मिल्क प्लांट में किस काम आती है अमोनिया, क्या इससे दूध की क्वालिटी पर भी पड़ता है असर?
Jalandhar Milk Plant ammonia leak: अमोनिया एक रेफ्रिजरेंट के रूप में काम आता है. यह तेज और असरदार कूलिंग देता है. अमोनिया की हाई कूलिंग एनर्जी होने के साथ-साथ यह पर्यावरण के लिए भी बेहतर ऑप्शन है.

जालंधर के वेस्ट हलके इलाके में सोमवार को एक बड़ा हादसा हो गया था. यहां मेट्रो मिल्क फैक्ट्री में अचानक अमोनिया गैस का रिसाव हुआ. गैस लीक होते ही फैक्ट्री में अफरा-तफरी मच गई और कर्मचारियों की सांस फूलने लगी. जिस समय यह हादसा हुआ वहां करीब 30 कर्मचारी मौजूद थे. ऐसे में सवाल उठता है कि मिल्क प्लांट में आखिर अमोनिया गैस किस काम आती है और क्या इससे दूध की क्वालिटी पर भी असर पड़ता है?
दरअसल, जब भी हम दूध या डेयरी प्रोडक्ट्स की बात करते हैं तो हमारे मन में उनकी ताजगी, पोषण और क्वालिटी का ख्याल आता है. दूध को बेहतर में रखने के लिए उसे तुरंत ठंडा करना बहुत जरूरी होता है, नहीं तो इसमें में बैक्टीरिया तेजी से पनपते है. ऐसे में अमोनिया एक प्रमुख रेफ्रिजरेंट के रूप में काम आता है, क्योंकि यह तेज और असरदार कूलिंग देता है.
मिल्क प्लांट में किस काम आती है अमोनिया
मिल्क प्लांट में अमोनिया का मुख्य काम रेफ्रिजरेंट यानी ठंडा करने वाला माध्यम के रूप में होता है. इसका मतलब है कि अमोनिया का यूज दूध और डेयरी प्रोडक्ट्स को तेजी से ठंडा करने के लिए किया जाता है. अमोनिया गैस दूध के टेंपरेचर को कम करने के लिए कई तरह से काम करती है. अमोनिया एक बंद सिस्टम में चलता है. यह गैस इवैपोरेशन के दौरान गर्मी को खींच लेती है और दूध या अन्य प्रोडक्ट से हीट बाहर निकाल देती है. इसके बाद यह गैस कंप्रेस होकर फिर से तरल बनती है और यह साइकिल चलाता रहता है. अमोनिया बहुत ही अच्छी तरह से गर्मी को अब्जॉर्व करता है. यह बाकी गैसों के मुकाबले ज्यादा एफिशिएंट है. इसकी लागत कम है और यह लंबे समय तक चलता है. यह पर्यावरण के लिए ज्यादा सुरक्षित मानी जाती है.
क्या अमोनिया से दूध की क्वालिटी पर भी पड़ता है असर?
दूध में बैक्टीरिया या माइक्रोबियल एक्टिविटी बढ़ जाती है तो नेचुरल रूप से अमोनिया बनता है. यानी अगर दूध ठीक से स्टोर नहीं किया गया या बहुत देर तक रखा गया तो उसमें मौजूद बैक्टीरिया अमोनिया बनाना शुरू कर देते हैं. इसलिए, दूध में अमोनिया की मात्रा को मापना एक तरीका है, जिससे यह पता लगाने का कि दूध ताजा है या नहीं. दूध की क्वालिटी की जांच करने के लिए विशेष उपकरण का यूज किया जाता है, जिससे दूध में अमोनिया की मात्रा मापी जाती है, यदि अमोनिया का लेवल ज्यादा है तो इसका मतलब है कि दूध में बैक्टीरिया की संख्या ज्यादा हो गई है.इससे दूध का टेस्ट, रंग और गंध पर भी असर हो सकता है. हालांकि अमोनिया रेफ्रिजरेशन सिस्टम बंद सर्किट में होता है, लेकिन अगर किसी कारण से गैस का रिसाव हो जाए, तो यह खतरनाक साबित हो सकता है. इसलिए सुरक्षा उपायों, अच्छे मेंटेनेंस और ट्रेन्ड स्टाफ की मदद से इस खतरे को कम किया जाता है.
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Source: IOCL






















