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दुनिया का सबसे ‘फेमिनिन’ देश, क्या है इसके नाम के पीछे की छिपी कहानी?
Which Country is Named After a Woman: दुनिया में एक से बढ़कर एक खूबसूरत द्वीप हैं. लेकिन दुनिया का वो अकेला राष्ट्र है जहां हर कोना एक महिला संत की विरासत की कहानी सुनाता है. आइए जानें.
कैरेबियन सागर के नीले किनारों पर बसा एक छोटा-सा द्वीप, दुनिया के बाकी देशों से बिल्कुल अलग पहचान रखता है. एक ऐसा देश, जिसका नाम सुनते ही लोगों के मन में एक ही सवाल उठता है, आखिर इसे दुनिया का सबसे फेमिनिन देश क्यों कहा जाता है? क्या वजह है कि लहरों के इस शांत टापू को एक महिला के नाम से पुकारा जाता है? कहानी इतिहास की परतों में छुपी है, और राज इतना दिलचस्प कि सुनकर किसी का भी ध्यान वहीं थम जाए. आइए इसके नाम के पीछे की कहानी जानें.
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दुनिया के नक्शे में सैकड़ों देश हैं, पर एक ऐसा नाम जो बाकी सभी के बीच बिलकुल अलग चमकता है, इसका नाम है सेंट लूसिया. यह वही द्वीप राष्ट्र है जिसका नाम किसी राजा, किसी योद्धा, किसी भूगोलिक विशेषता या किसी दैवी सत्ता पर नहीं, बल्कि दुनिया की एक महिला संत Saint Lucy of Syracuse पर रखा गया है.
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यही वजह है कि इसे दुनिया का सबसे फेमिनिन देश कहा जाता है. लेकिन इस नामकरण की कहानी जितनी सुंदर है, उतनी ही रहस्यमयी भी. फ्रांसीसी नाविकों की दास्तान के मुताबिक वे पहली बार इस द्वीप पर तब पहुंचे थे, जब Saint Lucy का पर्व मनाया जा रहा था.
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उस समय समुद्र की लहरें तेज थीं और तूफानी हवाओं ने जहाज को बहाते-बहाते इस हरे-भरे टापू तक पहुंचा दिया. जब नाविकों को सुरक्षित ठिकाना मिला, उन्होंने इसे ईश्वरीय संकेत माना और द्वीप का नाम संत लूसी के नाम पर रख दिया.
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इस तरह यह दुनिया का एकमात्र देश बन गया जिसका नाम पूरी तरह एक महिला के सम्मान पर है. लेकिन इससे पहले कि फ्रांसीसी यहां कदम रखते, यह द्वीप अपने अलग ही नामों से जाना जाता था, लुआनालाओ और हेवानोरा, जिनका अर्थ है इगुआना का द्वीप.
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यानी यह जमीन एक समय वन्य जीवन और आदिवासी संस्कृति की स्वतंत्र दुनिया थी. इतिहास में आगे बढ़ें तो सेंट लूसिया का अतीत किसी फिल्म की पटकथा से कम नहीं- संघर्ष, आक्रमण, और सत्ता की खींचतान से भरा था. यह द्वीप कभी अरावाक, तो कभी कैलिनागो जनजाति के नियंत्रण में रहा.
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लेकिन असली तूफान तब आया जब 17वीं सदी में फ्रांस और इंग्लैंड इसकी खूबसूरती और सामरिक स्थिति पर फिदा हो गए. लगातार 14 बार दोनों देशों ने इसे जीतने की कोशिश की कभी फ्रांस हावी, कभी ब्रिटेन हावी रहा. इसी चक्कर में इसे Helen of the West भी कहा जाने लगा, क्योंकि जैसे ट्रॉय की हेलन पर राजाओं ने युद्ध किए थे, वैसे ही सेंट लूसिया पर राष्ट्र भिड़ते रहे.
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अंततः 1814 में ब्रिटेन ने इसे अपने हाथ में ले लिया, लेकिन आजादी की चाह इस द्वीप की मिट्टी में बस चुकी थी. सालों की राजनीतिक यात्रा के बाद 22 फरवरी 1979 को सेंट लूसिया एक स्वतंत्र राष्ट्र बन गया. आज भी यह देश कॉमनवेल्थ समूह का सम्मानित सदस्य है.
Published at : 04 Dec 2025 08:07 AM (IST)
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