'नेपाल में दंगों के लिए पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह जिम्मेदार', राजनीतिक दलों ने लगाए आरोप, कहा- अब बर्दास्त नहीं करेंगे
Nepal Parties Accused Gyanendra Shah: भट्टराई ने कहा कि ज्ञानेंद्र शाह लंबे समय से ऐसे व्यवहार कर रहे हैं, जैसे कि वे अभी भी राजा हों. राजनीतिक दलों और सरकार ने इसे दयापूर्वक अनदेखा किया है.

Nepal Parties Accused Gyanendra Shah: नेपाल के पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र शाह इस सप्ताह देश में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के पीछे मुख्य सूत्रधार है. गणतंत्र समर्थक राजनीतिक दलों की एक महत्वपूर्ण बैठक में शाह पर यह आरोप लगाया गया. बैठक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की ओर से बुलाई गई थी.
स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, दलों ने पूर्व राजा पर संविधान को कमजोर करने और संघीय लोकतांत्रिक गणतंत्र प्रणाली को उखाड़ फेंकने की साजिश रचने का आरोप लगाया. गृह मंत्री रमेश लेखक ने कहा कि संविधान की रक्षा, राष्ट्रीय विकास और सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक दलों के बीच एकजुट होने पर आम सहमति है.
‘संविधान विरोधी गतिविधि को बर्दाश्त नहीं’
बैठक के बाद प्रेस को संबोधित करते हुए लेखक ने कहा, "किसी भी संविधान विरोधी गतिविधि को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. अलग-अलग दलों के बीच विभिन्न मुद्दों पर असहमति के बावजूद, पूर्व पीएम बाबूराम भट्टराई जो नेपाल समाजवादी पार्टी (एनएसपी) के अध्यक्ष भी हैं ने सुझाव दिया कि शाह के समर्थन में हाल ही में की गई गणतंत्र विरोधी गतिविधियों का मुकाबला करने के लिए उन्हें एकजुट होना चाहिए."
‘उकसाई गई थी घटना’
भट्टराई ने प्रेस से बात करते हुए कहा, "ज्ञानेंद्र शाह लंबे समय से ऐसे व्यवहार कर रहे हैं, जैसे कि वे अभी भी राजा हों. राजनीतिक दलों और सरकार ने इसे दयापूर्वक अनदेखा किया है. हालांकि, 28 मार्च की घटना उनकी तरफ से उकसाई गई थी और यह एक आपराधिक कृत्य था. उनकी हरकतें अब सीमा पार कर गई हैं. इसलिए मैंने सर्वदलीय बैठक में प्रस्ताव रखा है कि उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना करना चाहिए."
दोनों पार्टियों को गणतंत्र विरोधी ताकतें माना जाता है
इस बीच, संसद में चौथी और पांचवीं सबसे बड़ी पार्टियों राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) और राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) को रविवार (30 मार्च, 2025) को सर्वदलीय बैठक से बाहर रखा गया. नेपाल के प्रमुख दैनिक काठमांडू पोस्ट के अनुसार, दोनों पार्टियों को गणतंत्र विरोधी ताकतें माना जाता है.
राजशाही की बहाली की मांग
शुक्रवार (31 मार्च, 2025) को राजधानी काठमांडू के कुछ इलाकों में तनाव बढ़ गया, क्योंकि सुरक्षाकर्मियों और राजशाही समर्थक प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पों में दो लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए. ये लोग नेपाल में समाप्त हो चुकी राजशाही की बहाली की मांग कर रहे थे.
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