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एक पहिए से लेकर पूरे डब्बे तक... कितने में बनती है एक ट्रेन, चलने के बाद रेलवे की कितनी होती है कमाई?

Train Manufacturing Cost: जिस ट्रेन में हम चंद सौ रुपये देकर सफर कर लेते हैं, क्या आप जानते हैं कि उसे बनाने में करोड़ों रुपये तक खर्च हो जाते हैं. आइए जानें कि इससे रेलवे को कितनी कमाई होती है.

Train Manufacturing Cost: जिस ट्रेन में हम चंद सौ रुपये देकर सफर कर लेते हैं, क्या आप जानते हैं कि उसे बनाने में करोड़ों रुपये तक खर्च हो जाते हैं. आइए जानें कि इससे रेलवे को कितनी कमाई होती है.

देश की पटरियों पर दौड़ती ट्रेनें सिर्फ सफर का जरिया नहीं, बल्कि भारत की आर्थिक धड़कन हैं. रोज करोड़ों लोग इन्हीं ट्रेनों पर भरोसा करके अपनी मंजिल तक पहुंचते हैं, उद्योग-कारोबार इन्हीं के सहारे आगे बढ़ते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जिस ट्रेन में हम चंद सौ रुपये खर्च कर सफर कर लेते हैं, उसे बनाने में आखिर कितना धन लगता है? एक पहिए से शुरू होकर पूरे डिब्बे और फिर पूरी ट्रेन का खर्च सुनकर कई लोग हैरान रह जाते हैं.

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आज भारतीय रेलवे में अधिकतर एलएचबी कोच इस्तेमाल किए जाते हैं. ये कोच पुराने ICF कोच की तुलना में ज्यादा सुरक्षित, तेज और आधुनिक होते हैं. एक एलएचबी कोच तैयार करने में लगभग 2.5 से 3 करोड़ रुपये तक का खर्च आता है.
आज भारतीय रेलवे में अधिकतर एलएचबी कोच इस्तेमाल किए जाते हैं. ये कोच पुराने ICF कोच की तुलना में ज्यादा सुरक्षित, तेज और आधुनिक होते हैं. एक एलएचबी कोच तैयार करने में लगभग 2.5 से 3 करोड़ रुपये तक का खर्च आता है.
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यदि एक ट्रेन में 20 एलएचबी कोच लगाए गए हैं, तो सिर्फ कोचों पर ही 50 से 60 करोड़ रुपये का खर्च हो जाता है. यह किसी छोटी फैक्ट्री या बिजनेस की कुल लागत से कहीं ज्यादा है. ट्रेन का इंजन सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है. आज भारत में ज्यादातर ट्रेनें इलेक्ट्रिक इंजन से चलती हैं क्योंकि ये डीजल इंजनों के मुकाबले ज्यादा पर्यावरण अनुकूल और किफायती हैं.
यदि एक ट्रेन में 20 एलएचबी कोच लगाए गए हैं, तो सिर्फ कोचों पर ही 50 से 60 करोड़ रुपये का खर्च हो जाता है. यह किसी छोटी फैक्ट्री या बिजनेस की कुल लागत से कहीं ज्यादा है. ट्रेन का इंजन सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है. आज भारत में ज्यादातर ट्रेनें इलेक्ट्रिक इंजन से चलती हैं क्योंकि ये डीजल इंजनों के मुकाबले ज्यादा पर्यावरण अनुकूल और किफायती हैं.
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ऐसे में एक इलेक्ट्रिक इंजन बनाने की लागत 12 से 15 करोड़ रुपये, डीजल इंजन बनाने की लागत 10 से 12 करोड़ रुपये होती है. यानी एक ट्रेन का इंजन ही इतना महंगा है जितना एक मल्टीस्टोरी अपार्टमेंट प्रोजेक्ट का बजट होता है. हर ट्रेन का आधार उसकी बोगी होती है. पहिए, एक्सल, ब्रेक और शॉक सिस्टम इन्हीं पर लगे होते हैं.
ऐसे में एक इलेक्ट्रिक इंजन बनाने की लागत 12 से 15 करोड़ रुपये, डीजल इंजन बनाने की लागत 10 से 12 करोड़ रुपये होती है. यानी एक ट्रेन का इंजन ही इतना महंगा है जितना एक मल्टीस्टोरी अपार्टमेंट प्रोजेक्ट का बजट होता है. हर ट्रेन का आधार उसकी बोगी होती है. पहिए, एक्सल, ब्रेक और शॉक सिस्टम इन्हीं पर लगे होते हैं.
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एक बोगी की कीमत होती है लगभग 25 से 30 लाख रुपये. ऐसे में 20 कोचों वाली ट्रेन में दो-दो बोगियां लगती हैं, इस तरह बोगियों पर ही 10 से 12 करोड़ रुपये खर्च हो जाते हैं. कोच के अंदर यात्रियों की सुविधा के लिए सीटें, बर्थ, पंखे, लाइटें, एसी, बायो-टॉयलेट, सुरक्षा सेंसर और अन्य उपकरण लगाए जाते हैं. एक कोच के अंदर इन सभी चीजों पर 40 से 50 लाख रुपये का खर्च आता है.
एक बोगी की कीमत होती है लगभग 25 से 30 लाख रुपये. ऐसे में 20 कोचों वाली ट्रेन में दो-दो बोगियां लगती हैं, इस तरह बोगियों पर ही 10 से 12 करोड़ रुपये खर्च हो जाते हैं. कोच के अंदर यात्रियों की सुविधा के लिए सीटें, बर्थ, पंखे, लाइटें, एसी, बायो-टॉयलेट, सुरक्षा सेंसर और अन्य उपकरण लगाए जाते हैं. एक कोच के अंदर इन सभी चीजों पर 40 से 50 लाख रुपये का खर्च आता है.
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यानी एक कोच की कुल लागत 3 करोड़ रुपये के आसपास पहुंच जाती है. देश में बनी वंदे भारत ट्रेन भारत की सबसे आधुनिक और तेज ट्रेनों में गिनी जाती है. 16 कोच और दो ड्राइविंग कारों वाले एक वंदे भारत ट्रेन सेट को बनाने में 110 से 120 करोड़ रुपये लगते हैं. टेक्नोलॉजी, एयरोडायनेमिक डिजाइन, उन्नत ब्रेक सिस्टम और हाई-स्पीड क्षमताओं के कारण इसकी लागत कई गुना बढ़ जाती है.
यानी एक कोच की कुल लागत 3 करोड़ रुपये के आसपास पहुंच जाती है. देश में बनी वंदे भारत ट्रेन भारत की सबसे आधुनिक और तेज ट्रेनों में गिनी जाती है. 16 कोच और दो ड्राइविंग कारों वाले एक वंदे भारत ट्रेन सेट को बनाने में 110 से 120 करोड़ रुपये लगते हैं. टेक्नोलॉजी, एयरोडायनेमिक डिजाइन, उन्नत ब्रेक सिस्टम और हाई-स्पीड क्षमताओं के कारण इसकी लागत कई गुना बढ़ जाती है.
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एक साधारण एक्सप्रेस ट्रेन की कुल लागत 70 से 80 करोड़ रुपये के बीच पहुंच जाती है. अब सवाल है कि एक ट्रेन चलने के बाद रेलवे उससे कितनी कमाई करता है? दरअसल रेलवे की कमाई कई हिस्सों से मिलती है, जैसे- मालगाड़ियां, यात्री टिकट, पार्सल, स्क्रैप बिक्री और स्टेशन सेवाएं.
एक साधारण एक्सप्रेस ट्रेन की कुल लागत 70 से 80 करोड़ रुपये के बीच पहुंच जाती है. अब सवाल है कि एक ट्रेन चलने के बाद रेलवे उससे कितनी कमाई करता है? दरअसल रेलवे की कमाई कई हिस्सों से मिलती है, जैसे- मालगाड़ियां, यात्री टिकट, पार्सल, स्क्रैप बिक्री और स्टेशन सेवाएं.
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारतीय रेलवे हर दिन लगभग 400 करोड़ रुपये कमाता है. इसमें सबसे ज्यादा कमाई मालगाड़ियों से होती है.  साधारण मेल/एक्सप्रेस ट्रेन से प्रति यात्री 40-50 रुपये, प्रीमियम ट्रेनें (शताब्दी, राजधानी, वंदे भारत) प्रति यात्री 100-500 रुपये खर्चा आता है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारतीय रेलवे हर दिन लगभग 400 करोड़ रुपये कमाता है. इसमें सबसे ज्यादा कमाई मालगाड़ियों से होती है. साधारण मेल/एक्सप्रेस ट्रेन से प्रति यात्री 40-50 रुपये, प्रीमियम ट्रेनें (शताब्दी, राजधानी, वंदे भारत) प्रति यात्री 100-500 रुपये खर्चा आता है.

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