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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दिया...मानसून सत्र में कौन संभालेगा राज्यसभा का चार्ज; जानिए क्या है नियम

जैसे ही उपराष्ट्रपति इस्तीफा देता है, वैसे ही राज्यसभा के चेयरमैन की कुर्सी खाली हो जाती है. ऐसे में जब मानसून सत्र सामने है, तो सत्र को सुचारु रूप से चलाने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था जरूरी हो जाती है.

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है और सबसे बड़ा सवाल यही उठ रहा है कि अब राज्यसभा के मानसून सत्र की अध्यक्षता कौन करेगा? संविधान के मुताबिक, भारत का उपराष्ट्रपति राज्यसभा का एक्स-ऑफिसियो चेयरमैन होता है यानी जैसे ही उपराष्ट्रपति इस्तीफा देता है, वैसे ही राज्यसभा के चेयरमैन की कुर्सी खाली हो जाती है. ऐसे में जब मानसून सत्र सामने है, तो सत्र को सुचारु रूप से चलाने के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था जरूरी हो जाती है. अब आगे क्या होना है और इसे लेकर क्या नियम हैं आइए विस्तार से जानते हैं.

जगदीप धनकड़ के बाद कौन संभालेगा मानसून सत्र की जिम्मेदारी?

अब नियम कहता है कि जब चेयरमैन मौजूद न हो, तो राज्यसभा का सत्र डिप्टी चेयरमैन की अध्यक्षता में आयोजित किया जाता है. मौजूदा समय में राज्यसभा के डिप्टी चेयरमैन हैं हरिवंश नारायण सिंह, जो 2020 से इस पद पर कार्यरत हैं. यानी जब तक नए उपराष्ट्रपति का चुनाव नहीं होता और वो पदभार ग्रहण नहीं करते, तब तक हरिवंश नारायण सिंह राज्यसभा की कार्यवाही को संचालित करेंगे. गौरतलब है कि नए उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य करते हैं और यह चुनाव गुप्त मत के जरिए होता है. जब तक यह चुनाव प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तब तक डिप्टी चेयरमैन की जिम्मेदारी काफी अहम मानी जाएगी. मानसून सत्र में कई अहम विधेयकों और बहसों की तैयारी है, ऐसे में चेयर की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रहने वाली है.

ये है नियम, जानिए क्या कहता है संविधान

संविधान के अनुच्छेद 64 और 89 राज्यसभा में अध्यक्षता से जुड़े प्रावधानों को स्पष्ट रूप से तय करते हैं. अनुच्छेद 89(1) के मुताबिक, राज्यसभा के एक डिप्टी चेयरमैन की व्यवस्था की जाती है, जो चेयरमैन की अनुपस्थिति में सभी कार्यों की निगरानी करता है. इसलिए अब जब जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दे दिया है, तो हरिवंश नारायण सिंह इस जिम्मेदारी को निभाएंगे.

इससे पहले भी आई है ऐसी स्थिति!

इससे पहले ऐसा उदाहरण तब देखने को मिला था जब 2017 में उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का कार्यकाल पूरा होने और चुनाव से पहले कुछ दिनों के लिए चेयर की जिम्मेदारी डिप्टी चेयरमैन के पास थी. ऐसे में ये कोई पहली बार नहीं हो रहा है, लेकिन ऐसे वक्त में जब संसद का सत्र चलने वाला हो, तब उपराष्ट्रपति का इस्तीफा बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम माना जा रहा है. जगदीप धनकड़ ने अपने स्वास्थ्य समस्याओं और बेडरेस्ट का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया है.

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शेख इंजमाम उल हक

हजरत शेख इंजमाम को पत्रकारिता में 2 साल से ज्यादा का अनुभव है. भारत की शाही संस्कृति और गौरवशाली इतिहास के गवाह राजस्थान से उनका संबंध है. भारत की शिक्षा नगरी के तौर पर मशहूर कोटा उनकी कर्मभूमि है, जहां हर साल हजारों युवक बड़े-बड़े सपने लेकर, आईआईटी–जेईई और नीट की तैयारी के लिए इस शहर को अपना बसेरा बनाते हैं, लेकिन इंजमाम को इस शहर का ये माहौल रास नहीं आया और उन्होंने डॉक्टर, इंजीनियर बनने के बजाए पत्रकार बनने का फैसला किया. हालांकि, कोटा से 72 किमी दूर एक छोटे से गांव सीसवाली में जन्म लेने वाले इंजमाम ने इंटरमीडियट तक की पढ़ाई इसी शहर से की.

बचपन से हिंदी में रुचि और लगाव उन्हें पत्रकारिता के लिए दिल्ली खींच लाया. जहां उन्होंने पत्रकारिता में स्नातक की डिग्री ली. उन्होंने जामिया मिलिया इस्लामिया से हिंदी साहित्य में MA और एम.फिल. की डिग्री भी हासिल की.

इंडिया न्यूज़ और विकिपीडिया के लिए कार्य करने के बाद इंजमाम एबीपी लाइव से बतौर ट्रेनी जुड़े और अब प्रमोट होकर बतौर कॉपी एडिटर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं.

शेख इंजमाम का हिंदी और उर्दू से खासा लगाव है और दोनों भाषाओं में शौकिया शायरी भी करते हैं. उन्होंने कई कविताएं रची हैं और अनेक साहित्यिक लेखों का सृजन किया है. साहित्य की एक अन्य विधा व्यंग्य भी उनका पसंदीदा विषय है.

ट्रेंडिंग और राजनीति उनकी पसंदीदा बीट है. राजनीतिक खबरों पर पैनी नजर की वजह से वो रोजाना के ट्रेंड और सोशल मीडिया पर पनपने वाले विचारों की बखूबी समझ रखते हैं.

शेख इंजमाम को घूमना पसंद है और उन्होंने भारत के कई शहरों और देहात का सफर किया है और वहां के रीति रिवाज, रहन सहन और सामाजिक ताने बाने को खूब समझते हैं.

इंजमाम को फिल्में देखने और गाने सुनने का भी शौक है. अमरीश पुरी और सलमान खान को वह अपने पसंदीदा अभिनेताओं में शुमार करते हैं. सूफी और क्लासिकल म्यूजिक भी उन्हें रुहानी सुकून देता है. उन्हें फिल्मी अभिनेताओं, कलाकारों और नेताओं के इंटरव्यू देखने का भी शौक है.

भाषा पर मजबूत पकड़ और लेखन की विभिन्न शैली में गहरी समझ रखने की वजह से वो खूबसूरत अंदाज़ में बड़ी आसानी से खबरों को पेश करने में सफल रहते हैं.

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