क्या परमाणु हमले भी झेल सकते हैं सीमा पर बने बंकर, जानें कितने मजबूत होते हैं ये?
Can Bunkers Withstand Nuclear Attack: सेना के जवान अपनी सुरक्षा के लिए सीमा पर बंकर्स बनाते हैं. ये बंकर्स बुलेटप्रूफ होते हैं. लेकिन क्या ये परमाणु हमले को भी झेल सकते हैं. चलिए जानते हैं.

जब दुनिया में पाकिस्तान के जैसे कायर पड़ोसी मुल्क हों तो बॉर्डर पर टेंशन बढ़ना लाजमी होता है. पाकिस्तान की कायराना हरकतों के लिए भारत उसे हमेशा से मुंहतोड़ जवाब देता आया है. पाकिस्तान कभी नियंत्रण रेखा के पास गोलीबारी कर देता है, जिससे मासूम लोगों की जान पर बन आती है. ऐसे में पाकिस्तान को परास्त करने के लिए भारत ने बॉर्डर पर तगड़े बंकर्स बना रखे हैं. ये ऐसे बंकर्स हैं, जिनमें आतंक का परिंदा भी पैर नहीं मार सकता है. लेकिन क्या ये बंकर्स परमाणु हमले से रक्षा करते हैं? चलिए जानें.
पहलगाम आतंकी हमले के बाद पूरा देश अलर्ट मोड पर है. खासतौर से जम्मू-कश्मीर और सीमा से सटे हुए जितने भी इलाके हैं, सभी पर फौज की तैनाती और सख्ती दोनों बढ़ा दी गई है. हाल ही में खबरें आ रही थीं कि पाकिस्तान की सीमा से सटे गांव में बनाए गए पुराने बंकर्स में लोगों ने सफाई शुरू कर दी है. इन बंकर्स में पाकिस्तान की ओर की जाने वाली गोलीबारी के दौरान गांव के लोग शरण लेते थे. आइए जानें कि बंकर्स किस तरीके से सुरक्षा कवच का काम करते हैं.
कहां बनाए जाते हैं बंकर्स
सेना के जवानों के लिए बंकर्स खास भूमिका निभाते हैं. अलग-अलग तरह के हमलों से बचने के लिए बंकर्स बनाए जाते हैं. आमतौर पर बंकर्स सीमाओं के आसपास जैसी कुछ जरूरी जगहों पर बनाए जाते हैं. कई बार कुछ नेताओं या फिर राष्टप्रमुखों के आवास में भी बंकर की व्यवस्था होती है, जिससे आपातकाल की स्थिति में वे इन जगहों पर छिप सकें. बंकर्स दुश्मनों से रक्षा में बचाव करते हैं.
कैसे बनते हैं बंकर्स
भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की फौजें बंकर्स बनाती हैं. असल में ये बंकर्स जमीन के नीचे बने घर की तरह से होते हैं. इनकी दीवारें कई फीट मोटी बनाई जाती हैं, जो कि कंक्रीट या फिर लोहे की मोटी परत से बनी होती हैं. भारत में बंकर्स बनाने के लिए सामान्य तौर पर प्री-कास्ट कंस्ट्रक्शन मेथडोलॉजी का इस्तेमाल होता है. इसके लिए जमीन के ऊपर लोहे के सांचों में कंक्रीट भरी जाती है. बंकर की दीवारें और छतें कारखानों में तैयार की जाती हैं, जिनको पहले से सेट ढांचे में फिट कर दिया जाता है.
सुविधाओं का रखा जाता है ध्यान
बंकर के लिए सुरक्षा का ध्यान खासतौर पर रखा जाता है. इसके लिए यह ध्यान देना जरूरी होता है कि बंकर्स दुश्मनों से तो सुरक्षित रखें ही, साथ ही साथ पानी और कीड़े-मकोड़ों से भी सुरक्षा करें. इस तकनीक से बंकर्स को बनाने में सिर्फ दो-तीन दिन लगते हैं. इन बंकर्स में हवा के लिए ब्लास्ट वॉल्व लगाए जाते हैं, जो कि रोशनदान का काम करते हैं. आसपास में धमाका होने पर ये वॉल्व खुद ही बंद हो जाते हैं. इनमें सैनिकों के साथ-साथ आम लोगों की सुरक्षा का भी ध्यान रखा जाता है.
अलग होते हैं परमाणु बंकर्स
ये तो आम बंकर्स होते हैं जो कि बुलेटप्रूफ होते हैं. लेकिन ये बंकर्स परमाणु हमले को नहीं झेल सकते हैं. परमाणु हमले झेलने के लिए अलग तरीके से बंकर्स भी बनाए जाते हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भी बंकर्स का कई बार जिक्र हुआ था. आपको बता दें कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने साइबेरिया में अपने और परिवार के लिए न्यूक्लियर बंकर्स बनवाए हैं. इन बंकर्स पर परमाणु हमले का असर नहीं होता है.
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