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Jammu-Srinagar NH: जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे के सबसे जोखिमभरे हिस्से पर नहीं रहेगा अब जान का खतरा, जल्द मिलेगा ये बाईपास

Jammu Srinagar National Highway: जम्मू-कश्मीर के पंथ्याल में राष्ट्रीय राजमार्ग पर अक्सर चट्टान से पत्थरों के गिरने का जोखिम रहता है. कई लोग जान तक गंवा चुके हैं. अब यहां सुरंग शुरू होने वाली है.

Jammu Srinagar National Highway Panthyal T5 Tunnel: जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के सबसे जोखिमभरे हिस्से को अगले हफ्ते 'T5 सुरंग' के रूप में एक बाईपास मिलने वाला है. यह जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) के रामबन (Ramban) जिले के पंथ्याल (Panthyal) क्षेत्र में पड़ता है. यहां अक्सर छोटी चट्टानों से पत्थर टूटकर मार्ग में आ जाते हैं. हाईवे की पुनर्निर्माण परियोजना के हिस्से के रूप में राष्ट्रीय राजमार्ग के दोनों तरफ 880 मीटर की सुरंग का कार्य चल रहा है. इसे 2020 में शुरू किया गया था और अगले पांच दिनों में (15 मार्च तक) इसके पूरा होने की उम्मीद है. 

सुरंग (T5 Tunnel) के उद्घाटन के साथ ही पत्थरों के गिरने से होने वाले जोखिम से राहत मिलेगी. बताया जाता है चट्टान से गिरने वाले पत्थरों के कारण अब तक कई लोग जान गवां चुके हैं. पिछले कुछ वर्षों से इस जोखिमभरे हिस्से पर लोहे और स्टील की अस्थायी सुरंग  गुजरने वाले यात्रियों को राहत दे रही थी लेकिन लुढ़कर आने वाले पत्थर लगातार सुचारू यातायात संचालन में बाधा पैदा कर रहे थे. 

परियोजना की निगरानी कर रहे डिप्टी कमिश्नर ने दी ये जानकारी

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, रामबन के डिप्टी कमिश्नर मुसर्रत इस्लाम ने कहा, ''पंथ्याल का हिस्सा वर्षों से जोखिमभरा रहा है. T5 सुरंग के उद्घाटन के साथ ही इस जोखिमभरे मार्ग पर बाईपास की सुविधा होगी जो काफी हद तक पूरा होने की अवस्था में है.'' मुर्सरत इस्लाम इस परियोजना की निगरानी कर रहे हैं और लगातार कार्य की प्रगति को लेकर सोशल मीडिया पर अपडेट साझा करते हैं. उन्होंने कहा कि टी5 सुरंग के खुलने से इस हिस्से में लगने वाले ट्रैफिक जाम और पत्थरों के गिरने के डर से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाएगा. 

2011 से चल रहा 270 किलोमीटर में चार लेन का काम

अधिकारी ने बताया कि जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग को NH-44 के रूप में भी जाना जाता है और यह एकमात्र ऐसा राजमार्ग है जहां वाहनों की आवाजाही को रोके बिना चार लेन की परियोजना का कार्य चल रहा है. देश के बाकी हिस्सों से कश्मीर को जोड़ने वाला यह बारहमासी मार्ग है. इसकी लंबाई 270 किलोमीटर है. चार लेन की परियोजना का काम 2011 में शुरू हुआ था जिसके अगले वर्ष पूरा होने की उम्मीद है. मार्ग में कई सुरंगें, पुल और फ्लाईओवर बनाए गए हैं. इसके पूरा होने की अंतिम तिथि कई बार बढ़ाई गई है. 

T5 सुरंग

'66 किलोमीटर का हिस्सा सबसे ज्यादा जोखिमभरा'

डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि रामबन जिले से गुजरने वाला 66 किलोमीटर का हिस्सा सबसे ज्यादा जोखिमभरा है जोकि नाशरी सुरंग से बनिहाल सुरंग तक फैला है. उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में तीन सुरंगें बनी हैं और कई अन्य छोटी सुरंगें और पुल पूरे होने वाले हैं जो सड़क के दूसरे अहम स्थानों को बाईपास की सुविधा देंगे. उन्होंने कहा कि जुलाई के अंत तक रामबन जिले से होकर होनी वाली यात्रा काफी आरामदायक होने की उम्मीद है. बता दें कि परियोजना पर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण काम कर रहा है.

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