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HIV संक्रमण को पता करने के लिए कौन-कौन से टेस्ट हैं? क्या है सही समय, यहां जानिए

AIDS Day: एड्स, एचआईवी वायरस से होने वाली बीमारी है. जानिए एचआईवी वायरस का संक्रमण पता करने के लिए कौन-कौन से टेस्ट हैं.

AIDS Day: दुनिया भर में आज 1 दिसंबर को एड्स डे मनाया जा रहा है. एड्स यानी एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिशिएंसी सिंड्रोम, एचआईवी वायरस की वजह से होता है. जब लंबे समय तक एचआईवी वायरस से संक्रमित मरीज का इलाज न किया जाए तो उसे एड्स होने का खतरा बढ़ जाता है. एचआईवी यानि ह्यूमन इम्यूनो डिफिशिएंसी वायरस. ये वायरस व्यक्ति के इम्यूनिटी सिस्टम को कमजोर कर देता है जिससे शरीर अन्य बीमारियों से लड़ने में कमजोर हो जाता है. यदि समय रहते एचआईवी वायरस का इलाज किया जाए तो व्यक्ति एड्स से तो बचता ही है. साथ ही इस वायरस से भी शरीर को बचाया जा सकता है.

HIV का पता करने के लिए कौन-कौन से टेस्ट होते हैं

एचआईवी से संक्रमित होने का सबसे बड़ा कारण असुरक्षित यौन संबंध है. कई मामलों में संक्रमित खून के संपर्क में आने से भी एचआईवी संक्रमण हो जाता है. एचआईवी संक्रमण का पता 5 अलग-अलग टेस्ट के जरिए किया जा सकता है.जानिए इनके बारे में

रैपिड किट टेस्ट

ये टेस्ट महज 15 से 20 मिनट में नतीजे दे देता है. इसमें ब्लड सैंपल के जरिए एचआईवी में एंटीबॉडीज की मौजूदगी देखी जाती है.

एलिसा या एंजाइम-लिंक्ड इम्यूनोसॉरबेंट 

जब रैपिड टेस्ट के जरिए किसी व्यक्ति में एचआईवी संक्रमण की पुष्टि होती है तो उसके बाद दूसरे मेथड से जांच किया जाता है जिसे एलीसा टेस्ट कहा जाता है. इसमें परिणाम आने पर 2 से 3 घंटे का समय लगता है. एंजाइम-लिंक्ड इम्यूनोसॉरबेंट एसे टेस्ट की मदद से शरीर में एंटीबॉडीज या एंटीजन की जांच की जाती है

वेस्टर्न ब्लॉट

इस टेस्ट को भी पुष्टिकरण के लिए किया जाता है. वेस्टर्न ब्लॉट में कई एचआईवी विशिष्ट प्रतिजन नाइट्रोसेल्यूलोज पेपर पर अवशोषित हो जाते हैं. एंटीबॉडी स्ट्रिप पर मौजूद एंटीजन से जुड़ जाती है और एंटीजन एंटीबॉडी कंपलेक्स का पता लगाया जाता है.

एचआईवी वायरल लोड टेस्ट

जब किसी व्यक्ति में एचआईवी की पुष्टि हो जाती है तो रक्त में एचआईवी की मात्रा को नापने के लिए एचआईवी वायरल लोड टेस्ट किया जाता है. इस टेस्ट का उपयोग प्रारंभिक एचआईवी संक्रमण का पता लगाने और उपचार की प्रगति की निगरानी के लिए किया जाता है. तीन तरह की टेक्नोलॉजी खून में HIV वायरल लोड को नापती है. इसमें आरटी-पीसीआर, बीडीएनए, और न्यूक्लिक एसिड सीक्वेंस-बेस्ड एम्प्लीफिकेशन एसे (NASBA) है. तीनों तरह की टेक्नोलॉजी में डीएनए सीक्वेंस का उपयोग करके एचआईवी का पता लगाया जाता है.

Cd4 (क्लस्टर ऑफ डिफरेंशियल 4)

वायरल लोड टेस्ट के साथ cd4 सेल काउंट करना जरूरी है जो मरीज की इम्यूनिटी को मापता है. यदि cd4 की संख्या 500 से कम होती है तो रोगियों में संक्रमण विकसित होने की संभावना होती है. cd4 की संख्या जितनी ज्यादा होगी व्यक्ति उतना ही स्वस्थ होगा. हालांकि cd4 की संख्या भले ही ज्यादा या कम हो एचआईवी पॉजिटिव पाए जाने के बाद मरीज का फौरन इलाज शुरू कर दिया जाना चाहिए. 

कब कराना चाहिए टेस्ट

दरअसल, एचआईवी टेस्ट व्यक्ति को 3 से 4 हफ्ते बाद कराना चाहिए जब उसे लगे कि वह जोखिम के संपर्क में आ गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि जैसे ही एचआईवी का वायरस शरीर में प्रवेश कर जाता है तो विंडो पीरियड का इंतजार करना होता है. विंडो पीरियड वो अवधि है जब एचआईवी संक्रमण सतह पर आ जाता है. यदि विंडो पीरियड से पहले आप टेस्ट करवाते हैं तो आपको सटीक परिणाम नहीं मिलेगा. जब भी आपको ऐसा लगे कि आप एचआईवी से संक्रमित हो गए हैं तो आप तुरंत 72 घंटे के भीतर डॉक्टर के पास जाएं. डॉक्टर आपको आगे टेस्ट के विषय में अच्छे से गाइड कर पाएंगे. 

कितना आता है खर्च

अगर आप सरकारी अस्पतालों में एचआईवी टेस्ट करवाते हैं तो ये पूर्ण रूप से निशुल्क है. वहीं, अगर आप प्राइवेट अस्पतालों में ये टेस्ट करवाते हैं तो इसकी कीमत 1200 रूपये से 1500 रूपये के बीच है. हालांकि ये टेस्ट पर भी निर्भर करता है कि आप कौन सा टेस्ट करवा रहे हैं. यदि आप वायरल लोड और cd4 काउंट टेस्ट करवाते हैं तो आपको 3000 से 5000 रूपये देने होते है.

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