिर्गी के कारण

मिर्गी एक जटिल तंत्रिका तंत्र विकार है. मिर्गी के कारणों को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है जो निम्न प्रकार से हैं-

  1. जन्मजात कारण (Genetic factors): कुछ मामलों में, मिर्गी के कारण व्यक्ति के जीन में होने वाले बदलाव होते हैं. यह आनुवांशिक रूप से पीढ़ी दर पीढ़ी फैल सकता है. अगर परिवार में किसी व्यक्ति को मिर्गी है, तो उसके बच्चों में इस बीमारी के होने की संभावना बढ़ जाती है.
  1. अर्जित कारण (Acquired factors): मिर्गी कुछ दुर्घटनाओं, मस्तिष्क की चोटों, संक्रमणों, मस्तिष्क में खून का बहाव (stroke), या मस्तिष्क में किसी अन्य प्रकार के विकार के कारण भी हो सकती है. इसके अलावा, कुछ दवाइयाँ, शराब या नशीली दवाओं का अधिक सेवन भी मिर्गी के दौरे का कारण बन सकता है.

ऐसे समझें मिर्गी के लक्षणों को

मिर्गी के लक्षण हर मरीज में अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन इनमें सामान्य लक्षण दौरे होना है जिसका प्रभाव व्यक्ति के मस्तिष्क की तंत्रिका गतिविधि के असामान्य होने पर निर्भर करता है. मिर्गी के दौरे के दौरान शरीर में निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं-

  1. दौरे आने की शुरुआत- दौरे का आरंभ अचानक और बिना किसी चेतावनी के होता है. व्यक्ति की आंख ऊपर को चढ़ना और खुली बिना झपके रह सकती हैं, शरीर में कंपन हो सकता है और कभी-कभी व्यक्ति बेहोश भी हो सकता है.
  1. शारीरिक नियंत्रण अचानक खो देना: दौरे के दौरान व्यक्ति का शारीरिक नियंत्रण समाप्त हो जाता है और वह गिर सकता है. हाथ-पैर में झटके और मांसपेशियों का सिकुड़ना देखा जा सकता है.
  1. बेहोशी या मानसिक भ्रम: दौरे के बाद व्यक्ति को मानसिक भ्रम, भूलने की समस्या, या गहरी नींद आ सकती है. कुछ लोग दौरे के बाद चिड़चिड़े हो सकते हैं या उनकी याददाश्त प्रभावित हो सकती है.
  1. दौरे आने पर मुँह से झाग निकलना: कुछ लोगों को दौरे के दौरान मुँह से झाग निकलता है और जीभ में चोट लग सकती है और ख़ून आ सकता है. 

मिर्गी का इलाज

मिर्गी का इलाज कई प्रकार से किया जा सकता है. आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने मिर्गी को नियंत्रित करने के लिए कई प्रभावी उपाय विकसित किए हैं. इन उपचारों में शामिल हैं:

  1. दवाइयां (Medications): मिर्गी के उपचार में एंटी-एपिलेप्टिक ड्रग्स (AEDs) का उपयोग सबसे आम तरीका है. ये दवाइयाँ मस्तिष्क की असामान्य तंत्रिका गतिविधियों को नियंत्रित करती हैं और दौरे को कम करती हैं. प्रत्येक मरीज की स्थिति के अनुसार, डॉक्टर दवाइयों का चुनाव करते हैं.
  1. सर्जरी (Surgery): यदि दवाएं असर नहीं करती हैं तो कभी-कभी मस्तिष्क के उस हिस्से को हटाना या उसका उपचार करना पड़ता है, जहां से दौरे उत्पन्न होते हैं. यह सर्जरी केवल उन लोगों के लिए की जाती है.
  1. वागस नर्व स्टिमुलेटर (Vagus Nerve Stimulator): यह एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, जिसे शरीर में लगाया जाता है. यह मस्तिष्क को नियमित रूप से संकेत भेजता है, जिससे दौरे की संभावना कम हो जाती है.
  1. डायटरी उपचार: कुछ मामलों में, डॉक्टर किटोजेनिक डाइट (Ketogenic Diet) की सलाह देते हैं. यह विशेष प्रकार की डाइट होती है जो मस्तिष्क को स्थिर रखने में मदद करती है.

व्यवस्थित जीवनशैली होगी मददगार

मिर्गी से प्रभावित व्यक्तियों को अपनी जीवनशैली में कुछ बदलाव करने की आवश्यकता होती है, ताकि वे अपना जीवन सामान्य रूप से जी सकें. इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:

-      मिर्गी के मरीजों को अपनी दिनचर्या में नियमितता बनाए रखनी चाहिए. पर्याप्त नींद, स्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम मिर्गी को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं.

-      तनाव मिर्गी के दौरे को बढ़ा सकता है इसलिए मानसिक तनाव को कम करने के लिए योग, ध्यान और आराम का अभ्यास करना आवश्यक है.

-      मिर्गी के दौरे के दौरान व्यक्ति को चोट लगने की संभावना होती है.

मिर्गी के प्रति जागरूकता

मिर्गी के बारे में जागरूकता आवश्यक है, ताकि समाज में इस बीमारी के प्रति नकारात्मक धारणाएं और भेदभाव कम हो सकें. मिर्गी के मरीजों को मानसिक रुप से सपोर्ट की अधिक जरुरत होती है. समाज में इस बीमारी के बारे में शिक्षा और समझ को बढ़ावा देना आवश्यक है, ताकि लोग इसे समझें और मिर्गी से पीड़ित व्यक्तियों को समर्थन प्रदान कर सकें. मिर्गी एक ऐसी बीमारी है, जो शरीर और मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डाल सकती है. आधुनिक चिकित्सा उपायों से मिर्गी को नियंत्रित किया जा सकता है. इस बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाने से न केवल उपचार में मदद मिलती है, बल्कि मिर्गी से पीड़ित लोगों के मानसिक और सामाजिक जीवन में भी सुधार हो सकता है.  मिर्गी के मरीज अपना सामान्य जीवन जी सके इसके लिए हमें अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए मिर्गी से प्रभावित लोगों के प्रति सहानुभूति और समर्थन दिखाना चाहिए.

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.] 

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