India-China Relations: 'भारत-चीन संबंधों में पाकिस्तान या तीसरा कोई....' विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 'ड्रैगन' को दिया क्लियर मैसेज
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ बैठक में स्पष्ट कहा कि भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों में पाकिस्तान या किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं है.

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के पोलित ब्यूरो सदस्य वांग यी के बीच 14 जुलाई 2025 को हुई उच्च स्तरीय बैठक में हिस्सा लिया. इस दौरान भारत-चीन संबंधों की दिशा और प्राथमिकताओं को नए सिरे से परिभाषित करने का काम किया. जयशंकर ने वांग यी से स्पष्ट रूप से कहा कि भारत-चीन द्विपक्षीय संबंध केवल दोनों देशों के आपसी हितों पर आधारित होंगे. पाकिस्तान या किसी अन्य तीसरे देश की इसमें कोई भूमिका नहीं होगी. यह बयान खासतौर पर इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि चीन, पाकिस्तान के 81 फीसदी सैन्य उपकरणों का सप्लायार है.
बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अक्टूबर 2024 में हुए समझौते के बाद देपसांग और डेमचोक क्षेत्र में भारतीय सेना की गश्त फिर से शुरू होने पर संतोष व्यक्त किया. साथ ही यह भी कहा कि पांच वर्ष बीत चुके हैं और अब दोनों सेनाओं को तनाव कम करने पर ध्यान देना चाहिए.
LAC पर स्थिति अब भी क्यों कायम है सैन्य तैनाती?
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) की लंबाई लगभग 1,597 किलोमीटर है. आज भी दोनों सेनाओं के पास यहां लगभग 50,000 सैनिक, टैंक और भारी हथियार तैनात हैं. यह स्थिति 2020 में पीएलए के अतिक्रमण के बाद बनी. हालांकि भारत और चीन के बीच कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक बातचीत हुईं, फिर भी जमीनी स्तर पर पूर्ण शांति नहीं आई है. जयशंकर ने बैठक में कहा कि एक स्थिर सीमा दोनों देशों के बीच स्थिर संबंधों की आधारशिला है.
चीन की ओर से निर्यात प्रतिबंध और भारत की आपत्ति
बैठक में एस जयशंकर ने चीन की तरफ से हाल में लगाए गए निर्यात प्रतिबंधों का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने ऑटो उद्योग में इस्तेमाल किए जाने वाले चुम्बकों और पोटेशियम-नाइट्रोजन उर्वरकों में इस्तेमाल होने वाले खनिजों पर बैन लगाने पर सवाल किया. इस पर जयशंकर ने वांग यी से आग्रह किया कि भारत पर ऐसे प्रतिबंध न लगाए जाएं क्योंकि इससे सप्लाई चेन पर असर पड़ता है और दोनों देशों के आर्थिक रिश्ते प्रभावित होते हैं. ये सप्लाई चेन भारत-चीन व्यापार संबंधों में अहम भूमिका निभाती हैं. इसलिए इस मुद्दे पर भी दोनों नेताओं ने चर्चा की.
आतंकवाद पर भारत का रुख: एससीओ बैठक में संदेश
13 जुलाई 2025 को शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) की विदेश मंत्रियों की बैठक में एस जयशंकर ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के कड़े रुख को भी दोहराया. उन्होंने कहा कि भारत ने बताया कि पाकिस्तान में आतंकी शिविरों पर कार्रवाई यूएनएससी प्रस्ताव 16050 के अनुरूप है. यह प्रस्ताव 25 अप्रैल 2025 को पारित हुआ था और पाकिस्तान, चीन और रूस समेत सभी देशों ने इसे समर्थन दिया था. प्रस्ताव में आतंक के अपराधियों, आयोजकों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को न्याय के कटघरे में लाने की बात कही गई है. जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत आतंकवाद के मुद्दे पर किसी तरह की समझौता नीति नहीं अपनाएगा.
भारत-चीन संबंधों में पाकिस्तान की भूमिका
भारत-चीन संबंधों में पाकिस्तान की भूमिका को लेकर देश टेंशन में है. बता दें कि पाकिस्तान को चीन मिसाइलें, विमान और अन्य सैन्य उपकरणों की सप्लाई करता है. यही कारण है कि भारत ने दो टूक कहा कि भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों को तीसरे पक्ष, विशेष रूप से पाकिस्तान से, प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा. भारत का रुख साफ है कि सीमा पर शांति और आपसी व्यापारिक रिश्ते तब ही फलेंगे जब इस तरह के परोक्ष प्रभाव खत्म होंगे.
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