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'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' को देखकर गर्व से फूले नहीं समा रहे पीएम मोदी, तस्वीरें हैं गवाह

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इस मौके पर प्रधानमंत्री ने ये भी कहा कि किसी भी देश के इतिहास में ऐसे अवसर आते हैं जो पूर्णता का एहसास कराते हैं. ऐसे अवसर को मिटा पाना मुमकिन नहीं होता है. आज का दिन भी ऐसा ही एक क्षण है. आज जब धरती से लेकर आसमान तक सरदार साहब का अभिषेक हो रहा है तब भारत ने ना सिर्फ अपने लिए एक इतिहास लिखा है बल्कि भविष्य के लिए गननचुंबी प्रेरणा बनाने का भी काम किया है. मुझे इस बात का एहसास नहीं था कि एक दिन प्रधानमंत्री के तौर पर मुझे ही ये काम करने का मौका मिलेगा, इसके लिए मैं खुद को धन्य मानता हूं. फोटोः ट्विटर
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बीते करीब साढ़े तीन साल में 2500 कारगारों ने मिशन मोड पर काम किया. 90 की आयु पार कर चुके शिल्पकार राम सुतार के नेतृत्व में कई शिल्पकारों ने इस प्रतिमा का कार्य पूरा किया. फोटोः ट्विटर
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बताते चलें, सरदार पटेल के म्यूजियम का भी होगा लोकार्पण इस अवसर पर कई आकर्षण होंगे, जिनमें 17 किलोमीटर लंबी फूलों की घाटी का उद्घाटन, प्रतिमा के पास पर्यटकों के लिए तंबुओं के शहर और सरदार पटेल के जीवन पर आधारित संग्रहालय का लोकार्पण भी शामिल है. फोटोः ट्विटर
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सरदार पटेल में कौटिल्य की कूटनीति और शिवाजी महाराज के शौर्य का समावेश था. उन्होंने 5 जुलाई 1947 को रियासतों को संबोधित करते हुए कहा था- विदेशी आक्रांताओं के सामने हमारे आपसी जगड़े, बैर का भाव हमारी हार की बड़ी वजह थी. अब हमें इस गलती को नहीं दोहराना है. ना ही दोबारा किसी का गुलाम होना है. इसी बात को समझते हुए राजारवाड़ाओं ने अपने राज्यों का विलय कर दिया. सरदार साहब के आवाहन पर राजवाड़ों ने त्याग की मिशाल पेश की थी. फोटोः ट्विटर
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स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की आधारशिला तब गुजरात के सीएम रहे नरेंद्र मोदी ने 31 अक्टूबर 2013 को रखी थी और इस प्रतिमा के लिए देशभर से लोहा इकट्ठा करने का अभियान भी चलाया गया था. फोटोः ट्विटर
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आपको बता दें, सरदार पटेल की प्रतिमा पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है जिसके बहाने वो कई मौकों पर कांग्रेस पर सरदार की उपेक्षा करने का आरोप लगा चुके हैं. फोटोः ट्विटर
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उन्होंने अपने भाषण में कहा कि सरदार साहब का सामर्थ तब भारत के काम आया था जब मां भारती 550 से ज्यादा रियासतों में बंटी पड़ी थी. दुनिया में भारत के भविष्य के प्रति घोर निराशा थी. उस जमाने में निराशावादियों को लगता था कि भारत अपनी विविधिताओं की वजह से बिखर जाएगा. उस दौरान सिर्फ उम्मीद की किरण थी ‘सरदार वल्लभ भाई पटेल’. फोटोः ट्विटर
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प्रधानमंत्री ने कहा, ''मुझे आज वो दिन याद आ रहे हैं जब देश भव के गांव से मिट्टी मागी गई थी और खेती में काम किए गए पुराने औजारों को इकट्ठा करने का काम चल रहा था. तब किसानों ने इस काम को एक आंदोलन बना दिया. मुझे याद है कि जब ये विचार सामने रखा था तब बहुत शंकाएं थीं. उस दौरान मैंने ये भी सोचा कि कोई ऐसी चट्टान मिल जाए जिससे सरदार की प्रतिमा को उकेरा जा सके. इसके बाद आज जो देख रहे हैं उस विचार ने जन्म लिया. दुनिया की ये सबसे ऊंची प्रतिमा पूरी दुनिया को और भविष्य के युवाओं को उस व्यक्ति की याद दिलाती रहेगी.'' फोटोः ट्विटर
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सरदार पटेल की प्रतिमा के अनावरण के बाद प्रधानमंत्री मोदी कहा, ''आज पूरा देश सरदार बल्लभभाई पटेल की याद में राष्ट्रीय एकता दिवस मना रहा है. फोटोः ट्विटर
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दुनिया की सबसे उंची प्रतिमा गुजरात के नर्मदा जिले में सरदार सरोवर बांध पर बनी है. 182 मीटर उंची पटेल की प्रतिमा को तैयार होने में पांच साल का वक्त लगा. फोटोः ट्विटर
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प्रधानमंत्री ने स्टेचू के अनावरण के दौरान कहा कि जिस मिट्टी में पला बढ़ा, जिन के बीच में संस्कार पाए और जैसे मां अपने बेटे की पीठ पर हाथ रखती है तो बेटे की ताकत, उत्साह हजारों गुना बढ़ जाता है. आज आपके सम्मान पत्र में उसी ऊर्जा का अनुभव कर रहा हूं. आज मुझे लोहा अभियान के तहत मिला पहला लोहे का टुकड़ा और दौरान फहरायी गई ध्वजा के भी सौंपी गई. मैं इसे यहीं छोड़ कर जाऊंगा जिससे इसे म्यूजियम में रखा जाए. फोटोः ट्विटर
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लौहपुरुष सरदार वल्लिभ भाई पटेल के स्टेषचू का अनावरण करते हुए गर्व से फूले नहीं समा रहे थे. वे रह-रहकर 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' को देखते नजर आए. फोटोः ट्विटर
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आज तकरीबन सुबह 10:30 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल की सबसे ऊंची मूर्ति 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' का अनावरण किया. इसी के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' को देश को समर्पित कर दिया. फोटोः ट्विटर
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रुमान हाशमी, वरिष्ठ पत्रकार
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