Lucknow News: समाजवादी पार्टी के अधिवेशन की तैयारियां पूरी, कई नए चहरों को मिल सकती है जिम्मेदारी
समाजवादी पार्टी का राज्य अधिवेशन 28 सितम्बर और राष्ट्रीय अधिवेशन 29 सितम्बर को होगा. पार्टी की स्थापना के बाद से पहली बार सम्मेलन अखिलेश यादव पर केंद्रित होगा.

SP Convention: समाजवादी पार्टी का राज्य अधिवेशन 28 सितम्बर और राष्ट्रीय अधिवेशन 29 सितम्बर को होगा. लेकिन समाजवादी पार्टी के सम्मेलन में इस बार मुलायम सिंह की पीढ़ी के नेताओं का अभाव दिखेगा. पार्टी की स्थापना के बाद से पहली बार सम्मेलन अखिलेश यादव पर केंद्रित होगा. इस सम्मलेन में अखिलेश यादव का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना जाना तय है. लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष का यह ताज कांटों भरा होगा. क्योंकि आगे अखिलेश के सामने निकाय चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव में अपने रणनीतिक और राजनीतिक कौशल से अपनी नेतृत्व क्षमता का लोहा मनवाने की चुनौती होगी. यह सम्मलेन सियासी फलक पर पार्टी को ताकत देने के साथ ही नई चुनौतियों से भी रूबरू कराएगा.
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जब से अपने पिता मुलायम सिंह यादव की विरासत संभाली है तब से पार्टी में नेता बने रहने को लेकर कोई अड़चन नहीं है. लेकिन अंदर खाने उनके नेतृत्व को लेकर सवाल जरूर उठ रहे हैं. इसके पीछे बड़ी वजह है राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद तीन चुनाव में पार्टी को करारी शिकस्त का सामना करना.
अखिलेश यादव जनवरी 2017 में राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस में गठबंधन हुआ. लेकिन सपा को सिर्फ 47 सीट पर जीत मिली. भाजपा प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई. इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा ने बसपा के साथ गठबंधन किया. लेकिन इसमें भी सपा के खाते में उत्तर प्रदेश में 80 सीटों में से सिर्फ 5 सीट आई. 2022 के चुनाव में भी सपा को हार का सामना करना पड़ा.
काफी कुछ नया देखने को मिलेगा
सम्मेलन में कई राजनीतिक, आर्थिक व अन्य प्रस्ताव पारित होंगे. अखिलेश यादव पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भले ही 5 साल पहले ही बने हो, लेकिन उनका यह पहला सम्मेलन है जिसमें वह खुद सर्वे सर्वा होंगे. सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के साथ पार्टी को आगे बढ़ाने वाले ज्यादातर नेता अब इस दुनिया में नहीं या फिर वह किनारे हैं. शिवपाल यादव की बात करें तो वो भी सपा से अलग हैं. अखिलेश यादव का ही राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना जाना तय है, लेकिन कार्यकारिणी में काफी कुछ नया देखने को मिलेगा. मालूम हो कि अखिलेश यादव जनवरी 2017 में राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए थे इस पर मुहर 5 अक्टूबर को आगरा के राष्ट्रीय सम्मेलन में लगी थी.
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पार्टी के संविधान में हुआ था बदलाव
2017 का वह राष्ट्रीय अधिवेशन भी कई मायनों में खास और चर्चा में रहा. 2017 में जो अधिवेशन हुआ था उसमें मुलायम सिंह यादव नहीं पहुंचे थे. दूसरा ये की सपा में पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष 3 वर्ष के लिए चुना जाता था लेकिन इसी अधिवेशन में पार्टी ने अपने संविधान में बदलाव किया. इसके बाद अध्यक्ष का कार्यकाल 5 साल कर दिया गया. एक और खास बात तब ये भी रही की 2017 में पहले जनवरी में अधिवेशन हुआ, जिसमे अखिलेश यादव को अध्यक्ष चुना गया. लेकिन इसके 9 महीने बाद ही अक्टूबर में फिर अधिवेशन हुआ, जिसमे फिर अखिलेश के नाम पर ही मोहर लगी. प्रदेश अध्यक्ष पद पर भी नरेश उत्तम पटेल को फिर मौका मिल सकता है.
नए चेहरों को मिल सकता है मौका
यह सम्मलेन इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि अखिलेश यादव अपनी पार्टी के लिए मजबूत टीम तैयार करने में जुटे हैं. इस सम्मेलन के माध्यम से राष्ट्रीय व प्रदेश संगठन को नए सिरे से खड़ा किया जाएगा. जो निकाय चुनाव और 2024 के लिहाज से काफी अहम है. समाजवादी पार्टी में फिलहाल सभी संगठन भंग चल रहे हैं. ऐसे में राष्ट्रीय कार्यकारिणी से लेकर प्रदेश कार्यकारिणी तक नए चेहरों को मौका मिल सकता है.
कैसी हैं तैयारियां
सपा के राज्य और राष्ट्रीय अधिवेशन के लिए रमाबाई अंबेडकर स्थल में भव्य पंडाल लगाये गए हैं. 28 सितंबर को प्रदेश अध्यक्ष और 29 सितंबर को राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए चुनाव होगा. प्रतिदिन करीब 20 से 22 हज़ार डेलिगेट्स अधिवेशन में शामिल होकर वोटिंग करेंगे. ये डेलिगेट्स पार्टी के सक्रीय सदस्यों में चुने गए हैं. प्रदेश सम्मेलन में कुल सक्रिय सदस्यों में से 15 फीसद और राष्ट्रीय सम्मेलन में 10 फीसदी डेलिगेट्स वोटिंग करेंगें. यहां महिलाओं के लिए अलग पंडाल की व्यवस्था की गयी है. इसके अलावा खाने के लिए भी भव्य पंडाल लगाया गया है. रमाबाई आंबेडकर मैदान की तरफ जाने वाले रास्तों से लेकर परिसर के अंदर हर तरफ इससे जुड़े होअर्डिंग से पटा हुआ है.
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