भारत में ताज महल से लेकर लाल किले जैसी आलीशान बिल्डिंग्स, मुगलों की बनवाई कौन-कौन सी इमारतें अब पाकिस्तान में?
मुगलों ने अपने शासनकाल में दिल्ली से लेकर लाहौर तक कई इमारतों का निर्माण कराया था. जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ था तो ऐसी कई खूबसूरत इमारतें पाकिस्तान में चली गई.

भारत में मुगलों के शासनकाल को जब भी याद किया जाता है, तब ऐतिहासिक इमारतों का जिक्र जरूर आता है. आगरा का ताजमहल हो गया दिल्ली का लाल किला, सबकुछ मुगलों के शासनकाल में ही बना. मुगलों के बाद देश पर अंग्रेजों ने राज किया और जब अंग्रेज वापस गए तो भारत को दो हिस्सों में बांट गए. 1947 में भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ. दोनों मुल्क को अलग-अलग हिस्सों में बांट दिया गया और इसी के साथ वे ऐसी कई इमारतें भी बंट गईं, जो कभी भारत की शान हुआ करती थीं.
दरअसल, मुगलों ने अपने शासनकाल में दिल्ली से लेकर लाहौर तक कई इमारतों का निर्माण कराया था. जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ था तो ऐसी कई खूबसूरत इमारतें पाकिस्तान में चली गई. आज इस आर्टिकल में पाकिस्तान की उन खूबसूरत इमारतों के बारे में जानते हैं, जिन्हें भारतीय मुगल शासकों द्वारा बनवाया गया था.
जहांगीर का मकबरा
पाकिस्तान में मुगल बादशाह शाहजहां का बनवाया जहांगीर का मकबरा लाहौर के शाहदरा बाग में स्थित है. यह मकबरा शाहजहां ने अपने पिता जहांगीर की याद में बनवाया था. जहांगीर का निधन 1627 में हुआ था, उसके निधन के बाद इस मकबरे का निर्माण लगभग 10 साल बाद पूरा हुआ था.
लाहौर का किला
पाकिस्तान के लाहौर में लाहौर किला स्थित है, इसे शाही किला के नाम से भी जाना जाता है. यह शाही किला 400 से अधिक कनाल में फैला हुआ है, जो मुगल काल की सबसे प्रतिष्ठित इमारतों में से एक है. शाही किले की नींव अकबर ने 1566 में रखी थी. 1981 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था.
रोहतास किला
पाकिस्तान के सबसे प्रसिद्ध किलों मे रोहतास किला का नाम भी आता है. झेलम शहर के दीना टाउन के पास मौजूद इस किले को शेरशाह सूरी ने 1540 से 1547 के बीच बनवाया था. कहा जाता है कि इस किलो को बनाने में करीब 30 हजार लोग लगे थे. इस किले पर मुगलों का अधिकार रहा था.
डेरावल किला
चोलिस्तान रेगिस्तान में डेरावर किला स्थित है. इसका निर्माण 9वीं शताब्दी में किया गया था. लाल ईटों से बने इस किले को दूर से देखा जा सकता है. इस ऐतिहासिक किले की दीवारें 30 मीटर ऊंची हैं और इसका घेरा 1500 मीटर का है.
बाल्टिट फोर्ट
16वीं शताब्दी के आसपास गिलगित-बाल्टिस्तान में एक पहाड़ की चोटी पर इसका निर्माण कराया गया था. इस किले को 2004 में वर्ल्ड हेरिटेज टेंटेटिव लिस्ट में शामिल किया गया था.
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