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लश्कर-ए-तैयबा को लगा बड़ा झटका, करोड़ों की फंडिंग संभालने वाले आतंकी अब्दुल अजीज की मौत

आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा को बड़ा झटका लगा है. दरअसल इसके खिदमत ए खलक नाम की संस्था को संभाल रहे टॉप आतंकी अब्दुल अजीज की पाकिस्तान में मौत हो गई.

आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा के फंडिंग नेटवर्क को खिदमत ए खलक नाम की संस्था को संभाल रहे लश्कर ए तैयबा के टॉप आतंकी अब्दुल अजीज की सोमवार (21 जुलाई, 2025) को पाकिस्तान के बहावलपुर स्थित अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद दर्दनाक मौत हो गई. लश्कर ए तैयबा का आतंकी अब्दुल अजीज लश्कर के डिप्टी अमीर सैफ़ुल्लाह कसूरी का खास था. 

अजीज का काम आतंकी फंडिंग के लिए पैसा इकट्ठा करना था, जिसके लिए लश्कर ए तैयबा ने इसे खिदमत ए खलक नाम की संस्था का बावलपुर में प्रमुख बनाया था. इसके सहारे लश्कर पाकिस्तान में आतंकवाद और लोगों की मदद के नाम पर चंदा इकट्ठा करती थी.

अमेरिका ने कर दिया था प्रतिबंधित 

असल में आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा के गठन के बाद से ही ये पूरा आतंकी संगठन किसी ना किसी संस्था के सहारे आतंकी फंडिंग के लिए चंदा इकट्ठा करता रहता है. साल 2020 तक लश्कर ए तैयबा ने पाकिस्तान में चंदा ‘फलाह ए इंसानियत’ नाम की संस्था के नाम से इकट्ठा किया और भारत के खिलाफ आतंकवाद की फंडिंग की, लेकिन इस संस्था को संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका दोनों ने भारत की ओर से सबूत मुहैया करवाने के बाद फलाह ए इंसानियत को लश्कर ए तैयबा से जुड़ा मानकर प्रतिबंधित कर दिया था. 

ऐसे में FATF की ग्रे लिस्ट से निकालने के लिए ISI ने लश्कर से नई संस्था बनाने को कहा, जिसके बाद लश्कर ए तैयबा ने खिदमत ए खलक नाम की संस्था बनायी और रजिस्टर करवायी और बहावलपुर में इसका प्रमुख अब्दुल अजीज को बनाया गया.

3 जगहों से होती है लश्कर ए तैयबा की कमाई

लश्कर ए तैयबा की खिदमत ए खलक लाहौर के बाद सबसे ज्यादा चंदा बहावलपुर से ही इकट्ठा करती है. सूत्रों के मुताबिक, लश्कर ए तैयबा का फंडिंग नेटवर्क आजकल 3 चरण में चलता है, पहला गाजा के नाम पर लोगों से सीधा चंदा इकट्ठा करके, दूसरा कश्मीर में दहशत फैलाने के नाम पर चंदा इकट्ठा करके और तीसरा बकरीद के दौरान जानवर की खाल लोगों से चंदे के नाम पर लेकर लेदर का काम करने वाली कंपनियों को बेचकर करोड़ों की कमाई होती है. 

साथ ही इन तीनों तरह के चन्दों को लश्कर ए तैयबा सीधा अपने या फिर जमात उद दावा के नाम से लोगों से नहीं लेती है, बल्कि ये तीनों तरह के चंदे खिदमत ए खलक के नाम से लिए जाते हैं और सारा पैसा इसके अकाउंट में ही दिखाया जाता है, जिससे आतंकवाद के लिए इस्तेमाल होने वाले हथियार से लेकर नए आतंकवाद के कैम्प और मरकज को लश्कर ए तैयबा बनवाती है.

लश्कर ए तैयबा के लिए कितना जरूरी अलील?

ऐसे में सूत्रों के मुताबिक, अकेले बहावलपुर से ही लश्कर ए तैयबा को हर साल 20 करोड़ पाकिस्तानी रुपयों से ज्यादा कीमत का चंदा मिलता था, जिसे इकट्ठा करने का सारा जिम्मा अब्दुल अजीज ही उठाता था. अब्दुल अजीज लश्कर ए तैयबा के लिए कितना जरूरी था, इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसके आखिरी दिनों में लश्कर ए तैयबा का वैश्विक आतंकी हाफिज अब्दुर रऊफ अस्पताल में उसके साथ था.

आतंकी अब्दुर रऊफ फलाह ए इंसानियत का प्रमुख था, जो खिदमत ए खलक से पहले लश्कर ए तैयबा के लिए इसी तरह फंड इकट्ठा करने का काम करती थी. साथ ही अब्दुल अजीज लश्कर ए तैयबा की दूसरी पीढ़ी का आतंकी है, जो हाफिज सईद की जगह आतंकी सैफुल्लाह कसूरी के खास लोगों में शुमार था. 

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शिवांक मिश्रा साल 2020 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं और इस वक्त एबीपी न्यूज़ में बतौर प्रिंसिपल कॉरेस्पॉन्डेंट कार्यरत हैं. उनकी विशेषज्ञता साइबर सुरक्षा, इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग और जनहित से जुड़े मामलों की गहन पड़ताल में है. कनाडा में खालिस्तानी आतंकियों के शरण मॉड्यूल से लेकर भारत में दवा कंपनियों की अवैध वसूली जैसे विषयों पर कई महत्वपूर्ण खुलासे किए हैं. क्रिकेट और फुटबॉल देखना और खेलना पसंद है.
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