भारत में सैम मानेकशॉ की तरह पाकिस्तान में इसे बनाया गया था पहला फील्ड मार्शल, इस चीज का मिला था इनाम
Asim Munir Pakistan Field Marshal: पाकिस्तान में आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल के तौर पर नियुक्त किया गया है. चलिए इस बारे में विस्तार से जानें.

पाकिस्तान से मुंह की खाने के बावजूद पड़ोसी मुल्क में जश्न का माहौल है. वहां की शहबाज सरकार अपनी जीत का दावा करते हुए पाक की जनता को बरगलाने की कोशिश कर रही है. इसी क्रम में पाकिस्तान की शहबाज शरीफ की सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. इस फैसले में आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल के तौर पर चुना गया है. पाक सरकार ने आर्मी चीफ आसिम मुनीर को बड़ी उपलब्धि से नवाजते हुए फील्ड मार्शल के तौर पर प्रमोट कर दिया है. आसिम मुनीर पाकिस्तान के दूसरे फील्ड मार्शल होंगे. चलिए जानें कि पड़ोसी मुल्क में भारत के पहले फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की तरह किसे पहली फील्ड मार्शल की उपलब्धि से नवाजा गया था.
कौन था पाक का पहला फील्ड मार्शल
फील्ड मार्शल पाकिस्तानी सेना में पांच सितारा और सर्वोच्च रैंक है जो पाकिस्तान सरकार द्वारा विशिष्ट सेवा के सम्मान में पाकिस्तानी सेना के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ को प्रदान की जाती है. यह पाकिस्तान सशस्त्र बलों में सर्वोच्च रैंक है जो जनरल के साथ-साथ पाकिस्तान वायु सेना के एयर चीफ मार्शल और पाकिस्तान नौसेना के एडमिरल से ऊपर है और किसी से भी नीचे नहीं है. पाकिस्तान में अब तक सिर्फ दो फील्ड मार्शल बने हैं. इस लिस्ट में पहला नाम जनरल मुहम्मद अयूब खान का है. वहीं आसिम मुनीर दूसरे फील्ड मार्शल बने हैं.
इसलिए मिला था इनाम
अयूब खान को 1959 में पाक का पहला फील्ड मार्शल बनाया गया था, जो कि 1967 तक इस पद पर कार्यरत थे. अयूब खान 1958 से लेकर 1969 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति भी रहे हैं. अयूब खान को उनकी रैंक सैन्य और राजनीतिक सेवाओं के कारण खासतौर से 158 में मार्शल लॉ लागू करने और देश का नेतृत्व करने के लिए मिली थी. अयूब खान पहले ऐसे शख्स थे जिनको यह रैंक दी गई थी, इसके बाद अब आसिम मुनीर दूसरे फील्ड मार्शल बने हैं.
पहले सैन्य कमांडर जिसने पाक में किया तख्तापलट
अयूब खान पाकिस्तानी फौज में सबसे कम उम्र के जनरल थे, जो कि पाक सैन्य इतिहास में स्वयंभू फील्ड मार्शल बने थे. वो पाक के ऐसे पहले सैन्य कमांडर थे, जिन्होंने सरकार के खिलाफ जाकर सैन्य विद्रोह के जरिए सत्ता पर कब्जा किया था. अयूब खान को पाकिस्तान की जनता तानाशाह के रूप में याद करती है. अयूब खान की जिंदगी के आखिरी दिन इस्लामाबाद में बीते थे. 1974 में रावलपिंडी में उनकी मौत हो गई थी.
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Source: IOCL

























