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Mahakumbh 2025: ट्रेनों के शीशे तोड़े, सड़कों पर दूर-दूर तक गाड़ियां; महाकुंभ जानें का जुनून डरा रहा, तस्वीरें
Mahakumbh 2025: लोग हर सूरत में महाकुंभ पहुंचना चाहते हैं. फिर चाहे इसके लिए कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़ रही हो. रेलवे ने ट्रेनों की टाइमिंग में बदलाव किया है, लेकिन सब कुछ धरा रह गया.
प्रयागराज महाकुंभ में 45 करोड़ से ज्यादा लोग आस्था की डुबकी लगा चुके हैं और अभी करोड़ों लोग अपनी बारी आने के इंतजार में हैं. माघी पूर्णिमा के महास्नान की शुभ घड़ी में डुबकी लगाने के लिए यूपी, बिहार और एमपी के कोने-कोने से लोग गाड़ी, बस, ट्रेन में सवार होकर प्रयागराज पहुंचने की कोशिश में हैं.
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विभिन्न साधनों से लोग प्रयागराज पहुंच रहे हैं, लेकिन कुछ लोग एक नागरिक के तौर पर अपनी जिम्मेदारी को भूलते हुए मर्यादा को लांघ रहे हैं. एक ओर सरकार अपना काम कर रही है, लेकिन रेल लाइन से लेकर सड़कों पर चक्का जाम की स्थिति बनी हुई है, जिसके लिए जनता भी उतनी ही जिम्मेदार है.
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जनता को जिम्मेदार इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि हाल ही में बिहार के मधुबनी में ट्रेन के शीशे को तोड़ने का वीडियो खूब वायरल हो रहा है. इस वीडियों में देखा जा सकता है कि एक शख्स ट्रेन का शीशा तोड़ता है और भाग जाता है. इस वीडियो को देख कर किसी को भी गुस्सा आ जाएगा क्योंकि ट्रेन के अंदर एक महिला बैठी थी, जिसकी गर्दन पर चोट लग जाती है. शीशा टूटा.. तो अंदर बैठी महिला चोट और दहशत से चिल्ला देती है. जहन में सवाल आया होगा कि भला कोई ऐसा कैसे कर सकता है?
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लोग महाकुंभ में हर सूरत में पहुंचना चाहते हैं, फिर चाहे इसके लिए कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़ रही हो. तस्वीरें बिहार के मधुबनी से आई हैं, जहां जनरल तो क्या एसी बोगियों में भी लोग ठूंस-ठूंस कर भरे हुए थे.
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एक नजर यहां भी डालिए, जो बिहार के गया से आई है. स्टेशन पर महाबोधि एक्सप्रेस खड़ी है और ट्रेन में सवार होने के लिए देखिए कैसे-कैसे जतन किए जा रहे हैं. कोई इमरजेंसी खिड़की से घुस रहा है तो कोई स्टंट दिखाते हुए ट्रेन में दाखिल हो रहा है. ट्रेन चल चुकी है और यात्री जान जोखिम में डालकर गेट के आखिरी छोर या यूं कहिए कि ट्रेन के बाहर तक लटके हुए हैं. महिलाएं भी इस दौड़ में पीछे नहीं हैं. बराबरी से कुंभ पहुंचने के लिए वो खतरों की खिलाड़ी बनी हुई हैं.
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रेलवे प्रशासन ने लोगों की सुविधा के लिए गाड़ियों के टाइम टेबल में बदलाव भी किया गया है, लेकिन भीड़ इतनी ज्यादा है कि सारे अनुमान और सारी व्यवस्थाएं बौनी साबित हो रही हैं. नतीजा प्रयागराज में लोगों का सैलाब उमड़ रहा है, जिन्हें ट्रेन का टिकट नहीं मिल रहा वो निजी वाहनों से प्रयागराज के लिए कूच कर रहे हैं, लेकिन यकीन मानिए निजी वाहनों से निकलने वालों की हालत और खराब है. प्रयागराज की सीमा में दाखिल होने से कई किलोमीटर पहले जाम लगा है. रीवा से लेकर रोहतास तक चक्का जाम हो रहा है, लेकिन लोग मानने को तैयार ही नहीं हैं.
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गाड़ियों की रफ्तार पर ब्रेक लग चुका है. बिहार के रोहतास जिले के कुदरा में हजारों बसें, गाड़ियां फंसी हुई हैं. ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल जाने वाले यात्रियों की हालत खराब है, जो ना तो घर पहुंच पा रहे हैं और ना ही रास्ते में उनको जरूरी सुविधाएं मिल पा रही हैं. जो इंतजाम के साथ आए थे वो तो सड़क के किनारे खाना बनाकर अपनी भूख मिटा रहे हैं लेकिन जाम के बीच फंसे हजारों लोग ऐसे हैं जिनके पास ना तो खाना है ना पानी है और उन्हें वॉशरूम तक जाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है
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महाकुंभ में हालत ऐसी है कि मात्र 3 किलोमीटर की दूरी के लिए 200 रुपये वसूले जा रहे है. एक बाइक पर तीन-तीन सवारियां हैं और हेलमेट जैसी बुनियादी जरूरत के पालन का तो खैर सवाल ही नहीं उठता है, जिनको एयरपोर्ट या रेलवे स्टेशन पहुंचना है, उनकी मजबूरी का फायदा उठाते हुए उनसे तो चार से 6 किलोमीटर की दूरी के लिए हजार रुपए तक लिए जा रहे हैं.
Published at : 12 Feb 2025 09:04 AM (IST)
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