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स्पेस में लंबे समय तक रहने पर एस्ट्रोनॉट्स की आंखे हो जाती हैं कमजोर? रिसर्च में हुआ खुलासा

अंतरिक्षयात्री सुनीता विलियम्स और वुच विल्मोर 200 से अधिक दिनों से स्पेस में फंसे हुए हैं. रिसर्च के मुताबिक लंबे समय तक स्पेस में रहने से आंखों पर भी इसका बुरा असर पड़ता है.रिसर्च में क्या आया सामने?

स्पेस की दुनिया रहस्यों से भरी हुई है, ये तो हम सभी लोग जानते हैं. इन रहस्यों को सुलझाने के लिए ही अलग-अलग स्पेस एजेंसी के तरफ से एस्ट्रोनॉट्स यानी अंतरिक्षयात्रियों को स्पेस में भेजा जा रहा है. लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि लंबे समय तक स्पेस में रहने पर अंतरिक्षयात्रियों की आंखों पर बुरा असर पड़ रहा है. जी हां, ये हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि नई रिसर्च में ये खुलासा हुआ है. आज हम आपको बताएंगे कि रिसर्च में क्या सामने आया है. 

अंतरिक्षयात्रियों का स्पेस सफर

अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा भारत की स्पेस एजेंसी इसरो समेत तमाम देशों के अंतरिक्षयात्री अलग-अलग शोध के लिए स्पेस में जाते हैं. बीते साल ही नासा ने अंतरिक्षयात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथ वुच विल्मोर को बीते साल जून 2024 में स्पेस में भेजा था. लेकिन बोइंग के स्टारलाइनर कैप्सूल में तकनीकी खराबी के चलते दोनों अंतरिक्ष यात्री बीते साल से ISS पर फंसे हैं. इस दौरान कई बार कुछ फोटोज ऐसी सामने आई हैं, जिसमें सुनीता और उनके साथी काफी कमजोर भी नजर आए हैं.

स्पेस में रहने पर शरीर पर पड़ता है बुरा असर

बता दें कि कई रिसर्च में ये सामने आया है कि स्पेस में लंबे समय तक रहने पर अंतरिक्षयात्रियों के शरीर पर इसका बुरा असर पड़ता है. लेकिन अब यूनिवर्सिटी डि मोन्ट्रियाल की एक नई रिसर्च ने कुछ और खुलासा किया है. उनके रिसर्च के मुताबिक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में छह महीने का समय गुजारने के बाद एस्ट्रोनॉट्स की आंखें उल्लेखनीय रूप से कमजोर हो जाती हैं. इतना ही नहीं अध्ययन में पाया गया है कि स्पेस में यात्रा करने से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के 70 फीसदी एस्ट्रोनॉट्स ने एक खास न्यूरो ऑक्यूलर सिंड्रोम (SANS) जैसी कंडीशन का अनुभव किया है.

स्पेस में जाने पर शरीर में क्या होती है दिक्कत

स्पेस में जाने के बाद अंतरिक्षयात्रियों के शरीर में कई तरह के बदलाव देखे जाते हैं. हालांकि अभी भी इसके सभी संभावित खतरों पर रिसर्च जारी हैं. कई रिपोर्ट्स के मुताबिक लंबे समय तक स्पेस में रहने से हड्डियों का कमजोर होना हो, प्रतिरोध तंत्र कमजोर होने, कैंसर का जोखिम बढ़ने जैसी कई समस्याएं होती हैं. वहीं शोध के मुताबिक लंबे समय तक स्पेस में रहने से एस्ट्रोनॉट्स की आंखें ही नर्म हो जाती हैं. शोधकर्ताओं का मानना है कि ऐसे में मंगल ग्रह पर पहुंचने पर अंतरिक्षयात्रियों की आंखों पर और भी बुरा असर पड़ सकता है. 

आंखों पर क्यों पड़ता है इतना असर

अब सवाल ये है कि स्पेस में जाने पर आंखों पर इतना असर क्यों पड़ता है. इस सवाल के जवाब में यूनिवर्सिटी की माइसोन्योवे रोसोमोंट हॉस्पिटल की सेंटियागो कोस्टैनटीनो ने बताया कि भारहीनता शरीर में खून के बहाव को बदल देता है. जिससे सिर में खून का बहाव बढ़ जाता है, लेकिन आंख की नसों में धीमा हो जाता है.

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