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ऐसे फलों को खाने से हो सकता है Nipah virus, बचने के लिए अपनाएं ये उपाय
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आमतौर पर ये इंफेक्शन इंसानों को प्रभावित करता है. जो जीव निपाह वायरस एन्सेफलाइटिस का कारण बनते हैं, वे आरएनए या रिबोन्यूक्लिक एसिड वायरस
फैमिली के हैं. जिनका पैरामाइक्सोविरिडे, जीनस हेनिपावायरस और हेन्थ वायरस से निकट संबंध हैं. साभारः WHO, Centers for Disease Control and Prevention, फोटोः गूगल फ्री इमेज
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वहीं भारत में इस वायरस को इंसान से इंसान में फैलते देखा गया है. यहां तक की हॉस्पिटल में भी.फोटोः गूगल फ्री इमेज
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दरअसल, लोग घरों में पालूत जानवर रखते हैं. उस समय ये वायरस इतना ज्यादा किसानों में फैल गया था कि उनके कपड़ों, जूतों, इक्यिूपमेंट्स यहां तक कि उनके जरिए देशभर में फैलने लगा था. फोटोः गूगल फ्री इमेज
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2004 में बांग्लादेश में लोग निपाह वायरस से ग्रस्त होने लगे थे. इसका कारण कच्चा खजूर और बेर खाना बताया गया था जिसे चमगादडों ने बाइट किया हुआ था. लोग पेड़ों पर चढ़कर कच्चे खजूर और बेर का रस पी रहे थे.फोटोः गूगल फ्री इमेज
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गिरे हुए और बाइट वाले फल खाना इस वायरस को दावत देने जैसा है. दरअसल, स्वास्थ्य अधिकारियों ने पाया कि जिन लोगों की मौत हुई है वे चमगादड़ की बाइट वाले आम घर ले गए थे.फोटोः गूगल फ्री इमेज
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डॉक्टर ने ये भी बताया कि अब हम निपाह वायरस से बचने के प्रयासों के बारे में बता रहे हैं क्योंकि इस वायरस का इलाज बहुत की सीमित है.फोटोः गूगल फ्री इमेज
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हालांकि इसके साथ ही इस वायरस का पालतू जानवरों जैसे कुत्ता, बिल्ली, बकरी, घोड़ा और शीप के जरिए फैलने का कारण भी बताया गया.फोटोः गूगल फ्री इमेज
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जानवरों और इंसानों दोनों के लिए ही इस वायरस से लड़ने की कोई वैक्सीनेशन तैयार नहीं हुई है. लेकिन मरीज की शुरूआती देखभाल या यूं कहें कि लक्षणों का ट्रीटमेंट ही प्राथमिक उपचार है. फोटोः गूगल फ्री इमेज
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निपाह वायरस जानवरों से इंसानों में ट्रांसमीट होता है. इस वायरस की अभी तक कोई वैक्सीनेशन नहीं है और इस वायरस से मृत्युदर 70 फीसदी है.फोटोः गूगल फ्री इमेज
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वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने निपाह वायरस को उन बीमारियों में टॉप पर रखा है जो आने वाले समय में बड़े प्रकोप के रूप में संभावित रूप से हो सकती हैं.फोटोः गूगल फ्री इमेज
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लगभग 300 मामलों में से 100 की मौत इस वायरस से होने की रिपोर्ट थी. ये भी माना जा रहा है कि 50 फीसदी लोगों की उस समय इस वायरस से मौत हो गई थी. ऐसे में इस बीमारी को रोकने के लिए लगभग 10 लाख सुअरों को मलेशिया में मारा गया था जिसके कारण व्यापारियों को भारी नुकसान भी हुआ था.फोटोः गूगल फ्री इमेज
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केरल के हेल्थ सेक्रेटरी राजीव सदानंदन ने बीबीसी को एक रिपोर्ट में बताया कि जो नर्स निपाह वायरस के मरीजों का इलाज कर रही थी उसकी भी मौत हो गई है. उन्होंने ये भी बताया कि हमने उन लोगों के कुछ ब्लड सैंपल्स और बॉडी फ्लूड सैंपल्स को पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ विरोलॉजी में भेजा है जिनको ये वायरस होने का अंदेशा था. इनमें से तीन लोगों की निपाह वायरस से मौत की पुष्टि हो गई है.फोटोः गूगल फ्री इमेज
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निपाह वायरस के लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, रेस्पिरेट्री प्रॉब्लम्स, सुस्ती आना, भटकाव होना चीजों को भूलना, मेंटल कन्फ्यूजन, कोमा में जाना यहां तक की मौत होना तक शामिल है. निपाह वायरस के ये लक्षण 24 से 48 घंटे के अंदर विकसित होकर कोमा तक में पहुंचा सकते हैं.फोटोः गूगल फ्री इमेज
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जो डॉक्टर और नर्स निपाह वायरस के मरीज का देख रहे हैं वे भी खुद का ख्याल रखें. हाथ धोते रहें. मास्क, ग्लब्स और गाउन पहनें. लैब में वायरस की टेस्टिंग कर रहे लोग भी इन बातों का ध्यान रखें.फोटोः गूगल फ्री इमेज
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कच्चे खजूर या बेर को किसी भी रूप में ना खाएं ना इसका जूस पीएं. हर तरह के जानवरों से दूरी बनाकर रखने की कोशिश करें.फोटोः गूगल फ्री इमेज
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निपाह वायरस से बचने का सबसे बेहतर तरीका ये है कि सुअरों के संपर्क में किसी भी रूप में ना आएं. उन जगहों पर जाने से बचें जहां चमगादड़ हो. जानवरों की बाइट वाले फलों को ना खाएं.फोटोः गूगल फ्री इमेज
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आखिर Nipah virus है क्या? निपाह वायरस (NiV) एक नई उभरती हुई बीमारी है जो कि जानवरों से इंसानों में फैलती है. खासतौर पर जानवरों (चमगादड़) द्वारा खाए फलों को खाने से ये बीमारी फैलती है.फोटोः गूगल फ्री इमेज
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केरल के स्वास्थ्य अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि घातक निपाह वायरस से कई लोगों की मौत हुई है. कुछ मरीजों में ये वायरस पॉजिटिव आया है. वहीं कई लोग इस वायरस के कारण कोझिकोड के हॉस्पिटल में भर्ती हैं. फोटोः गूगल फ्री इमेज
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निपाह वायरस की सबसे पहले पहचान 1998-1999 में मलेशिया और सिंगापुर में की गई थी. ये वायरस उन लोगों में पाया गया था जो एन्सेफलाइटिस और रेस्पिरेट्री से पीडि़त सुअरों के करीब रहते थे.फोटोः गूगल फ्री इमेज
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