हरियाली तीज 2025 पर श्री बांके बिहारी मंदिर में भक्तों की उमड़ी भीड़, सामने आया वीडियो
Banke Bihari Temple in Vrindavan on Hariyali Teej: ब्रज में हरियाली तीज का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दिन ठा. बांकेबिहारी को स्वर्ण-रजत झूले में विराजमान कर दर्शन कराने की परंपरा है.

हरियाली तीज के अवसर पर शनिवार को वृन्दावन स्थित ठा. बांकेबिहारी के दर्शन के लिए देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. जिला प्रशासन के इंतजाम के बावजूद श्रद्धालुओं में दर्शन पाने की होड़ लगी है, जिससे कई बार व्यवस्था प्रभावित होती नजर आई.
हालांकि, जिलाधिकारी चंद्र प्रकाश सिंह एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्लोक कुमार ने बताया कि हर संभव उपाय किए जा रहे हैं ताकि भारी भीड़ के दबाव के बावजूद किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो. अधिकारियों के अनुसार इस मौके पर व्यवस्था बनाए रखने एवं श्रद्धालुओं को भगवान के दर्शन सरल व सुगम तरीके से कराने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल से लेकर वाहन पार्किंग व जूता घरों, खोया-पाया केंद्र, निगरानी दल आदि की विशेष व्यवस्था की गई है.
ब्रज में हरियाली तीज का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दिन ठा. बांकेबिहारी को स्वर्ण-रजत झूले में विराजमान कर दर्शन कराने की परंपरा है, इसलिए इसे यहां ‘झूलनोत्सव’ के नाम से भी जाना जाता है. वर्ष में एक बार होने वाले इस आयोजन में ठाकुरजी के दर्शन पाने के लिए इस दिन लाखों भक्तजन यहां पहुंचते हैं.
#WATCH | Mathura, Uttar Pradesh | A huge crowd of devotees visit Shri Banke Bihari Temple in Vrindavan on the occasion of Hariyali Teej. pic.twitter.com/1wGcPbL4Em
— ANI (@ANI) July 27, 2025
बनारस के कारीगरों ने तैयार किया था हिंडोले
सेवायतों के अनुसार हिंडोले (झूलों) में दर्शन की यह परंपरा देश की आजादी के दिन (15 अगस्त 1947) से जारी है. संयोग से उसी दिन हरियाली तीज का पर्व था और हरियाणा के बेरी गांव निवासी भगवान के अनन्य भक्त राधे श्याम बेरीवाला परिवार के पूर्वज ने उस काल में करीब 25 लाख रुपये की लागत से यह हिंडोले बनारस के कारीगरों तैयार कराकर अर्पण किए थे.
हरियाली तीज पर हरे रंग की पोशाक धारण करते हैं ठाकुर जी
मंदिर के इतिहास की जानकारी देते हुए सेवायत बताते हैं, ‘‘हिंडोले के निर्माण में दस किलो सोने व एक टन चांदी प्रयोग की गई थी. हिंडोले बनाने वाले कारीगरों छोटे लाल व ललन भाई की देख-रेख में 20 उत्कृष्ट कारीगरों को भी इसे तैयार करने में पूरे पांच वर्ष का समय लगा था.’’ इस अवसर पर ठाकुरजी को हरे रंग की ही पोशाक धारण कराई गई है और मंदिर की आंतरिक सज्जा भी हरित आभा वाले पर्दों, महराबों आदि से की गई है.
सोने-चांदी के झूले में विराजमान होते हैं ठाकुर जी
श्रीहरिदास पीठाधीश्वर आचार्य प्रह्लाद वल्लभ गोस्वामी के अनुसार, ‘‘यह उत्सव भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन की स्मृति में मनाया जाता है. मान्यता है कि शिवजी ने अपनी जटाओं से झूला बनाकर मां पार्वती को झुलाया था, तभी से देवालयों में आराध्य देवों को झूला झुलाने की परंपरा चली आ रही है.’’ उन्होंने बताया कि हरियाली तीज के दिन बांकेबिहारी मंदिर में ठाकुरजी को विशेष रूप से सजे सोने-चांदी के झूले में विराजमान कराया जाता है और इस दिन ठाकुरजी दोनों समय (मंगला आरती और संध्या आरती में) झूलते हैं.
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Source: IOCL





















