साल में दो बार बोर्ड परीक्षा से स्टूडेंट्स पर क्या पड़ेगा असर, जानें क्या कह रहे एक्सपर्ट्स?
सीबीएसई बोर्ड की परीक्षा में कई बड़े बदलाव करने जा रहा है. शिक्षा मंत्री के साथ हाल ही में हुई बैठक में कई अहम फैसले हुए हैं. एग्जाम में कौन-कौन से बदलाव होने वाले हैं, एक्सपर्ट्स की क्या राय है.

सीबीएसई बोर्ड परीक्षा को साल में दो बार आयोजित करने की प्लानिंग कर रहा है. ऐसे में स्कूली छात्रों पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ने वाला है. ऐसे में जो छात्र बोर्ड एग्जाम को लेकर डर में रहते थे और अच्छा स्कोर नहीं कर पाते थे उन्हें साल में दो मौके मिल सकेंगे. इसके साथ ही बच्चों की काफी हद तक एग्जाम को लेकर टेंशन कम होगी. वहीं एक्सपर्ट्स का मानना ये भी है कि इस प्रणाली के लागू होने से पेपर में नंबर कम आने से जो सूइसाइड रेट है उसमें भारी गिरावट आएगी.
साल में दो बार बोर्ड एग्जाम कराने पर हुई चर्चा
आपको बता दें कि शिक्षा मंत्रालय ने सरकार को यह निर्देश भी दिया कि 2026-27 के एकेडमिक ईयर से विदेशी स्कूलों के लिए एक ग्लोबल सिलेबस शुरू किया जाए. शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की अध्यक्षता में हुई बैठक में सीबीएसई को अगले एकेडमिक ईयर में विदेशी स्कूलों के लिए सीबीएसई ग्लोबल सिलेबस शुरू करने और इसके लिए एक विस्तृत कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया गया.
इस बैठक में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के अलावा, सचिव DoSEL, सचिव ER, MEA, सीबीएसई, NCERT, KVS, NVS के प्रमुख और वैश्विक स्कूलों के प्रतिनिधि भी शामिल थे. शिक्षा मंत्रालय ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के साथ मिलकर अगले एकेडमिक ईयर से दो बार बोर्ड परीक्षा लेने पर चर्चा की.
इन तीन विकल्पों पर सीबीएसई कर रहा विचार
मौजूद समय में कक्षा 10 और 12 की बोर्ड परीक्षाएं फरवरी-मार्च में आयोजित होती हैं. सीबीएसई तीन विकल्पों पर विचार कर रहा है: एक सेमेस्टर प्रणाली में पहले बोर्ड परीक्षा जनवरी-फरवरी में और दूसरी मार्च-अप्रैल में हो, या फिर जून में दूसरी बोर्ड परीक्षा हो, जिसमें सप्लीमेंट्री और इंप्रूवमेंट परीक्षा भी हो. कोविड महामारी के दौरान कक्षा 10 और 12 की बोर्ड परीक्षाओं को दो चरणों में बांट दिया गया था, यह एक बार का उपाय था, लेकिन एक साल बाद पुराने तरीके से परीक्षा प्रणाली को फिर से लागू कर दिया गया.
ये है एक्सपर्ट्स की राय
कई एक्सपर्ट्स का कहना है कि सीबीएसई द्वारा साल में दो बार बोर्ड परीक्षा लेने का कदम छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है. आजकल के समय में बच्चों पर परीक्षा का बहुत अधिक दबाव रहता है, जो उनके मानसिक तनाव और डिप्रेशन का कारण बनता है.
दो बार परीक्षा होने से छात्रों को अपने रिजल्ट में सुधार करने का मौका मिलेगा और एक बार असफल होने पर दूसरी बार कोशिश करने का अवसर मिलेगा. इससे छात्रों को सेल्फ कॉन्फिडेंस मिलेगा और उनका मानसिक दबाव कम होगा. हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि इसे लागू करने के लिए शिक्षा प्रणाली में कई बदलाव करने होंगे, जैसे कि परीक्षा पैटर्न, ईवैल्युएशन, और टीचिंग मेथड्स को भी रीडिफाइन करना होगा ताकि यह बदलाव छात्रों और शिक्षकों दोनों के लिए प्रभावी हो सके.
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