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कैसे बनाया गया था आगरा का ताजमहल, इसके लिए कहां-कहां से मंगाया गया था सामान?
Taj Mahal Materials: दुनिया की सबसे खूबसूरत इमारत में गिना जाने वाला ताजमहल सभी को बहुत पसंद आता है. चलिए जानें कि इसको बनाने में इस्तेमाल हुआ सामान कहां-कहां से आया था.
आगरा का ताजमहल दुनिया के सात अजूबों में से एक है. इसकी खूबी देखते ही बनती है. दुनियाभर से लोग इसको देखने के लिए आगरा में आते हैं और इसकी तारीफ किए बिना रह नहीं पाते. यह बात तो सभी जानते हैं कि ताजमहल को शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया था. मुमताज ने अपने अंतिम पलों में शाहजहां से एक वादा लिया था कि वो उनकी याद में एक सफेद खूबसूरत मकबरा बनवाएं, जैसा कि कभी न बना हो. इसके बाद शाहजहां ने उसे बनवाया था. चलिए जानते हैं कि इसे बनाने के लिए सामान कहां-कहां से मंगाया गया था.
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ताजमहल जितना दिखने में भव्य है, उसकी तैयारी भी उतनी भव्य तरीके से की गई थी. उस दौर में हजारों मजदूरों के अलावा हजारों हाथी भी सामान ढोने के लिए आए थे.
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हाथी मीलों दूर से सामान को एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाने का काम करते थे. ताजमहल को बनाने के लिए 42 एकड़ की जमीन चुनी गई थी. ताजमहल को बनवाने में करीब 4 करोड़ रुपये लगे थे.
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इसके चारों ओर की मीनारें 139 फीट ऊंची और इसमें सबसे ऊपर की ओर एक छतरी लगाई गई थी. भवन में लगने वाला सफेद मार्बल 200 मील दूर राजस्थान के मकराना से लाया गया था.
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ताजमहल में इस्तेमाल किए गए कुछ पत्थर के टुकड़े इतने बड़े थे कि उनको बैलों और लंबी सींगों वाले भैंसों ने अपना पसीना बहाकर वहां तक पहुंचाया था. उस खास बैलगाड़ी को 25-30 मवेशी एकसाथ खींचते थे.
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ताजमहल को बनाने वाले अधिकतर मजदूर कन्नौज के थे. फूलों की नक्काशी के लिए लोगों को पोखरा से बुलाया गया था और कश्मीर के रामलाल को बगीचे बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी.
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ताजमहल की इमारत में 40 अलग-अलग रत्नों को जोड़ा गया था, जिसको शाहजहां ने एशिया के अलग-अलग हिस्से से मंगवाया था. हरे रंग के पत्थर को सिल्क रूट से काशगर, चीन से मंगाया गया था.
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नीले पत्थर को अफगानिस्तान की खानों से, फिरोजा को तिब्बत से, मूंगा अरब और लाल सागर से, पीले अंबर को ऊपरी बर्मा, माणिक को श्रीलंका से और लहसुनिया को मिस्र में नील घाटी मंगाया गया था. नीलम को अशुभ मानते थे इसलिए उसका इस्तेमाल न के बराबर हुआ था.
Published at : 21 Apr 2025 05:46 PM (IST)
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