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गोरखपुर के दो विश्वविद्यालयों का इन्फ्लिबनेट के साथ बड़ा करार, डिजिटल एजुकेशन को मिलेगा बढ़ावा

यह समझौता दोनों यूनिवर्सिटीज को इन्फ्लिबनेट की डिजिटल सर्विसेज से जोड़ेगा. इन्फ्लिबनेट, यूजीसी का एक स्वायत्त केंद्र है, जो देशभर के विश्वविद्यालयों को सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के संसाधन देता है.

गोरखपुर के दो बड़े विश्वविद्यालयों दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (डीडीयू) और मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी) ने मंगलवार (22 जुलाई) को गुजरात के गांधीनगर स्थित इन्फ्लिबनेट केंद्र के साथ अहम एमओयू साइन किया. यह करार लखनऊ के राजभवन में उत्तर प्रदेश की माननीय राज्यपाल और दोनों विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल की मौजूदगी में हुआ. इस समझौते से दोनों विश्वविद्यालयों में डिजिटल एजुकेशन और रिसर्च के क्षेत्र में नई क्रांति आने की उम्मीद है.

कौन-कौन रहा मौजूद?

डीडीयू की ओर से कुलपति प्रो. पूनम टंडन और कुलसचिव धीरेन्द्र श्रीवास्तव ने हिस्सा लिया, जबकि एमएमएमयूटी की ओर से कुलपति प्रो. जय प्रकाश सैनी और कुलसचिव चंद्र प्रकाश प्रियदर्शी मौजूद थे. इन्फ्लिबनेट के डायरेक्टर डॉ. जेपी सिंह जोईल ने एमओयू पर साइन किए. दोनों यूनिवर्सिटीज के वरिष्ठ अधिकारी भी इस मौके पर मौजूद थे.

क्या है यह करार?

यह समझौता दोनों यूनिवर्सिटीज को इन्फ्लिबनेट की डिजिटल सर्विसेज से जोड़ेगा. इन्फ्लिबनेट, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) का एक स्वायत्त केंद्र है, जो देशभर के विश्वविद्यालयों को सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के संसाधन उपलब्ध कराता है. इस करार से शिक्षकों, शोधकर्ताओं और छात्रों को कई सुविधाएं मिलेंगी.  

इन सुविधाओं का मिलेगा फायदा

  • शोधगंगा: शोध थीसिस को स्टोर करने और पढ़ने की सुविधा.
  • शोधचिंतक (URKUND): शोध पत्रों की मौलिकता जांचने की व्यवस्था.
  • राष्ट्रीय ई-ग्रंथालय (NDL): ई-कंटेंट तक आसान पहुंच.
  • ई-शोध सिंधु: उच्च गुणवत्ता वाले ई-जर्नल्स, ई-बुक्स और डेटाबेस.  
  • विद्यांजलि: एजुकेशन पोर्टल्स.
  • ऑनलाइन ट्रेनिंग, डेटा रिपॉजिटरी और डिजिटल कंटेंट मैनेजमेंट.

इन सुविधाओं से दोनों विश्वविद्यालयों की पढ़ाई और रिसर्च की क्वालिटी बढ़ेगी. साथ ही, शोध में पारदर्शिता और नवाचार को भी बल मिलेगा.

कुलपतियों ने कही ये बात

डीडीयू की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा, 'राज्यपाल महोदया के मार्गदर्शन से यह करार हुआ है. यह हमारे विश्वविद्यालय को डिजिटल युग में नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा. यह शोध को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने में मदद करेगा. यह समझौता डिजिटल शिक्षा और शोध की गुणवत्ता को बढ़ाने में एक नया युग शुरू करेगा.' वहीं, एमएमएमयूटी के कुलपति प्रो. जय प्रकाश सैनी ने इसे ऐतिहासिक कदम बताया. उन्होंने कहा, 'यह करार हमारे विश्वविद्यालय को डिजिटल संसाधनों के मामले में नया आयाम देगा. शोधगंगा, शोधचिंतक और ई-शोध सिंधु जैसी सेवाएं शोध की गुणवत्ता और पारदर्शिता को बढ़ाएंगी. यह छात्रों और शिक्षकों को राष्ट्रीय स्तर की ई-लाइब्रेरी से जोड़ेगा और हमारा शैक्षिक स्तर और मजबूत होगा.'

इन्फ्लिबनेट ने किया यह वादा

इन्फ्लिबनेट के निदेशकों ने भरोसा दिलाया कि वे दोनों विश्वविद्यालयों को तकनीकी ट्रेनिंग, गाइडेंस और जरूरी संसाधन मुहैया कराएंगे. इससे करार के सारे लक्ष्य आसानी से पूरे हो सकेंगे.

क्यों है यह खास?

यह समझौता दोनों विश्वविद्यालयों को डिजिटल और शोध के क्षेत्र में आगे ले जाएगा. यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के डिजिटल और शोध को बढ़ावा देने के लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में बड़ा कदम है. छात्रों को आधुनिक डिजिटल संसाधनों तक आसानी से पहुंच मिलेगी, जिससे उनकी पढ़ाई और शोध का स्तर सुधरेगा. यह करार गोरखपुर के शैक्षिक माहौल को और मजबूत करेगा और इसे वैश्विक मानकों के करीब लाएगा.

क्या होगा फायदा?

इस करार से दोनों विश्वविद्यालयों के छात्रों और शिक्षकों को नई तकनीक और संसाधनों का लाभ मिलेगा. शोधगंगा के जरिए थीसिस को डिजिटल रूप में सुरक्षित रखा जा सकेगा. शोधचिंतक से शोध की मौलिकता की जांच होगी, जिससे रिसर्च की क्वालिटी बढ़ेगी. ई-शोध सिंधु के जरिए विश्व स्तर के जर्नल्स और डेटाबेस तक पहुंच मिलेगी.

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