यहां चुप रहना मना है! दिल्ली की वो लाइब्रेरी, जहां शोर मचाकर पढ़ी और पढ़ाई जाती हैं किताबें
Delhi Library: दक्षिण दिल्ली के खिड़की एक्सटेंशन में ऐसी लाइब्रेरी है, जहां शोर-शराबा और गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जाता है. जहां ‘शांत रहें’ के बोर्ड के बजाय जोर से कहानियां सुनाई जाती हैं.

Delhi Library News: अलमारियों में बड़ी संख्या में सजी किताबें, मदद के लिए तैयार कर्मचारी और जिज्ञासु बच्चे कहीं हों तो यह जाहिर तौर पर एक लाइब्रेरी है. लेकिन ऐसे लाइब्रेरी हों तो कैसा हो, जहां ‘शांत रहें’ के बोर्ड या बच्चों को चुप रहने के लिए कहने के बजाय जोर से कहानियां सुनाई जा रही हों और ढेर सारे खेल खेले जा रहे हों.
230 से ज्यादा लाइब्रेरी में से एक
दक्षिण दिल्ली के खिड़की एक्सटेंशन में ऐसा ही एक लाइब्रेरी भारत भर के ऐसे 230 से ज्यादा लाइब्रेरी में से एक है. ‘कनेक्टेड टू द फ्री लाइब्रेरीज नेटवर्क’ (एफएलएन) ने लाइब्रेरी को ऐसे सामुदायिक स्थानों के रूप में परिकल्पित किया है जहां गतिविधियों, कहानियों, नाटक, खेल, बातचीत और बहुत सारी पढ़ाई के माध्यम से बच्चों के बीच जुड़ाव को प्रोत्साहित किया जाता हो.
उदाहरण के लिए, पिछले दिनों एक दोपहर को नोएडा की ‘किस्सागढ़ एक्टिव लाइब्रेरी’ में कुछ किशोर सादत हसन मंटो की विभाजन पर आधारित कहानी ‘खोल दो’ नाटक का मंचन कर रहे थे. कुछ किलोमीटर दूर, तुगलकाबाद गांव की ‘किताबी दोस्त लाइब्रेरी’ में कुछ बच्चे एक-दूसरे को कहानियां सुना रहे थे, कुछ आकृतियां बना रहे थे और खेलने के लिए अगला खेल चुन रहे थे.
शहर के दूसरे हिस्से में, खिड़की एक्सटेंशन स्थित ‘कम्युनिटी लाइब्रेरी प्रोजेक्ट’ (टीसीएलपी) के बच्चे भी कुछ अलग तरह का खेल खेल रहे थे. लाइब्रेरी से पारंपरिक रूपी से जुड़ी माने जाने वाली गंभीरता इन फ्री, स्वतंत्र और जमीनी स्तर के लाइब्रेरी” में गायब हो जाती है. इन्हें कुछ युवक और युवतियां संचालित कर रहे हैं जो कभी खुद इसके शुरुआती सदस्य थे.
लाइब्रेरी में हैं लगभग 10000 किताबें
किस्सागढ़ के संस्थापक कपिल पांडे ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘हम इसे सक्रिय लाइब्रेरी कहते हैं क्योंकि हम लाइब्रेरी में बात न करने के विचार को बदलना चाहते थे और इसे सक्रिय और गतिविधि आधारित रखना चाहते थे. ’’रुचि से कहानीकार और पेशे से डिजाइनर, पांडे ने 2014 में औपचारिक रूप से इस सक्रिय लाइब्रेरी शृंखला की शुरुआत की. दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में दो केंद्रों में संचालित होने वाले इस लाइब्रेरी में लगभग 10,000 किताबें हैं और इसके 300 से ज्यादा सदस्य हैं, जिनमें से 50-60 रोजाना आते हैं.
चाहे 17 साल कंचन हो, जो पुलिस बल में शामिल होना चाहती है, या नौ साल सत्यम कुमार जो डॉक्टर बनना चाहता है, या फिर पांच साल का तंशु, सभी की अनेक आकांक्षाएं हैं और उन्हें शब्दों से प्यार भी उतना है. ‘खोल दो’ में सकीना का मुख्य किरदार निभाने वाली कंचन कुछ साल पहले जब लाइब्रेरी से जुड़ी थी, तब वह शांत और संकोची थी. अब, वह छोटे बच्चों को खुद की खोज की ऐसी ही यात्रा पर ले जाती हैं.
बच्चों को पढ़ना और अभिनय करना सिखा सकती हूं- पांडे
उसने कहा, ‘‘मैं कभी किसी से बात नहीं करती थी, ज़्यादातर किताबें समझ नहीं पाती थी. अब, मैं दूसरे बच्चों को पढ़ना और अभिनय करना सिखा सकती हूं.’’ पांडे के अनुसार, नाटक के ज़रिए सीखने से बच्चों को ‘समस्या के बारे में सोचने के बजाय, उसके साथ रहकर सोचने’ में मदद मिलती है.
पियाली धर ने कोविड-19 लॉकडाउन के कारण सीखने में आ रहीं समस्या को दूर करने के लिए 2021 में ‘किताबी दोस्त’ की स्थापना की, जिसमें जोर से पढ़ना, प्रश्नोत्तरी और विज्ञान के प्रयोग जैसी गतिविधियां शामिल हैं. लाइब्रेरी के सदस्यों को पुस्तक रिपोर्ट लिखने और अपनी खुद की कहानियां बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.
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