'उन्होंने हमें राजनीति नहीं सिखाई', राहुल गांधी ने बताया पंडित नेहरू से परिवार ने क्या-क्या सीखा?
राहुल गांधी ने एक पॉडकास्ट में कहा कि राजनीति उनके लिए सत्ता या छवि बनाने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह सच की तलाश है. उन्होंने कहा कि उनके परिवार की विरासत और विचारधारा भी यही है.

Rahul Gandhi on Pandit Nehru: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' (X) पर पॉडकास्ट का एक वीडियो शेयर किया है. पॉडकास्ट के दौरान उन्होंने कहा कि राजनीति उनके लिए सत्ता या छवि बनाने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह सच की तलाश है. उन्होंने अपने परिवार की विरासत और विचारधारा को भी विस्तार से समझाया.
राहुल गांधी ने कहा, "भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने मुझे राजनीति नहीं, बल्कि डर का सामना करना और सच के साथ खड़े होना सिखाया. नेहरू ने हमें सिखाया कि कैसे अत्याचार का विरोध करना चाहिए और सच के साथ खड़ा रहना चाहिए." कांग्रेस नेता ने कहा कि 'सच की खोज' ही सबसे बड़ी विरासत है. उन्होंने कहा कि यह सोच उनके पूरे परिवार में रही है. मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी, सभी ने राजनीति को एक सत्य की खोज के रूप में देखा, न कि केवल पद या लोकप्रियता पाने के रूप में.
Nehru didn’t teach us politics - he taught us to confront fear and stand for the truth. He gave Indians the courage to resist oppression and ultimately claim freedom.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) April 19, 2025
His greatest legacy lies in his relentless pursuit of truth - a principle that shaped everything he stood for. pic.twitter.com/chnckg02DB
मैं एक ऐसा इंसान हूं जो सच की तलाश में है: राहुल गांधी
कांग्रेस नेता ने कहा, "मेरी दादी इंदिरा गांधी कभी खुद को सिर्फ एक राजनेता नहीं मानती थीं. वो बस अपना जीवन पूरी सच्चाई के साथ जीती थीं. मैं भी खुद को राजनेता नहीं मानता, मैं एक ऐसा इंसान हूं जो सच की तलाश में है." उन्होंने यह भी कहा, "नेहरू, इंदिरा और राजीव गांधी इस बात की परवाह नहीं करते थे कि लोग उनके बारे में क्या सोचेंगे. वे सिर्फ वही करते थे जो उन्हें सही लगता था. वे इस बात से प्रेरित नहीं होते थे कि 20-30 साल बाद लोग क्या कहेंगे."
राहुल गांधी ने कही ये बड़ी बात
राहुल गांधी ने यह भी माना कि आज के दौर में सच बोलना आसान नहीं है. उन्होंने कहा, "आज लोग सच नहीं सुनना चाहते. राजनीति में यह आसान है कि जो लोग सुनना चाहते हैं, वही बता दो लेकिन मेरी आत्मा ऐसा करने की इजाज़त नहीं देती. मैं झूठ नहीं बोल सकता, चाहे मुझे नुकसान ही क्यों न हो." उन्होंने महात्मा गांधी और नेहरू के विचारों की तुलना करते हुए कहा कि गांधी जी अपने अंदर झांकते थे और नेहरू जी दुनिया और भविष्य को समझना चाहते थे. दोनों में गहराई थी पर सोचने का तरीका अलग था.
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