उत्तराखंड में स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर बढ़ते बवाल के बीच, यूपीसीएल ने लिया बड़ा फैसला
उत्तराखंड में स्मार्ट प्रीपेड मीटर को लेकर विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है. लोगों को कहना है कि स्मार्ट मीटर लगाने से बिजली का बिल अधिक आएगा, जबिक ऊर्जा विभाग ने ग्रामीणों की इन बातों को गलत बताया है.

Uttarakhand News: उत्तराखंड में स्मार्ट प्रीपेड मीटर को लेकर विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है. कई जिलों में जनता और जनप्रतिनिधियों ने इसका जमकर विरोध किया है. खासतौर पर कुमाऊं क्षेत्र में इसे लेकर नाराजगी देखने को मिल रही है. कांग्रेस विधायक तिलकराज बेहड़ ने तो इन मीटरों को सड़क पर फेंककर अपना विरोध जताया. बढ़ते विरोध के बीच अब उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) ने इस पर नया एक्शन प्लान तैयार किया है.
ऊर्जा विभाग ने जनता की शंकाओं को दूर करने के लिए एक विशेष टीम गठित करने का फैसला लिया है. यह टीम उपभोक्ताओं को स्मार्ट प्रीपेड मीटर की विशेषताएं बताएगी और गलतफहमियों को दूर करेगी. फिलहाल विरोध को देखते हुए विभाग ने मीटर लगाने के काम पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी है और मीटर को पोस्टपेड मोड पर ही रखने का निर्णय लिया है.
कांग्रेस विधायक ने स्मार्ट मीटर का विरोध किया
किच्छा से कांग्रेस विधायक तिलकराज बेहड़ का कहना है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर आम जनता पर एक अतिरिक्त बोझ डालने का तरीका है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार कुछ कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए जबरन लोगों के घरों में ये मीटर लगा रही है.
उनका दावा है कि कई स्थानों पर इन मीटरों से बिना बिजली उपयोग किए भी बिल आ रहा है. ऐसे में यह गरीब जनता से पैसे वसूलने की एक नई चाल हो सकती है. बेहड़ ने साफ शब्दों में कहा कि अगर उनके क्षेत्र में यह मीटर लगाए गए तो बड़ा आंदोलन होगा और जरूरत पड़ी तो वे जेल जाने को भी तैयार हैं. उनके विरोध के चलते कई इलाकों में फिलहाल स्मार्ट मीटर लगाने का काम रोक दिया गया है.
स्मार्ट मीटर से बिजली बिल में पारदर्शिता आएगी- ऊर्जा मंत्रालय
ऊर्जा मंत्रालय ने पूरे देश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की घोषणा की थी. उत्तराखंड में इस योजना के तहत 15.87 लाख घरों में यह मीटर लगाए जाने हैं. ऊर्जा विभाग का कहना है कि इन मीटरों से उपभोक्ताओं को कई फायदे मिलेंगे. ग्राहक अपने मोबाइल से ही बिजली का रिचार्ज कर सकेंगे. उपभोक्ता को पता रहेगा कि वह कितनी बिजली खपत कर रहा है. बिजली बिल में पारदर्शिता आएगी और गलत बिलिंग की समस्या खत्म होगी.
हालांकि, जनता की शंकाओं और विरोध को देखते हुए अब यूपीसीएल ने सफाई देते हुए कहा है कि लोगों को पहले इस मीटर की खासियत समझाई जाएगी और जब तक वे पूरी तरह संतुष्ट नहीं होते, तब तक यह केवल पोस्टपेड मोड में ही काम करेगा. लोगों के मन में चल रही गलतफेहमी को दूर किया जाएगा.
स्मार्ट मीटर के प्रति जनता को भरोसा दिलाना है- यूपीसीएल एमडी
उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) के प्रबंध निदेशक (MD) अनिल कुमार ने कहा कि विरोध और गलतफहमी को दूर करने के लिए मुख्यालय स्तर पर एक टीम बनाई जा रही है. उपभोक्ताओं को स्मार्ट मीटर के फायदों के बारे में जागरूक किया जाएगा. गलत सूचनाओं और अफवाहों को दूर करना होगा. जनता को भरोसा दिलाना कि उनके साथ कोई अन्याय नहीं होगा
यूपीसीएल ने यह भी स्पष्ट किया है कि जहां मीटर लगाए जाएंगे, वहां फिलहाल वे पोस्टपेड मोड में ही काम करेंगे. यानी उपभोक्ताओं को पहले की तरह बिल ही मिलेगा, जब तक कि वे पूरी तरह इस प्रणाली को अपनाने के लिए तैयार नहीं हो जाते.स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का काम अडानी एनर्जी सॉल्यूशन कंपनी को सौंपा गया है. पहले चरण में ये मीटर उत्तराखंड के तराई क्षेत्र और ग्रामीण इलाकों में लगाए जा रहे हैं.
उर्जा विभाग ने क्या कहा?
ऊर्जा विभाग का कहना है कि यह पूरी तरह से एक पारदर्शी प्रणाली है और इससे बिजली बिल में किसी प्रकार की मनमानी नहीं होगी. उपभोक्ताओं को अपने मोबाइल ऐप के जरिए पूरी जानकारी मिलती रहेगी कि कितनी बिजली खर्च हुई और कितना बैलेंस बचा है. हालांकि, लगातार बढ़ते विरोध को देखते हुए सरकार ने फिलहाल मीटर लगाने पर अस्थायी ब्रेक लगा दिया है. विभाग का कहना है कि जब तक जनता पूरी तरह से सहमत नहीं होगी, तब तक यह मीटर केवल पोस्टपेड मोड में ही काम करेंगे.
हालांकि, पर्वतीय क्षेत्रों में फिलहाल यह मीटर केवल नगर मुख्यालयों तक ही सीमित रहेंगे. इसका कारण यह बताया जा रहा है कि पहाड़ी इलाकों में अभी बिजली सप्लाई की स्थिति में सुधार की जरूरत है. जनता की सबसे बड़ी चिंता यह है कि कहीं स्मार्ट मीटर से उनकी बिजली पर अनावश्यक शुल्क न लगाया जाए. कई उपभोक्ताओं का आरोप है कि इन मीटरों में गड़बड़ी हो सकती है, जिससे बिना उपयोग किए भी बिल बढ़ सकता है.
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