तन, मन और आत्मा... द्वारकाधीश को समर्पित कर सिर्फ नारियल पानी पिएंगे अनंत अंबानी और चलेंगे 130 किमी
Anant Ambani Padyatra: ईश्वर की खोज में शुरू हुई अनंत अंबानी की यह यात्रा अब एक बड़े समूह में बदल गई है. अब इस यात्रा में अनंत के साथ उनके मित्र, सहकर्मी, पंडित और आम लोग भी शामिल हो रहे हैं.

Anant Ambani Padyatra: रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरपर्सन मुकेश अंबानी के बेटे अनंत अंबानी इन दिनों जामनगर से द्वारकाधीश मंदिर तक 130 किलोमीटर की पदयात्रा कर रहे हैं. अनंत हर दिन 6 से 7 घंटे पैदल यात्रा कर रोज करीब 20 किलोमीटर दूरी तय करते हैं. अनंत अंबानी का जन्मदिन 10 अप्रैल को है. ये उम्मीद जताई जा रही है कि वो इससे पहले 8 अप्रैल तक मंदिर पहुंच जाएंगे. यह कोई औपचारिक पदयात्रा नहीं है, बल्कि पूरी तरह से भक्ति का कार्य है- भगवान कृष्ण को शरीर, मन और आत्मा का अर्पण.
मौन, एकांत और ईश्वर की खोज है अनंत अंबानी की पदयात्रा
अनंत अंबानी का हर कदम द्वारकाधीश की कृपा और सनातन धर्म के आदर्शों के प्रति समर्पित हैं. उनकी पदयात्रा मौन, एकांत और ईश्वर की खोज को लेकर है. इस यात्रा को और भी असाधारण बनाने वाली बात यह है कि अनंत कुशिंग सिंड्रोम (एक दुर्लभ हार्मोनल विकार) और इससे उपजे मोटापे से जूझते हुए यह यात्रा कर रहे हैं. इसके साथ ही अस्थमा और फाइब्रोसिस जैसी पुरानी बीमारियों से भी जूझ रहे हैं, जो बचपन से ही उन्हें चुनौती दे रही हैं. इस पदयात्रा की चुनौतियां किसी भी सामान्य स्वास्थ्य वाले शख्स को भी डरा सकती हैं. इसके बावजूद अनंत के लिए यह तीर्थयात्रा ताकत साबित करने के बारे में नहीं है. यह भय से ऊपर आस्था, असुविधा से ऊपर भक्ति और सहजता से ऊपर अनुशासन रखने के बारे में है.
बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री भी हुए पदयात्रा में शामिल
मुकेश अंबानी के सबसे छोटे बेटे और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के निदेशक अनंत रिफाइनरी और नए ऊर्जा कारोबार सहित आरआईएल के मैन्युफैक्चरिंग डिविजन के प्रमुख हैं. उनकी पदयात्रा में बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री भी शामिल हुए. उनकी भक्ति और समर्पण से प्रभावित पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने बताया कि अनंत अपनी पदयात्रा के दौरान सिर्फ नारियल पानी पर ही आश्रित हैं. उन्होंने अनंत अंबानी को एक प्रेरणा बताते हुए आज के युवाओं को सनातन धर्म के लिए खुद को समर्पित करने की सलाह दी.
अनंत की पदयात्रा में शामिल हो रहे आम लोग
ईश्वर की खोज के रूप में शुरू हुई यह यात्रा अब एक बड़े समूह में बदल गई है. अब इस यात्रा में अनंत के साथ उनके मित्र, सहकर्मी, पंडित और आम लोग भी शामिल हो रहे हैं. अनंत अंबानी ने कहा, “मैं आपको धन्यवाद कहने के लिए दर्द से गुजरूंगा. मैं अपना विश्वास दिखाने के लिए असुविधा को सहन करूंगा. मैं झुकूंगा- इसलिए नहीं कि मैं कमजोर हूं, बल्कि इसलिए कि मैंने गर्व के बजाय समर्पण को चुना है.” इस पवित्र और गहरे निजी रास्ते के जरिए अनंत अंबानी एक पीढ़ी से बात करते हैं: “अपनी भक्ति को अपना मार्गदर्शक बनने दें. इसे आपको विनम्र बनाने दें. इसे आपको बनाने दें और जब जीवन का भार भारी लगे तो अपने विश्वास को आपको आगे ले जाने दें.”
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