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अलविदा रतन टाटा! नम आंखों से जनसैलाब ने दी आखिरी विदाई, राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार
Ratan Tata Cremation: टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन और दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा का गुरुवार (10 अक्टूबर) को मुंबई के वर्ली श्मशान घाट पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया.
देश के दिग्गज बिजनेसमैन रतन टाटा आज हम सब के बीच नहीं हैं. 9 अक्टूबर की रात को उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली. 10 अक्टूबर को उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा.
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कई लोगों का अनुमान था कि रतन टाटा पारसी समुदाय से सम्बध रखते थे, इसलिए उनका अंतिम संस्कार पारसी रीति-रिवाजों से ही किया जाएगा लेकिन रतन टाटा के परिवार ने इलेक्ट्रिक अग्निदाह से उनका अंतिम संस्कार किया गया.
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मुंबई पुलिस ने उन्हें श्रद्धांजलि और गार्ड ऑफ ऑनर दिया. वर्ली स्थित श्मशान घाट में टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा समेत उनके परिवार के सदस्य और टाटा समूह के अध्यक्ष एन चंद्रशेखरन समेत शीर्ष अधिकारी मौजूद थे.
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस, गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल ने दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा को वर्ली श्मशान घाट पर श्रद्धांजलि दी.
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इससे पहले उनका पार्थिव शरीर एनसीपीए ग्राउंड में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था, यहां उन्हें देशभर की नामी हस्तियों ने श्रद्धांजलि दी.
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दरअसल, उद्योगपति और टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन नवल टाटा का बुधवार को ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया.
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86 साल के टाटा पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे. उन्हें सोमवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और बुधवार को उनकी हालत काफी बिगड़ गई थी. बुधवार देर रात उन्होंने ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली.
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वहीं, उद्योगपति टाटा के निधन पर राष्ट्रपति द्रौपर्दी मुर्मू और पीएम मोदी ने दुख जताया. टाटा मार्च 1991 से 28 दिसंबर 2012 तक टाटा समूह के अध्यक्ष रहे. उसके बाद 2016-2017 तक एक बार फिर उन्होंने समूह की कमान संभाली. बाद में वह समूह के मानद चेयरमैन की भूमिका में आ गए थे.
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उनके अचानक चले जाने से भारतीय उद्योग जगत में एक खालीपन आ गया है. उन्हें करीब से जानने वाले लोगों ने बताया कि वह बिल्कुल जमीन से जुड़े व्यक्ति थे और उनकी विरासत लंबे समय तक चलती रहेगी.
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टाटा मेडिकल सेंटर, कोलकाता के पूर्व निदेशक मम्मेन चांडी ने रतन टाटा की दूरदर्शी सोच के बारे में बताते हुए कहा, एक बार उन्होंने मुझसे कहा था, 'आपको पता है हमने जगुआर लैंडरोवर्स क्यों खरीदा? हमने उसे प्रौद्योगिकी तक पहुंच हासिल करने के लिए खरीदा. हम अपने ट्रकों में वैसा ही गियर बॉक्स चाहते थे जो लैंडरोवर्स में इस्तेमाल होता है.'
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मम्मेन चांडी बताया कि एक बार उन्होंने रतन टाटा से कहा कि टाटा मेडिकल सेंटर में रिसर्च सेंटर बनाने के लिए 10 करोड़ रुपये की जरूरत है. टाटा समूह के अध्यक्ष ने तुरंत इसकी स्वीकृति दे दी.
Published at : 10 Oct 2024 11:36 PM (IST)
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