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कितने पढ़े-लिखे हैं प्रेमानंद महाराज को चुनौती देने वाले रामभद्राचार्य, जानें उन्हें कितनी भाषाओं का ज्ञान?
रामभद्राचार्य ने कठिन आर्थिक हालात में भी संस्कृत व्याकरण में पीएचडी और डीलिट की उपाधि हासिल की. उन्होंने उच्च पदों को ठुकराकर अपना जीवन धर्म, समाज और दिव्यांग जनों की सेवा के लिए समर्पित कर दिया.
रामभद्राचार्य का नाम हाल ही में खूब चर्चा में है. वजह है उनका प्रेमानंद महाराज को दी गई चुनौती. धार्मिक मंचों पर अक्सर संतों और आचार्यों के विचारों को लेकर बहस होती रहती है. ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर रामभद्राचार्य कौन हैं, उनकी पढ़ाई-लिखाई कैसी है और उन्हें कितनी भाषाओं का ज्ञान है.
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रामभद्राचार्य का जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में हुआ था. बचपन से ही उनका रुझान धर्म और शास्त्रों की ओर था. दृष्टिहीन होने के बावजूद उन्होंने अपनी लगन और मेहनत से वो हासिल किया जो आम इंसान सोच भी नहीं सकता. उनकी गिनती आज देश के विद्वान संतों में होती है.
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रामभद्राचार्य ने पढ़ाई-लिखाई के क्षेत्र में मिसाल कायम की. उन्होंने संस्कृत, वेद, उपनिषद, पुराण और रामायण जैसे ग्रंथों का गहरा अध्ययन किया. उन्हें वेदांताचार्य, कवि और वक्ता के रूप में भी जाना जाता है.
Published at : 27 Aug 2025 07:01 AM (IST)
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