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जब नहीं थे इलेक्ट्रिक सिग्नल कैसे रूकती थी ट्रेन, जानिए किस तकनीक का होता था इस्तेमाल
भारतीय रेलवे आज दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है. लेकिन भारत में रेलवे का इतिहास अंग्रेजों के समय का है. क्या आप जानते हैं कि पहले सिग्नल के लिए किस चीज का इस्तेमाल किया जाता था.
आज आप जब रेलवे में सफर करते हैं, तो आप देखते होंगे कि लाल सिग्नल होने पर ट्रेन रूक जाती है, वहीं हरा सिग्नल होने पर ट्रेन चलने लगती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सालों पहले जब इलेक्ट्रिक सिग्नल नहीं था, तो ट्रेन कैसे रूकती थी.
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भारत में आज रेलवे मंत्रालय कार्य क्षेत्र से लेकर कर्मचारियों के स्तर पर सबसे बड़ा मंत्रालय है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब भारत में रेल की शुरूआत हुई थी, उस समय रेलवे सिस्टम कैसे काम करता था.
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आप में से कुछ लोगों ने किताबों में पढ़ा होगा और कुछ लोगों ने रेलवे के कोयले वाले इंजन को देखा भी होगा. पहले के समय भारतीय रेलवे में कोयले वाले इंजन का इस्तेमाल किया था. उस वक्त बिजली भी नहीं थी.
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लेकिन क्या आप ये कभी सोचते हैं कि जब रेलवे में बिजली का इस्तेमाल नहीं होता था, तो उस वक्त ट्रेन को लाल और हरा सिग्नल कैसे मिलता था. आज हम आपको उसी पुराने तकनीक के बारे में बताएंगे.
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बता दें कि पहले के समय रेलवे में सिग्नल देने के लिए हाथ से चलाए जाने वाले झंडे और रात के समय लालटेन का इस्तेमाल किया जाता था. यह लालटेन केरोसिन तेल से जलती थी और दूर से ही साफ दिखाई देती थी.
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अब आपके दिमाग में आ रहा होगा कि आखिर ये सब चीजें अब कहां पर दिखाई देगी, बता दें कि राजधानी दिल्ली समेत कई अन्य जगहों पर आज भी भारतीय रेलवे का म्यूजियम मौजूद है. जहां रेलवे के पुराने और प्राचीन चीजों को रखा गया है.
Published at : 10 Feb 2025 10:12 AM (IST)
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