क्या सच में हर इंसान का होता है 'डबल रोल', एक शक्ल के दुनिया में कितने लोग होते हैं?
Two Different People Look Like Same: हमने फिल्मों में अक्सर जुड़वां किरदारों को देखा है, जिसके बाद दिमाग में ख्याल आता है कि क्या सच में ऐसा होता है या नहीं. चलिए आज इसी के बारे में जानते हैं.

आपने डबल रोल वाली खूब फिल्में देखी होंगी. सीता-गीता में हेमा मालिनी के डबल रोल थे, जुड़वां में सलमान खान डबल रोल में थे. इसके अलावा और भी कई फिल्मों में एक्टर्स या एक्ट्रेस के डबल रोल देखने को मिले हैं. लेकिन क्या असल दुनिया में भी यह संभव हो सकता है. क्योंकि कहा तो जाता है कि दुनिया में एक तरह के सात लोग पाए जाते हैं. तो कहीं ऐसा तो नहीं कि अभी आपकी शक्ल का कोई और शख्स सात समंदर पार अमेरिका में बैठकर कॉफी पी रहा हो? क्योंकि कई बार हमें अपने आसपास भी मिलती-जुलती शक्ल के दो लोग दिख जाते हैं. चलिए इसके बारे में थोड़ा विस्तार से समझते हैं.
हमशक्ल को लेकर क्या कहता है विज्ञान
आपने देखा होगा कि फिल्मों में एक्टर्स की बॉडी डबल शूट करने वालों की शक्ल काफी हद तक उनसे मिलती है. कहा भी जाता है कि दुनिया में एक चेहरे के दो इंसान हो सकते हैं, लेकिन वे एक-दूसरे से बिल्कुल अंजान होते हैं. इनको हैट्रोपैटर्नल सुपरफेक्यूंडेशन कहा जाता है. ऐसे लोग किसी भी देश में पाए जा सकते हैं. हालांकि विज्ञान कहता है कि एक ही शक्ल के दो लोग कभी नहीं हो सकते हैं. अगर बारीकी से देखा जाए तो उनकी शक्लों में फर्क साफ नजर आता है. हमशक्ल को देखने के लिए आंख, कान, नाक व बालों की बनावट जैसे आठ गुण मिलाए जाते हैं. दो इंसानों की शक्ल एक-जैसी सिर्फ तभी हो सकती है, जब वे जुड़वां पैदा हुए हों. हालांकि जुड़वां में भी बहुत बार चेहरे एक जैसे नहीं होते हैं.
संभव नहीं है जुड़वां का मिलना
कहा जाता है कि आपको अपनी शक्ल का जुड़वां मिलना संभव नहीं है, क्योंकि ऐसा कोई नहीं होता है. हमशक्ल का मिलना सिर्फ एक इत्तेफाक हो सकता है, लेकिन इसके पीछे कोई साइंस नहीं है.अमेरिका के रॉकफेलर यूनिवर्सिटी के विनरिच फ्रेवाल्ड का कहना है कि औसत चेहरे वाले लोगों वाले हमशक्ल के मिलने की संभावना ज्यादा रहती है, लेकिन अगर इनको एक जैसे चेहरों वालों की वैज्ञानिक परिभाषा की कसौटी पर कसा जाएगा तो दो इंसानों के चेहरे नहीं मिल सकते हैं. क्योंकि हर इंसान की बनावट जीन के आधार पर होती है और वो हर इंसान में अलग-अलग होते हैं.
आने वाले वक्त में हो सकते हैं हमशक्ल
जानकारों का मानना है कि कुछ लोगों के हमशक्ल मिलने की उम्मीदें अक्सर रहती हैं. खासतौर से ऐसा औसत रंग-रूप वाले लोगों के साथ ज्यादा होता है. फिर हमको कुछ चेहरे दिखाई देते हैं और वे हमारे जहन में बस जाते हैं. ऐसी ही तस्वीरें देखने पर हम समझते हैं कि हमने हमशक्लों को देखा है. हालांकि आज के डिजिटल दौर में जितनी तेजी से लोगों की फोटोज वायरल होती हैं, पूरी उम्मीद है कि आने वाले वक्त में हमशक्ल भी नजर आने लगेंगे. फिलहाल तो हमशक्लों का ख्याल सिर्फ फैंटेसी के लिए छोड़ देना उचित होगा.
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