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IC-814 कंधार हाईजैक वेब-सीरीज देखकर भड़क गए पूर्व क्रू मेंबर- मैं वहीं था, भोला-शंकर ही नहीं इस पर भी विवाद...

पूर्व क्र प्रमुख ने कहा कि फ‍िल्‍मों में ऐसे दृश्‍यों को लेकर एक बॉडी होनी चाहि‍ए, जो इस पर फैसला कर सके. ऐसी चीजें दिखाने के लिए अंकुश लगाना बहुत जरूरी है.

नेटफ्लिक्स की वेब-सीरीज 'आईसी 814: द कंधार हाईजैक' को लेकर बढ़ते विवाद के बीच पूर्व केबिन क्रू मेंबर अनिल शर्मा ने कहा है कि कई सींस काल्पनिक हैं. वास्तविकता में ऐसा हुआ ही नहीं था. अनिल शर्मा उस घटना के वक्त प्लेन में मौजूद थे. उन्होंने कहा कि केबिन का सीन भी विवाद वाला है क्योंकि वेब-सीरीज में जैसा दिखाया गया कि हाईजैकर्स ने क्रू को थप्पड़ मारे, ऐसा असल में कुछ नहीं हुआ था.

अनिल शर्मा ने कहा कि किसी भी क्रू मेंबर को लहूलुहान नहीं किया गया और न ही एयर होस्टेस को थप्पड़ मारा गया, फिर पता नहीं ये क्यों इसे हाईलाइट किया गया. अनिल शर्मा ने बताया, उन्हें स्थिति की गंभीरता का अंदाजा तब हुआ जब, एक यात्री की हत्‍या के बाद उसकी बॉडी उठाने के लिए मुझे और मेरे सहयोगी को दुबई, एयरपोर्ट पर बुलाया गया. वहां पता चला कि मामला बहुत संगीन है. उस समय सिस्टम उतने एडवांस नहीं थे. आज की टेक्नोलॉजी काफी आगे निकल गई है. इस पूरे घटना से तमाम बड़े अधिकारी जुड़े हुए थे. जो भी कहिए, ये घटना तो हुई थी. बहुत कुछ हुआ था, मेरी टिप्पणी करने से कुछ बदलने वाला नहीं है.

अनिल शर्मा ने कहा कि तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह की भूमिका को लेकर आलोचना कर देना बहुत आसान है, लेकिन उनके कंधार जाने का बहुत सकारात्मक प्रभाव देखने को मिला था. तीन आतंकवाद‍ियों मसूद अजहर, अहमद उमर सईद शेख और मुश्ताक अहमद जरगर को छोड़ने की भारत ने बहुत बड़ी कीमत चुकाई है. उसके बाद उन आतंक‍ियों ने भारत में कई हमले कराए, जिनमें पाक‍िस्‍तान का भी हाथ रहा.

अनिल शर्मा ने कहा कि फ‍िल्‍मों में ऐसे दृश्‍यों को लेकर एक बॉडी होनी चाहि‍ए, जो इस पर फैसला कर सके. ऐसी चीजें दिखाने के लिए अंकुश लगाना बहुत जरूरी है. उन्होंने आगे कहा कि दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि जो लोग इस वेब-सीरीज की तरफदारी कर रहे हैं, मेरे हिसाब से यह ठीक नहीं है. सब कुछ पैसा कमाने नहीं होता है. मन में भी ये बात होनी चाहिए कि मैं गलत कर रहा हूं.

वेब सीरीज आईसी 814: द कंधार हाईजैक 29 अगस्त को ओटीटी प्लेटफार्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई. इसमें साल 1999 में नेपाल के त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के लिए उड़ान भरने वाली इंडियन एयरलाइंस की 'आईसी 814' फ्लाइट को पांच आतंकवादियों द्वारा हाईजैक करने की कहानी को दिखाया गया है. जैसे ही फ्लाइट ने उड़ान भरी, विमान में सवार पांच आतंकियों ने उसे हाईजैक कर लिया. प्लेन में 176 यात्री सवार थे, इनमें से कुछ विदेशी भी थे. 

विमान को शाम को नई दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचना था, लेकिन थोड़ी देर बाद ही उसके हाईजैक होने की जानकारी मिली. फ्लाइट को ईंधन के लिए बंदूक की नोक पर दिल्ली की बजाय अमृतसर ले जाया गया. कुछ समय तक विमान अमृतसर रुका रहा, फिर भी वो काम नहीं हुआ तो आतंकी इसे लाहौर ले गए, लेकिन पाकिस्तानी एटीसी ने इसे उतरने की अनुमति नहीं दी. बाद में विमान को उतरने की परमिशन मिली, फिर ईंधर भरवाया गया और संयुक्त अरब अमीरत के मिन्हाद एयर बेस में विमान को उतारा गया. यहां हाईजैकर्स ने 27 यात्रियों को रिहा कर दिया. वहां से विमान सीधे अफगानिस्तान के कंधार के लिए रवाना हो गया.

जिन पांच आतंकियों ने फ्लाइट को हाईजैक किया था, वे सभी पाकिस्तानी थे. उनका मकसद भारत की जेल में बंद मसूद अजहर, अहमद उमर सईद शेख और मुश्ताक अहमद जरगर की रिहाई था. जनवरी 2000 की विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, विमान में सवार अपहरणकर्ताओं ने अपने नाम को छिपाया था और वे काल्पनिक नाम चीफ, डॉक्टर, बर्गर, भोला और शंकर नाम से एक-दूसरे को संबोधित करते थे. व‍िमान का अपहरण करने वाले आतंकवादी संगठन हरकत-उल-मुजाहिदीन के पांच आतंकवादियों के नाम इब्राहिम अतहर, शाहिद अख्तर सईद, सनी अहमद काजी, मिस्त्री जहूर इब्राहिम और शाकिर था।

25 और 26 दिसंबर को भारत की ओर से बातचीत का दौर शुरू हुआ। 27 दिसंबर को भारत सरकार ने गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव विवेक काटजू की अध्यक्षता में एक टीम को कंधार के लिए रवाना किया। इसमें गृह मंत्रालय के अधिकारी अजीत डोभाल और सीडी सहाय भी शामिल थे. व‍िमान हाईजैक के लगभग आठ दिन के बाद 31 दिसंबर 1999 को सभी नागरिकों को रिहा कर दिया गया. नागरिकों की रिहाई के बदले में अपहरणकर्ताओं को मसूद अजहर, अहमद उमर सईद शेख और मुश्ताक अहमद जरगर को सौंपा गया.

खौफ भरे आठ दिन के बाद सभी नागरिकों को सकुशल भारत लाया गया, जिस वक्त विमान हाईजैक हुआ था, उस समय भारत में एनडीए की सरकार थी और अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे. आतंकियों की रिहाई के लिए सरकार को आलोचना का सामना भ करना पड़ा था. इस मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने की थी. उन्होंने 10 लोगों को आरोपी बनाया था, इनमें पांच अपहरणकर्ताओं सहित सात आरोपी अभी भी फरार हैं और उनके ठिकानों के बारे में आज तक पता नहीं लग पाया है.

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