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Who is Yaqoob Qureshi: नींबू बेचे, मीट का कारोबार किया, कार्टूनिस्ट का सिर कलम करने पर 51 करोड़ का इनाम, अब 31 करोड़ की प्रॉपर्टी सीज

याकूब कुरैशी ने पहली बार कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा था, लेकिन वह हार गए. इसके बाद वह बसपा में शामिल हो गए और यूपी की खरखौदा सीट से विधानसभा का चुनाव जीता.

उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में करीब 31 करोड़ रुपये की बेनामी संपत्ति जब्त होने के बाद बहुजन समाज पार्टी (BSP) के नेता और पूर्व विधायक हाजी याकूब कुरैशी एक बार फिर चर्चाओं में हैं. जिला अधिकारियों ने बताया कि गैंगस्टर एक्ट के तहत नौचंदी के भवानीनगर में एक हॉस्पिटल, 2 लग्जरी गाड़ियां और तीन प्लॉट समेत 31 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी जब्त हुई है. इससे पहले 31 मार्च को भी उन पर इसी तरह की कार्रवाई में करोड़ों रुपये की बेनामी संपत्ति सीज की गई थी. उनकी मीट फैक्ट्री में अवैध तरीके से मांस की पैकिंग के मामले में यह कार्रवाई हुई थी, जिसमें याकूब के साथ उनकी पत्नी और 2 बेटों समेत 17 लोगों को नामजद किया गया था.

कद्दावर नेता रहे याकूब कुरैशी की कहानी भी एकदम फिल्मी है. कभी साइकिल पर नींबू और गुड़ बेचने वाले याकूब कुरैशी बड़े राजनेता बन गए. बड़े-बड़े कारोबारियों में उनकी गिनती होती थी और खाड़ी देशों में बड़े एक्सपोर्टर में उनका भी नाम  शुमार था. अपने और परिवार के नाम पर करोड़ों का साम्राज्य खड़ा कर लिया, जो अब धीरे-धीरे ढहता जा रहा है. अब तक की कार्रवाई में याकूब कुरैशी की 156 करोड़ रुपये की संपत्ति सीज हो चुकी है.

याकूब कुरैशी का राजनीतिक सफर
याकूब कुरैशी ने अपने ताऊ हकीमुद्दीन से इंसपायर होकर राजनीति में प्रवेश किया. हकीमुद्दीन कांग्रेस के कद्दावर नेता थे. याकूब ने अपना राजनीतिक सफर भी कांग्रेस के साथ ही शुरू किया. साल 1995 में वह मेरठ के पार्षद बने और अगले साल डिप्टी मेयर बन गए. इसके बाद 1999 में कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए. फिर उन्होंने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया और बसपा में शामिल हो गए. उसी के टिकट पर 2002 में खरखौदा से विधायक बनकर यूपी विधानसभा पहुंचे. उन्हें यूपी कैबिनेट में भी जगह मिली.

साल 2007 में अपनी पार्टी यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) के टिकट पर मेरठ से विधायक बने, लेकिन 2012 के विधानसभा चुनाव में हार गए. इसके बाद उन्होंने साल 2014 में मुरादाबाद से लोकसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन इसमें भी सफलता नहीं मिली तो 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में मेरठ दक्षिण से किस्मत आजमाई. हालांकि, इसमें भी उनको हार का सामना करना पड़ा. 2019 में एक बार फिर वह बसपा के टिकट पर मेरठ लोकसभा सीट से चुनावी मैदानी में उतरे और एक बार फिर हार मिली.

बसपा में लगा रहा आना-जाना
याकूब कुरैशी ने भले ही राजनीतिक सफर की शुरुआत कांग्रेस से की हो, लेकिन सबसे ज्यादा समय उन्होंने बसपा के साथ बिताया. हालांकि, वह लगातार पार्टी के साथ नहीं रहे, कभी सपा, कभी रालोद तो कभी अपनी पार्टी यूडीएफ के साथ जुड़े रहे और आखिर में फिर से बसपा में आ गए. साल 2002 में कांग्रेस छोड़कर वह बसपा में आए, लेकिन अगले ही साल मुस्लिम विधायकों को लेकर समाजवादी पार्टी में चले गए. इस दौरान, उन्हें मुलायम सिंह यादव के कैबिनेट में भी जगह मिली और हज एवं अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री के स्वतंत्र प्रभारी बनाए गए.

साल 2007 में उन्होंने फिर से बगावत कर दी और बसपा से अलग होकर अपनी पार्टी यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रं' (UDF) बना ली. यूडीएफ से मेरठ और खरखौदा दो जगह से विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन सिर्फ मेरठ से ही वह जीते. इसी साल उन्होंने यूडीएफ का बसपा में विलय भी कर लिया. 2011 में अनुशासनहीनता का आरोप लगाकर बसपा ने उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया और याकूब राष्ट्रीय लोक दल (RLD) में शामिल हो गए. कुछ महीनों बाद ही उनकी बसपा में वापसी हो गई और तब से वह इसी के साथ हैं.

विवादों से रहा है पुराना नाता
याकूब कुरैशी का विवादों से भी गहरा नाता रहा है. सबसे ज्यादा चर्चाओं में वह तब आए थे, जब साल 2006 में उन्होंने डेनमार्क के कार्टूनिस्ट का सिर कलम करने पर 51 करोड़ रुपये के इनाम का ऐलान किया था. कार्टूनिस्ट ने पैगंबर मोहम्मद का विवादित कार्टून बनाया था. धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाकर उन्होंने यह ऐलान किया था. उन्होंने 17 फरवरी 2006 को फैज-ए-आम इंटर कॉलेज में एक सभा में यह विवादित बयान दिया था. इस मामले में भी याकूब पर केस चल रहा है. इसके अलावा, फ्रांसीसी मैग्जीन शार्ली एबदो के ऑफिस पर हुए हमले को भी याकूब ने ठीक ठहराया था और बयान दिया था कि पैगंबर-ए-इस्लाम मोहम्मद साहिब की शान में गुस्ताखी माफ नहीं की जा सकती.

याकूब कुरैशी की पत्नी और बेटों पर भी चल रहा मुकदमा
साल 1989 में याकूब कुरैशी साइकिल पर घूम-घूम कर नींबू बेचते थे, लेकिन 6 साल बाद ही उन्होंने नगर पालिका मेरठ के बूचड़खाने का ठेका ले लिया. 31 मार्च 2022 को याकूब कुरैशी के अल फहीम मीटेक्स प्राइवेट लिमिटेड मीट प्लांट में अवैध तरीके से मीट की पैकिंग का आरोप लगा. इसके बाद याकूब कुरैशी, बेटे इमरान, बेटे फिरोज और साथियों के बुरे दिन शुरू हो गए और सभी को जेल जाना पड़ा. इस मामले में उनके खिलाफ गैंगस्टर की कार्रवाई की गई. इस मामले में बाप- बेटे पर 50-50 रुपये के इनाम की घोषणा की गई. 31 मार्च, 2022 को उनके बेटे फिरोज की गिरफ्तारी हुई और 2023 में याकूब कुरेशी को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.

याकूब कुरैशी की पत्नी और बेटे भी लड़ चुके हैं चुनाव
याकूब कुरैशी की पत्नी संजीदा बेगम ने साल 2006 में महापौर का चुनाव लड़ा था, लेकिन वह हार गईं. वहीं, बेटे इमरान कुरैशी को सरधना विधानसभा और फिर मेरठ दक्षिण विधानसभा से चुनाव लड़ाया लेकिन बेटे को भी जीत नसीब नहीं हुई. उनके भाई  यूसुफ कुरैशी ने भी साल 2012 में मेरठ शहर से कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन वह भी हार गए.

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