'क्या देवेंद्र फडणवीस को इतनी भी जानकारी नहीं कि...', किस बात पर भड़क गए संजय राउत?
Maharashtra News: माशलेकर समिति रिपोर्ट को लेकर भाजपा के आरोपों पर शिवसेना UBT ने पलटवार किया है. संजय राउत ने कहा कि रिपोर्ट केवल कैबिनेट में चर्चा के लिए रखी गई थी, कोई फैसला नहीं हुआ.

Sanjay Raut on BJP: माशलेकर समिति की तीन-भाषा नीति को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) द्वारा उद्धव ठाकरे पर लगाए गए आरोपों पर शिवसेना (UBT) ने तीखा पलटवार किया है. पार्टी सांसद संजय राउत ने कहा कि बीजेपी के लिए झूठ बोलना एक "राष्ट्रीय नीति" बन चुका है, और महाराष्ट्र में वह इसी नीति के तहत काम कर रही है.
उन्होंने कहा कि अगर वाकई में उद्धव ठाकरे ने माशलेकर समिति की रिपोर्ट को स्वीकार किया होता, तो उसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए.
रिपोर्ट में तोड़-मरोड़ करती है BJP- संजय राउत
संजय राउत ने कहा कि माशलेकर समिति की रिपोर्ट मंत्रिमंडल के समक्ष रखी गई है, और ऐसे किसी भी मुद्दे पर चर्चा करना आवश्यक होता है, खासकर तब जब वह किसी राष्ट्रीय नीति से जुड़ा हो. राउत ने सवाल उठाया, "आपने कैबिनेट में हिंदी को लेकर चर्चा की, क्योंकि वह एक राष्ट्रीय नीति का हिस्सा है. ऐसे में जब कोई नीति राज्य के समक्ष आती है, तो उस पर चर्चा क्यों न हो?" उन्होंने BJP पर रिपोर्ट को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाया.
संजय राउत ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि फडणवीस 3 बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं, क्या उन्हें इतनी भी जानकारी नहीं है कि समिति की रिपोर्ट कैसे और कब सामने आती है? राउत ने कहा कि जब कोई रिपोर्ट सिर्फ चर्चा के लिए रखी जाती है, तो उसे "अमल में लाया गया निर्णय" नहीं माना जा सकता. उन्होंने यह भी जोड़ा कि कैबिनेट में कोई प्रस्ताव लाना और उस पर विचार करना लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है, लेकिन बीजेपी इसे मुद्दा बनाकर भ्रम फैला रही है.
बीजेपी ने उद्धव ठाकरे पर लगाया आरोप
गौरतलब है कि बीजेपी ने हाल ही में उद्धव ठाकरे पर यह आरोप लगाया था कि उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए माशलेकर समिति की रिपोर्ट को मंजूरी दी थी, जिससे राज्य में तीन-भाषा नीति को लागू करने का रास्ता साफ हुआ.
इस पर राउत ने कहा कि यह बयान गुमराह करने वाला है. उन्होंने दोहराया कि ठाकरे सरकार ने केवल रिपोर्ट को कैबिनेट में चर्चा के लिए रखा था, न कि उसे लागू करने का कोई निर्णय लिया था. उनका कहना था कि भाजपा केवल राजनीतिक फायदा उठाने के लिए भाषा के मुद्दे को उछाल रही है.

