बिहार मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया में कौन है कंफ्यूज.. विपक्षी दल या चुनाव आयोग? आरोपों का सिलसिला जारी
बिहार चुनाव से पहले चुनाव आयोग के एक फैसले को लेकर मामला गर्माता जा रहा है. बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर जो राजनीति चल रही है, उसमें हर दिन नया आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला सामने आ रहा है.

Bihar Election 2025: बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर जो राजनीति चल रही है, उसमें हर दिन नया आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला सामने आ रहा है. इसी कड़ी में सोमवार को एआइएमआइएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी चुनाव आयोग से मुलाकात की और इस प्रक्रिया को स्थगित करने की मांग की. वहीं आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने इस पूरी प्रक्रिया पर ही गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि चुनाव आयोग खुद कंफ्यूज है और इसी वजह से लगातार अपने आदेश बदलता जा रहा है.
विपक्षी नेताओं की तरफ से लगाए गए इन आरोपों पर चुनाव आयोग की तरफ से भी पक्ष सामने आ गया. चुनाव आयोग के सूत्रों के हवाले से खबर आई कि जो विपक्ष नेता इस तरीके के अनर्गल आरोप लगा रहे हैं, उनको खुद इस पूरी प्रक्रिया के बारे में नहीं पता और शायद वह खुद ही कंफ्यूज है.
दस्तावेज को लेकर क्या बोले ओवैसी
असदुद्दीन ओवैसी ने चुनाव आयोग से मिलकर बिहार के मतदाताओं के सामने किस तरह की दिक्कतें आ रही हैं और क्यों इस पूरी प्रक्रिया को फिलहाल टाला जाए, इस समस्या को लेकर अपनी बातें मुख्य चुनाव अधिकारी के सामने रखी.
ओवैसी ने सवाल भी उठाया कि जब 2024 का लोकसभा चुनाव इन्हीं मतदाताओं के साथ में हो चुका है तो आखिर अब उनसे दस्तावेज क्यों मांगे जा रहे हैं. ओवैसी ने ये भी सवाल पूछा कि अब इस प्रक्रिया के दौरान जिन लोगों का नाम कटता है, उनकी मतदाता होने की योग्यता ही नहीं है. उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान मतदान कैसे किया?
असमंजस में बिहार की जनता
ओवैसी के साथ ही राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी चुनाव आयोग की तरफ से की जा रही इस प्रक्रिया पर कई तरह के सवाल खड़े किए. तेजस्वी यादव ने कहा कि चुनाव आयोग और उसके अधिकारी खुद कंफ्यूज हैं. इसी वजह से जनता असमंजस में है और लोगों में डर है कि कहीं उनका वोट काटने की साजिश तो नहीं हो रही है. तेजस्वी यादव ने कहा कि लोग जानना चाहते हैं कि वास्तव में क्या दस्तावेज चाहिए और क्या नहीं चाहिए.
तेजस्वी ने सवाल भी पूछा कि मतदाताओं को जो दस्तावेज देने हैं, उनमें मनरेगा कार्ड, आधार कार्ड को क्यों नहीं शामिल किया गया. इसी आधार पर तेजस्वी यादव ने मांग की है कि वोटर लिस्ट पुनरीक्षण अभियान को रोक दिया जाए और यह काम चुनाव के बाद कराया जाए.
चुनाव आयोग ने सवालों का दिया जवाब
विपक्षी नेताओं ने सवाल उठाए तो चुनाव आयोग की तरफ से उस पर स्पष्टीकरण भी सामने आ गया. आधार का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जा रहा है, उस पर चुनाव आयोग ने फिर एक बार साफ तौर पर कहा, 'आधार पहचान का प्रमाण है, नागरिकता या जन्मतिथि का नहीं.' वहीं चुनाव आयोग की तरफ से एक बार फिर से जोर देते हुए कहा गया कि चुनाव आयोग की तरफ से 24 जून के एसआईआर करवाने के आदेशों में कोई बदलाव नहीं किया गया है.
इस बीच चुनाव आयोग से जुड़े हुए सूत्रों ने विपक्ष के की तरफ से किए जा रहे हमलों पर जवाब देते हुए कहा कि जो लोग आरोप लगा रहे हैं, वो खुद कंफ्यूज हैं, क्योंकि उन्होंने SIR का 24 Jun 2025 का आदेश नहीं पढ़ा है. 24 जून के आदेश में दिए गए Enumeration Form में आप वैकल्पिक तौर पर आधार कार्ड दे तो सकते हैं, पर यह आपकी पात्रता सिद्ध नहीं करता है.
फॉर्म भरने की आखिरी तारीख में इतने दिन बाकी
इसके साथ ही चुनाव आयोग की तरफ से सामने आयी आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, सोमवार शाम 6 बजे तक 2,87,98,460 गणना फॉर्म यानी 24 जून 2025 तक बिहार में नामांकित कुल 7,89,69,844 (लगभग 7.90 करोड़) मतदाताओं में से 36.47 प्रतिशत फॉर्म प्राप्त हुए हैं. पिछले 24 घंटों में यानी कल शाम 6 बजे से 1,18,49,252 गणना फॉर्म जमा किए गए हैं. फॉर्म जमा करने की अंतिम तिथि में अभी 18 दिन बाकी है.
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, फॉर्म अपलोड करने का काम भी एक साथ चल रहा है और सोमवार (07 जुलाई, 2025) शाम 6 बजे तक लगभग 7.90 करोड़ मतदाताओं में से 11.26 प्रतिशत फॉर्म अपलोड किए जा चुके हैं. 77,895 बीएलओ घर-घर जाकर मतदाताओं को उनके गणना फॉर्म भरने और उन्हें एकत्र करने में मदद कर रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट से प्रक्रिया को रद्द करने की मांग
फिलहाल मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है और सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग राजनीतिक दलों की तरफ से इस पूरी प्रक्रिया को फिलहाल टालने या रद्द करने की मांग की जा रही है, जिस पर चुनाव आयोग को अब 10 जुलाई तक जवाब देना होगा, जब इस मामले पर अगली सुनवाई होगी. ऐसे में विपक्ष यही उम्मीद कर रहा है कि उनको सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल जाए.
वहीं चुनाव आयोग साफ तौर पर यही दोहरा रहा है कि चुनाव आयुक्त की तरफ से की जा रही प्रक्रिया पूरी तरह से संवैधानिक और कानूनी पहलू को ध्यान रखते हुए ही की जा रही है और इस पर विवाद खड़ा कर लोग मतदाताओं को गुमराह करने की कोशिश में लगे हुए हैं.
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