कौन थे बांग्लादेश की आजादी के नायक मुजीबुर रहमान ? कैसे उनकी हत्या के दोषी को इतने सालों बाद मिली फांसी
कौन थे बांग्लादेश की आजादी के नायक मुजीबुर रहमान ? कैसे उनकी हत्या के दोषी को इतने सालों बाद मिली फांसी ? जानिए

नई दिल्ली: बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की हत्या के दोषियों में से एक अब्दुल माजिद को ढाका की सेंट्रल जेल में फांसी दे दी गई. बता दें कि 1975 में शेख मुजीबुर रहमान की हत्या कर दी गई थी. उनकी हत्या में माजिद मुख्य आरोपी था. जेलर महबूबुल आलम के मुताबिक पूर्व सैन्य अधिकारी माजिद को रविवार दोपहर 12:01 बजे फांसी दी गई.
बीते 22 साल से माजिद भारत में छुपा हुआ था. माजिद को बीते मंगलवार को गिरफ्तार किया गया था. शेख मुजीबुर की हत्या के पांच और साजिशकर्ता अभी भी छुपे हुए हैं. हाल में ही मासिद ने खुद बताया था कि वह पिछले 22 साल से पश्चिम बंगाल में छिपा हुआ था.
क्या था मामला
15 अगस्त 1975 को बांग्लादेश में सैनिक तख्तापलट हुआ था. इसी दौरान शेख मुजीबुर रहमान की हत्या कर दी गई थी. उसके बाद माजिद ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया था कि उसने बंगबंधु मुजीबुर रहमान की हत्या की है. हालांकि बाद में वह फरार हो गया था और बांग्लादेश की सुरक्षा एजेंसिया तब से उसे लगातार खोज रही थीं.
मुजीबुर रहमान की हत्या में शामिल रहे दर्जनों लोगों में से एक माजिद की फांसी की सजा को 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा था. 1998 को ही बांग्लादेश की एक निचली अदालत ने उन सैन्य अधिकारियों को फांसी की सजा सुनाई थी जो रहमान और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या में शामिल रहे थे.
कौन थे शेख़ मुजीबुर रहमान
शेख़ मुजीबुर रहमान बांग्लादेश के संस्थापक थे. वह बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति थे. उन्हें बांग्लादेश का राष्ट्रपिता या जनक कहा जाता है. वे अवामी लीग के अध्यक्ष थे. उन्होंने ही पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में अगुवाई की और पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश बना. इसके बाद वह पहले देश के राष्ट्रपति बने और बाद में प्रधानमंत्री भी बने. उन्हें 'बंगबन्धु' की पदवी से सम्मानित किया गया.
जब बांग्लादेश में सैन्य तख्तापलट हुआ था मौजूदा बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना जो रहमान की बेटी हैं, वह इस घटना में बच गई थीं क्योंकि उस वक्त वह अपनी बहन के साथ जर्मनी के दौरे पर थीं. उस घटना में रहमान के परिवार में सिर्फ यही दो बहनें जिंदा बच पाई थीं. बताया जाता है कि उनकी बाद की सरकारों ने रहमान के हत्यारों को कूटनीतिक मिशन पर विदेश भेज दिया था.

