Watch: 'नहीं स्वीकार है 2 स्टेट सॉल्यूशन', एस जयशंकर के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में तुर्की पर बोले साइप्रस के विदेश मंत्री
साइप्रस के तीन दिवसीय दौरे पर गये विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने अपने समकक्ष इयोनिस कसौलाइड्स से मुलाकत कर एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया.

India Cyprus Relation: भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर (S. Jaishankar) ने साइप्रस के विदेश मंत्री इयोनिस कसौलाइड्स ने मुलाकात की. इस दौरान दोनों नेताओं ने कई समझौते पर हस्ताक्षर किये. इसके बाद दोनों नेताओं की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कसौलाइड्स ने कहा कि साइप्रस को 2 स्टेट सॉल्युशन स्वीकार नहीं है.
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत के विदेश मंत्री ने कहा कि भारत साइप्रस मुद्दे के समाधान के तौर पर संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों पर आधारित द्वि-सांप्रदायिक, द्वि-क्षेत्रीय संघ की ओर अपनी प्रतिबद्धता को दोहराता है.
#WATCH | As we have seen with the case of India the country's partition was just the beginning of a perilous journey and certainly not the end. Therefore a two-state solution for Cyprus and its people can not be accepted: Ioannis Kasoulides, Foreign Minister of Cyprus pic.twitter.com/o6EmAGNcnx
— ANI (@ANI) December 29, 2022
साइप्रस के विदेश मंत्री ने भारत का जताया आभार
कासोउलिडेस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और अंतरराष्ट्रीय कानून के संबंध में साइप्रस की एक व्यवहार्य और व्यापक समझौते पर पहुंचने का समर्थन करने के लिए भारत का आभार जताया. उन्होंने कहा कि जैसा कि हमने भारत के मामले में देखा है, देश का विभाजन एक खतरनाक यात्रा की शुरुआत थी और निश्चित तौर पर अंत नहीं था इसलिए साइप्रस और उसके लोगों के लिए दो राज्य के समाधान को स्वीकार नहीं किया जा सकता.
तुर्की ने कब किया था साइप्रस मामला
गौरतलब है कि साइप्रस के विदेश मंत्रालय के अनुसार तुर्की ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर समेत अंतरराष्ट्रीय कानून के सभी नियमों का उल्लंघन करते हुए 1974 में साइप्रस पर आक्रमण किया था. उसका दावा है कि आक्रमण के दौरान तुर्की ने फामागुस्ता शहर को अपने कब्जे में ले लिया था और तब से उसने साइप्रस गणराज्य के 36 प्रतिशत क्षेत्र पर अवैध कब्जा कर रखा है.
भारत विरोधी है तुर्की के राष्ट्रपति
पाकिस्तान के करीबी सहयोगी तुर्की के राष्ट्रपति रज्जब तैय्यब एर्दोआन बार-बार संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्रों में अपने संबोधन में कश्मीर मुद्दे का जिक्र करते है. भारत ने पहले भी उनकी टिप्पणियों को पूरी तरह अस्वीकार्य बताते हुए कहा था कि तुर्की को दूसरे देशों की संप्रभुत्ता का सम्मान करना सीखना चाहिए.