Diamond Types: कितनी तरह के होते हैं डायमंड, जानें क्या होता है सब में फर्क?
Diamond Types: हीरे सिर्फ एक तरह की नहीं होते बल्कि उनके कई प्रकार होते हैं. आइए जानते हैं कितने तरह के हीरे होते हैं और सब में क्या फर्क होता है.

Diamond Types: सभी तरह के हीरे भले ही खूबसूरती से चमकते हों लेकिन वे सभी एक जैसे नहीं होते. उनकी ओरिजिन, केमिस्ट्री, प्योरिटी और कारीगरी काफी अलग हो सकती है. आपको बता दें कि अलग-अलग तरह के हीरे बनते हैं जिनकी अपनी खास विशेषता और कीमत होती है. आइए जानते हैं कि कितने प्रकार के हीरे होते हैं और उनमें क्या अंतर होता है.
नेचुरल हीरे और लैब ग्रोन हीरे
हीरों को मोटे तौर पर नेचुरल हीरे और लैब ग्रोन हीरों में बांटा गया है. नेचुरल हीरे अरबों सालों में धरती के अंदर काफी ज्यादा दबाव और गर्मी से बनते हैं. नेचुरल होने की वजह से उनमें अक्सर नाइट्रोजन या फिर बोरॉन जैसी थोड़ी बहुत अशुद्धियां होती हैं. इन अशुद्धियों का असर उनके रंग पर भी पड़ता है. वहीं दूसरी तरफ लैब ग्रोन हीरे एचपीएचटी यानी हाई प्रेशर हाई टेंपरेचर या फिर केमिकल वेपर डिपोजिशन जैसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके कंट्रोल्ड माहौल में बनाए जाते हैं. वैसे तो इन्हें लैब में बनाया जाता है लेकिन इसके बावजूद भी इनमें नेचुरल हीरे जैसी ही केमिकल और फिजिकल प्रॉपर्टीज होती हैं. इनकी कीमत भी क्लेरिटी, कट, रंग और कैरेट वजन जैसे क्वालिटी मापदंडों से ही तय होती है.
केमिकल प्रकार
हीरे को उसके बनने के दौरान उसके अंदर फंसे तत्व के आधार पर केमिकल प्रकार में बांटा जाता है. जैसे:
टाइप Ia और Ib
कई नेचुरल हीरे टाइप Ia कैटेगरी में आते हैं. यहां नाइट्रोजन के एटम स्ट्रक्चर के अंदर गुच्छों में होता है. यह अक्सर पीले या फिर भूरे रंग के दिखते हैं. टाइप Ib हीरो में भी नाइट्रोजन होता है लेकिन यह नाइट्रोजन अलग-अलग एटम के रूप में होता है जिस वजह से अक्सर गहरा पीला रंग आता है.
टाइप IIa
इस हीरे में कोई अशुद्धि नहीं होती. यह बिल्कुल साफ और कीमती होता है. कोहिनूर जैसे मशहूर हीरे इसी कैटेगरी के हैं. यह काफी ज्यादा पारदर्शी होते हैं जिस वजह से यह दुर्लभ माने जाते हैं.
टाइप IIb
जब बोरॉन हीरे के स्ट्रक्चर में मिल जाता है तब यह नीला या फिर ग्रे रंग पैदा करता है. इस तरह के हीरे काफी ज्यादा दुर्लभ होते हैं और बिजली के कंडक्टर होते हैं.
रंगों में अंतर
आपको बता दें कि रंग हीरे की सबसे खास विशेषताओं में से एक है. लेकिन रंगहीन हीरे सबसे दुर्लभ और सबसे ज्यादा महंगे होते हैं. वहीं पीले या फिर भूरे हीरों का रंग नाइट्रोजन की अशुद्धि की वजह से होता है. इसी के साथ नील हीरे का रंग बोरॉन से आता है और दुर्लभ हीरे जैसे कि गुलाबी, लाल, हरे काफी ज्यादा दुर्लभ होते हैं और उनकी कीमत भी काफी ज्यादा होती है.
ये भी पढ़ें: कौन है IndiGo का मालिक, एयरलाइंस के अलावा उसके पास कौन-कौन से बिजनेस?
Source: IOCL






















